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डॉ. संजीव मिश्र Dr. Sanjiv Mishra

@drsanjivkmishra

लेखक Bestseller बवाली कनपुरिया @PenguinIndia
पत्रकार Ex @JagranNews । @PatrikaNews / @rpbreakingnews
अनुवादक @PenguinIndia
Fellow @Cornell । Fellow @SpeakTB

ID: 73200676

calendar_today10-09-2009 19:38:54

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अभय मिश्र नदियों के किनारे विचरते हैं, नदियों को सुनते, गुनते और बुनते हैं। उनके अनुभवों और विशद शोध से निकली पुस्तक विहंगम का विमोचन व चर्चा दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गुरुवार को प्रस्तावित है। आइए मिलते हैं 12 जून को शाम 5.30 बजे आईआईसी की एनेक्सी बिल्डिंग में...

अभय मिश्र नदियों के किनारे विचरते हैं, नदियों को सुनते, गुनते और बुनते हैं। उनके अनुभवों और विशद शोध से निकली पुस्तक विहंगम का विमोचन व चर्चा दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गुरुवार को प्रस्तावित है। आइए मिलते हैं 12 जून को शाम 5.30 बजे आईआईसी की एनेक्सी बिल्डिंग में...
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फ़रिश्ते आ कर उनके जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं -मुनव्वर राना *** बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे -निदा फ़ाज़ली #विश्व_बाल_श्रम_निषेध_दिवस #सुबहwithसंजीव

फ़रिश्ते आ कर उनके जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं
वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं
-मुनव्वर राना
***
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
-निदा फ़ाज़ली
#विश्व_बाल_श्रम_निषेध_दिवस
#सुबहwithसंजीव
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गंगा मैया में जब तक पानी रहे, विहंगम सी बिल्कुल कहानी रहे... #विहंगम का विहंगम लोकार्पण... #सुबहwithसंजीव

गंगा मैया में जब तक पानी रहे,
विहंगम सी बिल्कुल कहानी रहे...
#विहंगम का विहंगम लोकार्पण...
#सुबहwithसंजीव
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कौन पढ़ता है खोल के अब दिल की किताब अब तो चेहरे को ही अख़बार किया जाना है -राजेश रेड्डी *** कोई नहीं जो पता दे दिलों की हालत का कि सारे शहर के अख़बार हैं ख़बर के बग़ैर -सलीम अहमद *** ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़ ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है -आमिर सुहैल #सुबहwithसंजीव

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पापा, आपके बाद जाना दुनिया कितनी निष्ठुर है हर सुगम लगती राह वास्तव में कठोर है मन के भारी बोझ से आवाज़ में नहीं जोर है लगता है आसपास हर कोई आदमखोर है #FathersDay असल में तो पिता के जाने के बाद ही समझ में आता है। पिता के बिना हर पुत्र बिल्कुल अकेला है... बस अकेला। #सुबहwithसंजीव

पापा, 
आपके बाद जाना दुनिया कितनी निष्ठुर है
हर सुगम लगती राह वास्तव में कठोर है
मन के भारी बोझ से आवाज़ में नहीं जोर है
लगता है आसपास हर कोई आदमखोर है
#FathersDay असल में तो पिता के जाने के बाद ही समझ में आता है। पिता के बिना हर पुत्र बिल्कुल अकेला है... बस अकेला।
#सुबहwithसंजीव
Shabnam Hashmi (@shabnamhashmi) 's Twitter Profile Photo

The Hindi edition of Prof Aditya Mujherjee’s book *Nehru's India Past Present and Future* is now available on Amazon for Rs 269/- It is printed on environment friendly recycled paper. amzn.in/d/6Q9VoKi Vaishali Mathur डॉ. संजीव मिश्र Dr. Sanjiv Mishra aditya mukherjee mriduladitya

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पापा, आज 16 जून है। पाँच साल हो गए आपको गए हुए। इन पाँच सालों में सब कुछ बदल गया है। सारी निश्चिंतता समाप्त हो गई है। मुझे पता है आप होते तो सँभाल लेते, मेरा भरोसा बढ़ा देते। आपका न होना, हर क्षण कष्ट देता है। मुझे पता है आप जहाँ भी होंगे, मेरी चिंता कर रहे होंगे। #सुबहwithसंजीव

पापा,
आज 16 जून है। पाँच साल हो गए आपको गए हुए। इन पाँच सालों में सब कुछ बदल गया है। सारी निश्चिंतता समाप्त हो गई है। मुझे पता है आप होते तो सँभाल लेते, मेरा भरोसा बढ़ा देते। आपका न होना, हर क्षण कष्ट देता है। मुझे पता है आप जहाँ भी होंगे, मेरी चिंता कर रहे होंगे।
#सुबहwithसंजीव
Samay Patrika (@samaypatrika) 's Twitter Profile Photo

सच्चा प्यार तितली की तरह नहीं होता... ख़ुद से झूठ तो मत बोलो / साइमन गिलहम

सच्चा प्यार तितली की तरह नहीं होता...

