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Harish Abichandani

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calendar_today14-09-2021 13:22:06

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भारत में अपनी ही संस्कृति और देवी-देवताओं का नाम लेने पर बच्चों को सज़ा देना कैसा न्याय है ? राधे-राधे बोलने, कलावा-बिंदी लगाने और ‘जय श्री राम’ कहने पर भी कई कॉन्वेंट स्कूलों में बच्चों को प्रताड़ित किया जाता है। आखिर हमारे बच्चों के मन में किस तरह की शिक्षा भरी जा रही है ?

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संत आसाराम बापू ने लुप्त गुरुकुल परंपरा को फिर से जीवित कर आधुनिक शिक्षा व भारतीय संस्कारों का संगम प्रस्तुत किया। 50+ गुरुकुलों की स्थापना से मिशनरियों का एजेंडा कमजोर पड़ता स्पष्ट दिखा। 1. youtube.com/playlist?list=… 2. youtube.com/@santshreeasha… 3. youtube.com/playlist?list=…

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जब पूरा तंत्र वैलेंटाइन डे को बढ़ावा दे रहा था और देश का बुद्धिजीवी वर्ग वैलेंटाइन डे के दुष्परिणाम देख तो रहा था, पर विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं थी। तब ऐसे समय में संत आसाराम बापूजी ने 2007 में इसका सुंदर विकल्प दिया मातृ-पितृ पूजन दिवस, सच्चे और पवित्र प्रेम का संदेश।

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संत आसाराम बापू की इस प्रेरणादायी पहल ने जाति-धर्म और संप्रदाय की सारी सीमाएँ मिटा दीं। 14 फ़रवरी को “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के रूप में मनाने की यह परंपरा भारतीय संस्कारों का उज्ज्वल प्रतीक बन गई। माता-पिता के सम्मान की इस संस्कृति को आज हर धर्म और हर परिवार ने हृदय से अपनाया है।

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प्रेम की सच्ची शुरुआत माता-पिता से होती है। इसी पवित्र भाव को जगाने के लिए 14 फरवरी को “मातृ-पितृ पूजन दिवस” मनाया जाता है। इस प्रेरक पहल को धर्म-पंथ से ऊपर उठकर पूरे देश ने अपनाया, और आज इसकी सुगंध भारत ही नहीं, विदेशों तक फैल चुकी है। youtube.com/playlist?list=…

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जो समाज अपनी संस्कृति और धर्म से दूर होकर विदेशी चमक-दमक में खो जाता है, उसका पतन निश्चित होता है। लेकिन आसाराम बापू ने इस प्रवाह को बदला — वो भी बिना किसी विरोध के। 25 दिसंबर को "तुलसी पूजन दिवस" का शंखनाद हो चुका था, और यह भी अन्य अभियानों की तरह तेजी से घर-घर तक पहुँचने लगा।

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तुलसी सिर्फ पौधा नहीं, घर की दिव्य औषधि है, सर्दी-खांसी से लेकर बड़ी बीमारियों तक लाभकारी। बापू आसारामजी के भक्तों ने 25 दिसंबर “तुलसी पूजन दिवस” और “हर घर तुलसी लगाओ” अभियान से इसे जन-जन तक पहुँचाया। आज तुलसी पूजन दिवस विश्वभर में मनाया जा रहा है। 🌿✨

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विदेशी कंपनियों से लेकर मिशनरियों और कई राजनेताओं की आँखों की किरकिरी बन चुके आसाराम बापू ने 14 फ़रवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस और 25 दिसंबर तुलसी पूजन दिवस का परचम विदेशी षड्यंत्रों की छाती पर गाड़ दिया था…ऐसे में आखिर कब तक सुरक्षित रह रह सकते थे।

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आसाराम बापू ने स्वदेशी उत्पादों के प्रचार के लिए कभी मीडिया या सेलिब्रिटी को पैसा नहीं दिया। उनका आश्रम किसी नेता,सरकार या चंदे पर नहीं,बल्कि साधकों की मेहनत और सेवा पर चलता था। बापू का स्पष्ट सिद्धांत था जो भी धन है,वह धर्म का है और उसका उपयोग केवल धर्म कार्यों में होना चाहिए।

आसाराम बापू ने स्वदेशी उत्पादों के प्रचार के लिए कभी मीडिया या सेलिब्रिटी को पैसा नहीं दिया।

उनका आश्रम किसी नेता,सरकार या चंदे पर नहीं,बल्कि साधकों की मेहनत और सेवा पर चलता था।

