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Manish Singh

@rebornmanish

गिरती हुई दीवार का हमदर्द हूं लेकिन
चढते हुए सूरज की, परस्तिश नही करता

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calendar_today15-01-2021 05:07:28

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सन्सद पर हमला कब हुआ था? जनरल नॉलेज का सवाल है। आप कहेंगे कि 2001 में हुआ था। लश्करे तैयबा के आतंकियों ने भारत की संसद पर हमला किया। पर वो दूसरा हमला था। पहला 1966 में हो चुका था। ●● जनवरी की 11 तारीख को प्रधानमंत्री शास्त्री की मृत्यु हुई। नेहरू के बाद, प्रधानमंत्री बनने

सन्सद पर हमला कब हुआ था?

जनरल नॉलेज का सवाल है। आप कहेंगे कि 2001 में हुआ था। लश्करे तैयबा के आतंकियों ने भारत की संसद पर हमला किया। 

पर वो दूसरा हमला था। 
पहला 1966 में हो चुका था। 
●●
जनवरी की 11 तारीख को प्रधानमंत्री शास्त्री की मृत्यु हुई। नेहरू के बाद, प्रधानमंत्री बनने
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कांग्रेसी प्रवक्ता द्वारा इस भाषा का इस्तेमाल निंदनीय है। पहली बात तो यह, अच्छे लोग रंडवे को रंडवा नही कहते। आप बैचलर कहिये, अविवाहित कहिये, अपना हाथ जगन्नाथ भी कह लो ( हालांकि वह गलत होगा, शाखामृग के लिए "परस्पर जगन्नाथ" कुछ ठीक है) ●● दूसरी तरफ "जो कि पत्नी छोड़कर भाग

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ये इंडिया बनाने आये थे ये इंडिया मिटा के जाएंगे। कानफोड़ू शोर वाला एक भयंकर लोमहर्षक वीडियो चलता है। विचित्र चेहरे मोहरे वाली बाला.. ताड़का और सुसरा की भांति मुंह बिचकाकर, कुटिल मुस्कान के साथ लिप सिंक करती है। बैकग्राउण्ड की एक कर्कशा के संग चीखती है- हम हिन्दू जगाने आये थे,

ये इंडिया बनाने आये थे
ये इंडिया मिटा के जाएंगे। 

कानफोड़ू शोर वाला एक भयंकर लोमहर्षक वीडियो चलता है। विचित्र चेहरे मोहरे वाली बाला.. ताड़का और सुसरा की भांति मुंह बिचकाकर, कुटिल मुस्कान के साथ लिप सिंक करती है। 

बैकग्राउण्ड की एक कर्कशा के संग चीखती है- हम हिन्दू जगाने आये थे,
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“भारत एक खोज” के रामायण पर बने एपिसोड में, भास के प्रतिमानाटक को दिखाया गया है। इसमें एक प्रसंग है, जहाँ सीता राम को वन में अस्त्र-शस्त्र धारण करने से रोकने के लिए एक कथा सुनाती है। ●● एक बार एक साधु की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र भेस बदल कर उसके पास गए। उन्होंने उसको अपनी

“भारत एक खोज” के रामायण पर बने एपिसोड में, भास के प्रतिमानाटक को दिखाया गया है। 

इसमें एक प्रसंग है, जहाँ सीता राम को वन में अस्त्र-शस्त्र धारण करने से रोकने के लिए एक कथा सुनाती है। 
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एक बार एक साधु की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र भेस बदल कर उसके पास गए।

उन्होंने उसको अपनी
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कुम्भीपाक नर्क का दृश्य है। मार्गदर्शक जी एक कड़ाही में उबाले जा रहे थे। दर्द काफी था। बगल में देखा। लोयाहंटर कमर तक तेल में तला जा रहा था। मार्गदर्शक जी को नर्क के मैनेजर पर बड़ा गुस्सा आया। इसके करम तो मुझसे भी खराब थे। ●● पूछा- अरे, जीतेजी ऐसा क्या ही सत्कर्म कर दिया