ख़ुद से झूठ तो मत बोलो / साइमन गिलहम
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मेरी देह मिले माटी में देशवासी मेरी पीठ पर जाएँ देश के स्वराज पथ के गड्ढे जितने हाड़-मांस के भर दे टुकड़े मेरे स्वाधीनता के पथ पर तिल भर नर मेरे जीवनदान से बनें अग्रसर मंगलमय की मंगल इच्छा भर जाए प्राणों में अंतिम भिक्षा -गोपबंधु दास 'उत्कलमणि' को पुण्यतिथि पर नमन #सुबहwithसंजीव

मेरी देह मिले माटी में
देशवासी मेरी पीठ पर जाएँ
देश के स्वराज पथ के गड्ढे जितने
हाड़-मांस के भर दे टुकड़े मेरे
स्वाधीनता के पथ पर तिल भर नर
मेरे जीवनदान से बनें अग्रसर
मंगलमय की मंगल इच्छा
भर जाए प्राणों में अंतिम भिक्षा
-गोपबंधु दास 'उत्कलमणि' को पुण्यतिथि पर नमन 
#सुबहwithसंजीव
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कानपुर में डीएम बनाम सीएमओ की लड़ाई सीएम Yogi Adityanath बनाम डिप्टीसीएम Brajesh Pathak नज़र आ रही है। डिप्टीसीएम समर्थक सीएमओ और सीएम समर्थक डीएम के साथ। आम जनता की भावनाएँ डीएम के साथ दिख रही हैं। वैसे डीएम से पंगा लेने के लिए सीएमओ के पीठ पर बड़ा हाथ होने की चर्चा भी है।

कानपुर में डीएम बनाम सीएमओ की लड़ाई सीएम <a href="/myogiadityanath/">Yogi Adityanath</a> बनाम डिप्टीसीएम <a href="/brajeshpathakup/">Brajesh Pathak</a>  नज़र आ रही है। डिप्टीसीएम समर्थक सीएमओ और सीएम समर्थक डीएम के साथ। आम जनता की भावनाएँ डीएम के साथ दिख रही हैं। वैसे डीएम से पंगा लेने के लिए सीएमओ के पीठ पर बड़ा हाथ होने की चर्चा भी है।
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बड़ा विषय अखिलेश के सचिव रहने का नहीं, Parvez Ahmad भाई सत्तारूढ़ दल की सिफारिशें नजरअंदाज करने का है। एक ईमानदार अफसर ही ऐसा कर सकता है। वैसे भी स्वास्थ्य विभाग का आलम यह है कि कानपुर के डीएम बनाम सीएमओ विवाद सीएम बनाम डिप्टीसीएम हो गया है। दोनों खेमों के विधायक आमने-सामने हैं।

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सिंहासन हिलउठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। -सुभद्रा कुमारी चौहान #रानीलक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर नमन। #सुबहwithसंजीव

सिंहासन हिलउठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी
बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी
चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
-सुभद्रा कुमारी चौहान
#रानीलक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर नमन।
#सुबहwithसंजीव
Aalok Shrivastav (@aaloktweet) 's Twitter Profile Photo

जिन बातों को कहना मुश्किल होता है उन बातों को सहना मुश्किल होता है इस दुनिया में रह कर हमने ये जाना इस दुनिया में रहना मुश्किल होता है उसके ताने, उसके ताने होते हैं ! मुश्किल से भी सहना मुश्किल होता है #Aalok #Aasaan Penguin India : amazon.in/dp/0670098019

जिन बातों को कहना मुश्किल होता है
उन बातों को सहना मुश्किल होता है

इस दुनिया में रह कर हमने ये जाना 
इस दुनिया में रहना मुश्किल होता है 

उसके ताने, उसके ताने होते हैं !
मुश्किल से भी सहना मुश्किल होता है

#Aalok #Aasaan <a href="/PenguinIndia/">Penguin India</a> : amazon.in/dp/0670098019
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...और आषाढ़ फिर से आ गया जैसे फूलों को गए बहुत दिन नहीं होते हैं और वे मुँह काढ़े फिर आ जाते हैं क्योंकि यह आषाढ़ है किसान, प्रेमी, लताएँ, सब संभावना से हैं मुझे आश्चर्य हुआ कि उनकी परिभाषा का आषाढ़ फिर तो आया ही नहीं! महीने आ जाते हैं, मौसम नहीं आता। -अखिलेश सिंह #सुबहwithसंजीव

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मैंने नहीं छोड़े तानाशाही के जन्मदिन पर पटाखे मुझे संतोष है मैंने सपने देखे जो पूरे नहीं हुए मैंने प्रेम किए इकतरफ़े मुझे संतोष है मैंने चुराए कुछ अमर बीज और छींट दिए काग़ज़ पर आखर अनंत! -पद्मश्री आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, जन्मदिन की कोटिशः शुभकामनाएँ #सुबहwithसंजीव

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लोग मगन सब जोग हीं, जोग जायँ बिनु छेम। त्यों तुलसी के भावगत, राम प्रेम बिनु नेम॥ -गोस्वामी तुलसीदास *** अनुलोम-विलोम का मुझे पता नहीं है दुख का पता है दुख सुनते लोग गहरी साँस खींचते हैं कुछ देर रुकते हैं फिर झटके से छोड़ देते हैं -मिथिलेश राय *** आज योग दिवस है। #सुबहwithसंजीव

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जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है  तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है जो रविके रथ का घोड़ा है वह जन मारे नहीं मरेगा जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है जो युगके रथ का घोड़ा है वह जन मारे नहीं मरेगा -केदारनाथ अग्रवाल, पुण्यतिथि पर नमन #सुबहwithसंजीव

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है 
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रविके रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युगके रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
-केदारनाथ अग्रवाल, पुण्यतिथि पर नमन
#सुबहwithसंजीव