
Alka ragini
@alkaragini1
विचार एवं चिंतन की अभिव्यक्ति
ID: 1430128768090136584
24-08-2021 11:24:23
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साधन पथ अनंत जन्मों की यात्रा है। उसी अनुरूप संसार के मान-सम्मान-मोह-द्वन्द-संशय आदि का प्रभाव रहता है। योगी परमात्मा की शरणागति स्वीकार कर साधन पथ के सजातीय वस्तु-तत्व-भाव का संग कर विजातीय प्रभावों से मुक्त होता है और अनुग्रह रूप में परम् पद को प्राप्त होता है। Swami Avdheshanand


शिवः शक्त्या युक्तो यदि भवति शक्तः प्रभवितुं न चेदेवं देवो न खलु कुशलः स्पन्दितुमपि । अतस्त्वामाराध्यां हरिहरविरिञ्चादिभिरपि प्रणन्तुं स्तोतुं वा कथमकृतपुण्यः प्रभवति ॥ Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #स्वामी_अवधेशानन्द_गिरि #शारदीय_नवरात्रि #शैलपुत्री




जीव की साधन यात्रा अनंत जन्मों की है। मन-बुद्धि तथा अहंकार के द्वंद्व-संशय तथा भय निवृत्ति बिना शरणागति के संभव नहीं है। जब योगी हृदयस्थ परमात्मा के अनुग्रह को अनुभव कर और स्वीकार कर शरणागत होता है—अनंत जन्मों की यात्रा को परम् धाम में प्रवेश मिलता है। Swami Avdheshanand #आत्मबोध


विनोदमोदमोदिता दयोदयोज्ज्वलान्तरा निशुम्भशुम्भदम्भदारणे सुदारुणाऽरुणा। अखण्डगण्डदण्डमुण्ड- मण्डलीविमण्डिता प्रचण्डचण्डरश्मिरश्मि- राशिशोभिता शिवा। अमन्दनन्दिनन्दिनी धराधरेन्द्रनन्दिनी प्रतीर्णशीर्णतारिणी सदार्यकार्यकारिणी। Swami Avdheshanand #ब्रह्मचारिणी #AvdheshanandG_Mission



जीव परमात्मा का सनातन अंश है। साधन पथ के सजातीय वस्तु-तत्व-भाव के प्रवाह से योगी अनंत जन्मों के बाद आत्म-बोध की ओर अग्रसर करता है। प्राप्त ईश्वरीय अनुग्रह को स्वीकार कर तथा भगवत् शरणागति ग्रहण कर मन सहित छ: इन्द्रियों के प्रभाव से मुक्त होकर कृतार्थ होता है। Swami Avdheshanand


अयिगिरि नन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #चन्द्रघंटा #शारदीय_नवरात्र


Swami Avdheshanand Acharya Sabha HariharAshram Narendra Modi Amit Shah Ekatma Dham Ladli Foundation - A National Award Winning NGO Kishore Kumar Kaya 🙏ॐ नमो नारायणाय! दण्डवत् गुरुदेव #AvdheshanandG_Quotes #कठोपनिषद् #अद्वैत_वेदान्त #AdvaitVedanta #स्वाध्याय #PrabhuShriKiLekhni #स्वामी_अवधेशानन्द_गिरि



जीवन अनेक जन्मों की यात्रा है। उसी अनुरूप मन-चित्त में जन्मों के संस्कार संग्रहित रहते हैं। अनुभूति की एक अवस्था में योगी इन संस्कारों के पूर्ण निवृत्ति हेतु अंततः परमात्मा की शरणागति करता है और अनुग्रह को अनुभव कर तथा स्वीकार कर संशयों से निवृत होता है। Swami Avdheshanand #आत्मबोध


अथ श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रम् ॥ ॐ श्रीमाता श्रीमहाराज्ञी श्रीमत्-सिंहासनेश्वरी । चिदग्नि-कुण्ड-सम्भूता देवकार्य-समुद्यता ॥ १॥ उद्यद्भानु-सहस्राभा चतुर्बाहु-समन्विता । रागस्वरूप-पाशाढ्या क्रोधाकाराङ्कुशोज्ज्वला ॥ २॥ Swami Avdheshanand #माँ_कूष्माण्डा #AvdheshanandG_Quotes