आप भी अपने इष्ट का चिंतन करो और इष्ट के नाम का जप करो। ये केवल स्थूल शरीर पर ही फ़ायदा करता है, ये विदेशियों की खोज अभी तो अन्नमय कोश तक आई है। लेकिन आपके ऋषियों की खोज तो प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, आनंदमय कोशों की यात्रा करते करते सृष्टिकर्ता के उस आनंदकुंभ तक पहुंचाने की