बापू का स्पष्ट सिद्धांत था जो भी धन है,वह धर्म का है और उसका उपयोग केवल धर्म कार्यों में होना चाहिए।
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आसाराम बापू के सेवाकार्यों पर यदि एक नज़र डालें,तो उनका योगदान कुछ इस प्रकार रहा है। स्वदेशी अभियान आंदोलन के अंतर्गत आसाराम बापू ने आयुर्वेद विज्ञान को लोगों की दैनिक जीवनशैली से जोड़ा और गरीब व जरूरतमंद वर्ग को उच्च गुणवत्ता की सस्ती एवं प्रभावी आयुर्वेदिक दवाइयाँ उपलब्ध कराईं

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संत आसाराम बापू ने 50 से अधिक गुरुकुलों की स्थापना की, जिससे छोटी उम्र से ही बच्चे वैदिक संस्कृति और आधुनिक विज्ञान से जुड़ने लगे। आधुनिक शिक्षा और सनातन संस्कृति का सुंदर समन्वय लिए ये गुरुकुल इतने लोकप्रिय हुए कि स्थानीय कॉन्वेंट स्कूलों में प्रवेश तक प्रभावित होने लगा।

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संत आसाराम बापू ने 10,000+ गायों को कत्लखाने से बचाकर स्वावलंबी गौशालाएँ शुरू कीं। गौ-उत्पादों से आत्मनिर्भरता बनी और 500+ स्थानीय आदिवासी परिवारों को रोजगार मिला।

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आसाराम बापू ने अनेक संस्थाओं का मार्गदर्शन कर उन्हें सेवा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने स्वयं भी जनजातीय क्षेत्रों में सेवा कार्यों और रोजगार के अनेक अवसरों का नेतृत्व किया। साथ ही, सनातन धर्म के मार्ग से भटके देश-भर के लगभग 4 लाख धर्मांतरित हिंदुओं की #घरवापसी करवाई।

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युवा किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होते हैं।संत आसाराम बापू ने युवाधन सुरक्षा अभियान के माध्यम से युवाओं को संयम,चरित्र और ब्रह्मचर्य का महत्व समझाया। उनके प्रेरक मार्गदर्शन से आज करोड़ों युवा अश्लीलता भरे वातावरण में भी अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करते हुए संयमित जीवन अपना रहे हैं।

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भारतीय संस्कृति की खोई हुई गरिमा को पुनः जगाने के लिए संत आशारामजी बापू ने 14 फरवरी वेलेंटाइन डे को "मातृ-पितृ पूजन दिवस" और 25 दिसंबर क्रिसमस डे को "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में मनाने का वैश्विक अभियान शुरू किये जिससे समाज प्रेम, संस्कार और अपनी परंपराओं से फिर जुड़ सके।

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आसाराम बापू ने गरीब एवं जरूरतमंद आदिवासी परिवारों की सहायता हेतु अपने आश्रमों के माध्यम से उनके राशन कार्ड बनवाए और उन्हें प्रत्येक महीने निःशुल्क राशन वितरित करने की सेवा भी प्रारम्भ की। youtube.com/playlist?list=…

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अब सवाल यह है कि पिछले 70 साल से देश और संस्कृति की सेवा करनेवाले आसाराम बापू को जेल क्यों और कैसे भेजा गया ? youtu.be/JcLozPOVGPE?si…

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"Embrace the divine presence of Tulsi. Honour it this 25th December. 🙏🌿” Let's choose Tulsi — spiritual, scientific & sacred. #तुलसी_पूजन_दिवस #TulsiPujanDiwas #TulsiWorship #25December #TulsiWorshipDay #25thDecemberTulsiPujanDiwas #25thDecember_TulsiPujanDiwas

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Honour it this 25th December. 🙏🌿”

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"Stay Rooted. Celebrate 25 Dec – Tulsi Pujan Diwas.” 🌿🙏 Tulsi is not just a plant, it is our culture, values, and way of life. Let us reconnect with our roots and pass on our traditions to the next generation. #तुलसी_पूजन_दिवस #TulsiPujanDiwas #TulsiWorship #TulsiWorshipDay

"Stay Rooted. Celebrate 25 Dec – Tulsi Pujan Diwas.” 🌿🙏

Tulsi is not just a plant, it is our culture, values, and way of life. Let us reconnect with our roots and pass on our traditions to the next generation.

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पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने की होड़ में आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को ही भूलती जा रही है। 25 दिसंबर तुलसी पूजन दिवस की पावन पहल युवाओं को सही मार्गदर्शन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अद्भुत पर्व है। संस्कारों की रक्षा के लिए 25 दिसंबर #तुलसी_पूजन_दिवस मनाएं।

पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने की होड़ में आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को ही भूलती जा रही है।

25 दिसंबर तुलसी पूजन दिवस की पावन पहल युवाओं को सही मार्गदर्शन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अद्भुत पर्व है।

संस्कारों की रक्षा के लिए 25 दिसंबर #तुलसी_पूजन_दिवस मनाएं।