कुम्भीपाक नर्क का दृश्य है। 

मार्गदर्शक जी एक कड़ाही में उबाले जा रहे थे। दर्द काफी था। 

बगल में देखा। लोयाहंटर कमर तक तेल में तला जा रहा था। मार्गदर्शक जी को नर्क के मैनेजर पर बड़ा गुस्सा आया। इसके करम तो मुझसे भी खराब थे। 
●●
पूछा- अरे, जीतेजी ऐसा क्या ही सत्कर्म कर दिया
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100 बरस पहले.. 1924 में इंडिया गेट का निर्माण हो रहा था।नई दिल्ली बन रही थी, बस रही थी। रायसीना हिल्स पर एक नया शहर उग रहा था। देश मे गांधी थे, लाजपतराय थे, मोतीलाल नेहरू थे। रत्नगिरी में जेल से छूटकर आये सावरकर अपनी रद्दी किताब, हिंदुत्वा की पहली पांडुलिपि लिख रहे थे।

100 बरस पहले.. 

1924 में इंडिया गेट का निर्माण हो रहा था।नई दिल्ली बन रही थी, बस रही थी। रायसीना हिल्स पर एक नया शहर उग रहा था। 

देश मे गांधी थे, लाजपतराय थे, मोतीलाल नेहरू थे। रत्नगिरी में जेल से छूटकर आये सावरकर अपनी रद्दी किताब, हिंदुत्वा की पहली पांडुलिपि लिख रहे थे।
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इनकमटैक्स मे सबमिशन के लिए कुछ पेपर दस्तखत कर रहा था। आज पहली बार डिपार्टमेण्ट के लोगो पर निगाह गई। ध्येयवाक्य लिखा है - कोष मूलो दण्डः मुझे जितनी संस्कृत आती है उसके हिसाब से इसका मतलब होता है- कोष का आधार, दण्ड है। या कहें कि राजकोष की उत्पत्ति, अथवा संग्रह का कार्य दण्ड

इनकमटैक्स मे सबमिशन के लिए कुछ पेपर दस्तखत कर रहा था। आज पहली बार डिपार्टमेण्ट के लोगो पर निगाह गई। ध्येयवाक्य लिखा है - कोष मूलो दण्डः 

मुझे जितनी संस्कृत आती है उसके हिसाब से इसका मतलब होता है-  कोष का आधार, दण्ड है। 

या कहें कि राजकोष की उत्पत्ति, 
अथवा संग्रह का कार्य दण्ड
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नारी का सम्मान, राष्ट्र के नाम.. जर्मनी, आर्यों का देश था। दुनिया की सबसे ऊंची नस्ल! सुनहरे बाल, नीली आंखे, चमकदार गोरी त्वचा... मास्टर रेस, ईश्वर ने राज करने को बनाया है। ●● लेकिन ये आर्य रेस, छोटी सी प्रशियन- बवेरियन सीमा में ठुंस कर रह रही थी। उन्हें लिविंग स्पेस चाहिए

नारी का सम्मान, राष्ट्र के नाम.. 

जर्मनी, आर्यों का देश था। दुनिया की सबसे ऊंची नस्ल! सुनहरे बाल, नीली आंखे, चमकदार गोरी त्वचा...

मास्टर रेस, ईश्वर ने राज करने को बनाया है। 
●●
लेकिन ये आर्य रेस, छोटी सी प्रशियन- बवेरियन सीमा में ठुंस कर रह रही थी। उन्हें लिविंग स्पेस चाहिए
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कार्यकर्ता दरी बिछाते रह जाते हैं। नेता मलाई खाता है। यह स्टेंडर्ड बाइलाइन है, जो तमाम लोकतन्त्र समर्थक प्राणी नरियाते रहते हैं। पर मेरा मानना है कि कार्यकर्ता दरी बिछाने के लिए ही होता है। उसे अच्छे से दरी बिछानी चाहिए। प्लेटो भी ऐसा ही मानता है। ●● प्लेटो लोकतंत्र

