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संभाषण - एक वार्तालाप

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विवाह संस्कार : पिछले दिनों एक लेख पढ़ रहे थे, भारत में बढ़ते तलाक़ की संख्या के विषय पर था। बड़े शहरों और पाश्चात्य संस्कृति के पीछे दौड़ते आधुनिक लोगों की इस बीमारी ने कैसे भारत के छोटे शहरों और गाँवों को अपनी चपेट में लेना प्रारम्भ कर दिया है।

विवाह संस्कार :

पिछले दिनों एक लेख पढ़ रहे थे, भारत में बढ़ते तलाक़ की संख्या के विषय पर था। बड़े शहरों और पाश्चात्य संस्कृति के पीछे दौड़ते आधुनिक लोगों की इस बीमारी ने कैसे भारत के छोटे शहरों और गाँवों को अपनी चपेट में लेना प्रारम्भ कर दिया है।
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श्रावणमास के प्रथम सोमवार के अवसर पर महादेव से प्रार्थना है कि वे अपनी कृपा दृष्टि हम सभी पर बनाए रखें। 🙏 भोलेनाथ ने कहा है : "बारह मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होती है,

श्रावणमास के प्रथम सोमवार के अवसर पर महादेव से प्रार्थना है कि वे अपनी कृपा दृष्टि हम सभी पर बनाए रखें। 🙏

भोलेनाथ ने कहा है :

"बारह मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होती है,
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क्या जगन्नाथ मंदिर में मूर्तियों को बदलने के दिन, जिसे नवकलेवर कहा जाता है, पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है? ऐसा क्यों किया जाता है?

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श्रीहरि ने वृष्णिवंश में श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। इस वंश में यदुपुत्र राजा क्रोष्टा के तृतीय पुत्र से शूर नामक पुत्र हुए, इन शूर और भोजराजकुमारी के १० पुत्र हुए, जिनमें से 'वसुदेव' सबसे पहले उत्पन्न हुए। इन महाबाहु के उत्पन्न होते ही स्वर्ग में आकाश में दुंदुभि बजी थीं, +

श्रीहरि ने वृष्णिवंश में श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। इस वंश में यदुपुत्र राजा क्रोष्टा के तृतीय पुत्र से शूर नामक पुत्र हुए, इन शूर और भोजराजकुमारी के १० पुत्र हुए, जिनमें से 'वसुदेव' सबसे पहले उत्पन्न हुए। इन महाबाहु के उत्पन्न होते ही स्वर्ग में आकाश में दुंदुभि बजी थीं, +
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वसुदेव जी के एक भाई देवश्रवा ने शत्रुओं को हटाने वाले "शत्रुघ्न" नामक पुत्र को उत्पन्न किया। किसी कारणवश बालकपन में त्याग दिए जाने के कारण, इस देवश्रवा पुत्र को निषादों ने पालकर बड़ा किया, इसलिए यह निषादवंशी "एकलव्य" के नाम से प्रसिद्ध हुआ। -हरिवंशपुराण

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वाणी को शरीर से बाहर निकाला गया। शरीर ने कहा गूँगे लोग भी मजे से देखते, सुनते, खाते–पीते हैं। इसके बाद क्रम से वाक्, आँख, कान तथा मन आदि को बारी–बारी शरीर से बाहर निकाला गया, उस पर भी शरीर का उत्तर वैसा ही मिला। अन्त में निकलने की बारी आई प्राण की! sambhashan.com/upanishad-gyan…

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ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म में ‘ज्ञान’ और ‘विज्ञान’ है (गीता १८/४२)। अतः यदि आप ब्राह्मण हो कर वेद–शास्त्र, यज्ञादि से दूर हैं तो विश्वास करिए कि आप मात्र नाम के और बलहीन ब्राह्मण हैं। ब्राह्मण का एक मात्र बल उनका शास्त्रानुकूल ज्ञान है।

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शास्त्रों को पढ़ने अथवा उनमें आए सुविचारों को रटने का कोई लाभ नहीं है जब तक आपके मन, वचन और कर्म उनके अनुरूप न हों।

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इस मंच पर जिन लोगों के पोस्ट विवादास्पद होते हैं, जिन्हें अधिकांश लोग नापसंद करते हैं। उन्हें यदि नापसंद करने वाले लोग ही अनफॉलो कर दें, पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया न दें तो उनको ऐसे पोस्ट करनेका उद्देश्य ही समाप्त हो जाए किन्तु लोगों को नकारात्मक प्रचार भी प्रचार ही है, समझाए कौन?

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Everyone who blames the vaccine without any evidence must read it. Let's talk about the unhealthy lifestyle of youngsters to save them instead of baseless discussion.

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शास्त्रों के हजार पन्ने पढ़ने से अच्छा है कि उनके एक वाक्य को ही अपने जीवन में उतार लिया जाए।

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नमः शिवाय् 🙏 ब्रह्माजी की आयु में बीतत कल्प अनेक। दस ब्रह्मा बीतें बने शंकर का दिन एक॥ बालक मार्कण्डेय की जीवन कथा, हास्य रूप में सुनिए : youtu.be/_kf0AwK2ASk?si…

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महेश्वरस्य हृदये धत्तूरविटप: शुभ:। संजात: स च शर्वस्य रतिकृत् तस्य नित्यश:।। भगवान शंकर के हृदय पर सुन्दर धतूर-वृक्ष उत्पन्न हुआ, अतः वह शिवजी को सदा प्यारा है। -श्रीवामन पुराण

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वैदिक शास्त्रों के अनुसार रुद्र का स्वरूप युवक का है (ऋग्वेद २.३३.११ एवं ५.६०.५) जो अत्यन्त तेज युक्त है यथा ‘त्वेषं रूपं तपसा निह्ववामहे’ – ऋग्वेद १.११४.५। और उसी प्रकार चमकता है जैसे सूर्य अथवा स्वर्ण (यः शुक्र इव सूर्यो हिरण्यमिव रोचते – ऋग्वेद १.४३.५)। sambhashan.com/rudra/