@kevatramka
नित्य दास
ID: 2835493783
calendar_today29-09-2014 06:14:13
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a day ago
जब तक प्रत्यक्ष दर्शन न हों, तब तक स्मरण-चिंतन ही भक्त का आधार है।
जब भक्त एक स्वर में नाम-संकीर्तन करते हैं, तो सम्पूर्ण आकाश गूँज उठता है।
भाव और भक्ति से ही भगवान् का प्रसाद प्राप्त होता है।
भगवान विराट हैं, परन्तु शरणागतों के लिए मधुर-सौम्य हैं।
तपस्या का फल तभी है जब उसमें भक्ति और समर्पण जुड़ा हो।
21 hours ago
मुझे केवल आपके चरणों की अहैतुकी भक्ति चाहिए।
20 hours ago
जो भगवान् की सेवा करता है, उसके लिए कुछ भी अलभ्य नहीं।
प्रभु वहीं निवास करते हैं, जहाँ उनका नाम और सेवा होती है।
19 hours ago
विलम्ब केवल जीव की ओर से होता है, भगवान् की ओर से नहीं।
18 hours ago
आपके स्मरण मात्र से अपवित्र भी पवित्र हो जाता है।
9 hours ago
जगत को मोह में डालने वाली महामाया भी भगवान् का ही आश्रय लेकर कार्य करती है।
भगवान का एक-एक अंग स्वभाव से ही परम सुन्दर है। 😍
Kevat
8 hours ago
माला साधक के लिए केवल मोतियों की डोरी नहीं, बल्कि भगवान् का स्मरण और नामजप की जीवनरेखा है।
जप बिना स्मरण अधूरा है। जिह्वा जप करे, पर मन कहीं और हो तो वह जप स्मरणरहित कहलाता है।
जो अनन्यचित्त होकर सदा मुझे स्मरण करता है, उस योगी के लिए मैं सहज उपलब्ध हूँ।– श्रीकृष्ण
4 hours ago
जिसका मन भगवन्नाम-स्मरण में रम गया वह तृप्त, पूर्णकाम और अकाम हो जाता है। उसे किसी वस्तु की चाह नहीं रहती।
जो अपना चित्त भगवान में अर्पित कर दे, वह न ब्रह्मपद चाहता, न स्वर्ग का राज्य, न योगसिद्धि, न ही मोक्ष केवल भगवान ही चाहता है।
2 hours ago
नामी का स्मरण तभी संभव है जब नाम का स्मरण हो। नाम ही नामी तक पहुँचने का द्वार है।
an hour ago
हे प्रभो सीताराम! यह शरीर, प्राण, इन्द्रिय, मन, बुद्धि और आत्मा सब आपका ही है।