कार्यकर्ता दरी बिछाते रह जाते हैं। 
नेता मलाई खाता है। 

यह स्टेंडर्ड बाइलाइन है, जो तमाम लोकतन्त्र समर्थक प्राणी नरियाते रहते हैं। 

पर मेरा मानना है कि कार्यकर्ता दरी बिछाने के लिए ही होता है। उसे अच्छे से दरी बिछानी चाहिए। 

प्लेटो भी ऐसा ही मानता है। 
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प्लेटो लोकतंत्र
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तिमिर प्रताप ने फिर ब्लॉक कर दिया। आखिर क्या ही गाली गलौज कर दी मैनें.. बूहूहू।

तिमिर प्रताप ने फिर ब्लॉक कर दिया। 
आखिर क्या ही गाली गलौज कर दी मैनें.. 

बूहूहू।
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क्या आप जानते हैं कि अरबी में दोस्ती के 12 दर्जे होते हैं? ●● फेसबुक पर तैरती एक पोस्ट की फिशिंग की है। ज्यो का त्यों पेश कर रहा हूँ। आपका काम है, अपने किसी सादिक, खलील या रफीक (नीचे अर्थ देख लें) को टैग करें। किसी दूसरी कैटगरी के मित्र को भी उसकी श्रेणी बताकर टैग कर सकते

क्या आप जानते हैं कि अरबी में दोस्ती के 12 दर्जे होते हैं?
●●
फेसबुक पर तैरती एक पोस्ट की फिशिंग की है। ज्यो का त्यों पेश कर रहा हूँ। 

आपका काम है, अपने किसी सादिक, खलील या रफीक (नीचे अर्थ देख लें) को टैग करें। किसी दूसरी कैटगरी के मित्र को भी उसकी श्रेणी बताकर टैग कर सकते
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एक शहर की बात है। शहर में गणेशोत्सव बडी धूम-धाम से मनाया जाता था। प्रथा कुछ ऐसी चल गई थी कि हर जाति के लोग अपने-अपने गणेश जी रखते थे, इस तरह ब्राह्मणों के अलग गणेश होते, अग्रवालों के अलग और तेलियों के अलग। पच्चीस-तीस तरह के गणेशोत्सव होते, नौ-दस दिनों तक खूब भजन-कीर्तन

एक शहर की बात है। शहर में गणेशोत्सव बडी धूम-धाम से मनाया जाता था। 

प्रथा कुछ ऐसी चल गई थी कि हर जाति के लोग अपने-अपने गणेश जी रखते थे, 

इस तरह ब्राह्मणों के अलग गणेश होते, अग्रवालों के अलग और तेलियों के अलग। 

पच्चीस-तीस तरह के गणेशोत्सव होते, 

नौ-दस दिनों तक खूब भजन-कीर्तन
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यह चिट्ठी महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी को पहुंचे। ●● महात्माजी.. मैं न संसद-सदस्य हूं, न विधायक, न मंत्री, न नेता। इनमें से कोई कलंक मेरे ऊपर नहीं है. मुझमें कोई ऐसा राजनीतिक ऐब नहीं है कि आपकी जय बोलूं। मुझे कोई भी पद नहीं चाहिये कि राजघाट जाऊं। मैंने आपकी समाधि पर शपथ

यह चिट्ठी महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी को पहुंचे।
●●
महात्माजी..

मैं न संसद-सदस्य हूं, 
न विधायक, न मंत्री, न नेता। 

इनमें से कोई कलंक मेरे ऊपर नहीं है. मुझमें कोई ऐसा राजनीतिक ऐब नहीं है कि आपकी जय बोलूं। 

मुझे कोई भी पद नहीं चाहिये कि राजघाट जाऊं।
मैंने आपकी समाधि पर शपथ
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चार बार मैं गणतंत्र दिवस का जलसा दिल्ली में देख चुका हूं. पांचवी बार देखने का साहस नहीं. ●● आखिर यह क्या बात है कि हर बार जब मैं गणतंत्र समारोह देखता, तब मौसम बड़ा क्रूर रहता. छब्बीस जनवरी के पहले ऊपर बर्फ पड़ जाती है. शीतलहर आती है, बादल छा जाते हैं, बूंदाबांदी होती है और

चार बार मैं गणतंत्र दिवस का जलसा दिल्ली में देख चुका हूं. पांचवी बार देखने का साहस नहीं. 
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आखिर यह क्या बात है कि हर बार जब मैं गणतंत्र समारोह देखता, तब मौसम बड़ा क्रूर रहता.

छब्बीस जनवरी के पहले ऊपर बर्फ पड़ जाती है. शीतलहर आती है, बादल छा जाते हैं, बूंदाबांदी होती है और
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प्रिसिजन फार्मिंग... लाइफ में जो सबसे अनयुजुअल काम करता हूँ, वो है ऐसे सब्जेक्ट पर पढ़ना, जिसका मेरे जीवन मे कोई सीधा लाभ नही। शायद इसे हॉबी कहते है। तो इस हॉबी के तहत, कुछ दिन से प्रिसिजन फार्मिंग पर पढ़ और सुन रहा हूँ। ●● जो मित्र सोचते है, की फ्यूचर किस बिजनेस में है,

प्रिसिजन फार्मिंग...

लाइफ में जो सबसे अनयुजुअल काम करता हूँ, वो है ऐसे सब्जेक्ट पर पढ़ना, जिसका मेरे जीवन मे कोई सीधा लाभ नही। 

शायद इसे हॉबी कहते है। 

तो इस हॉबी के तहत, कुछ दिन से प्रिसिजन फार्मिंग पर पढ़ और सुन रहा हूँ। 
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जो मित्र सोचते है, की फ्यूचर किस बिजनेस में है,
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ठीक बोल रहे हैं। मुकदमा चलना तो चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तो दूसरी पार्टी का हैं। कंजरवेटिव पार्टी के जोकपाल, गिरिराज सिंह की काहे सुनेगा? ●● वो क्या कहावत थी यारों? क्या पिद्दी, और क्या पिद्दी का ... 😤

ठीक बोल रहे हैं। 
मुकदमा चलना तो चाहिए। 

लेकिन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तो दूसरी पार्टी  का हैं। कंजरवेटिव पार्टी के जोकपाल, गिरिराज सिंह की काहे सुनेगा? 
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वो क्या कहावत थी यारों? 
क्या पिद्दी, और क्या पिद्दी का ...

😤
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नेता का धन, जनता होती है।। महज वोट नहीं देती। भरोसा देती है, प्रेम देती है, सम्मान देती है, मुद्दे देती है। नारे भी, वही देती है। ●● राहुल ने बताया कि यात्रा के दौरान, किसी आम शख्स ने उनसे कहा - "आप बड़ा काम कर रहे हैं। आप नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं"

नेता का धन, जनता होती है।।

महज वोट नहीं देती। भरोसा देती है, प्रेम देती है, सम्मान देती है, मुद्दे देती है। 

नारे भी, वही देती है। 
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राहुल ने बताया कि यात्रा के दौरान, किसी आम शख्स ने उनसे कहा - 

"आप बड़ा काम कर रहे हैं। आप नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं"
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जब बड़ा पेड़ गिरता है.. 9:20 पर गोलियां चलीं। पेड़ पल भर में गिरा, स्टेनगन की 33 गोलियां बदन मे पैवस्त थीं। अफरातफरी मची। घर की बहू, उस लहूलुहान देह को लादकर, हस्पताल ले गयी। मौत पहले ही हो चुकी थी। पर हताश डॉक्टर, 12 बजे तक कोशिश करते रहे। फिर हार मान ली। ●●

जब बड़ा पेड़ गिरता है..   

9:20 पर गोलियां चलीं। पेड़ पल भर में गिरा, स्टेनगन की 33 गोलियां बदन मे पैवस्त थीं।  

अफरातफरी मची। घर की बहू, उस लहूलुहान देह को लादकर, हस्पताल ले गयी। मौत पहले ही हो चुकी थी।  

पर हताश डॉक्टर, 12 बजे तक कोशिश करते रहे। 
फिर हार मान ली। 
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