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Dr. Rajendra Prasad Singh

@563rajendra

A well known linguist, critic, author and historian.
।। अत्त दीपो भव ।।

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धौली शिलालेख में " उदुपानानि " (कुएं ) प्रयुक्त है. " उदु " जल का बोधक है. इसी उदु से संस्कृत " उदक ", लैटिन " उदुस ", रूसी " वोद " (जल), तमिल " ओदम् " ( बाढ़, समुद्र), कुई " ऊदलि " (भींगना ), तुलु " वद्दे " ( गीला) और भोजपुरी " ओद " (गीला) संबंधित हैं.

धौली शिलालेख में " उदुपानानि " (कुएं ) प्रयुक्त है. " उदु " जल का बोधक है. इसी उदु से संस्कृत " उदक ", लैटिन " उदुस ", रूसी " वोद " (जल), तमिल " ओदम् " ( बाढ़, समुद्र), कुई " ऊदलि " (भींगना ), तुलु " वद्दे " ( गीला) और भोजपुरी " ओद " (गीला) संबंधित हैं.
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प्रयागराज के मेजा तहसील की लूतर ग्राम सभा के कब्रिस्तान से मिली बुद्ध की मूर्ति .....

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पुरातात्विक दृष्टिकोण से भारत की सबसे प्राचीन पुस्तकें कौन - सी हैं? कहने को तो मौखिक रूप से एक से बढ़कर एक कई पुस्तकें प्राचीन बता दी जाती हैं। लेकिन पुरातत्व की कसौटी पर वे खरी नहीं उतरती हैं। आज इस तथ्य का पर्दाफाश .... youtu.be/7yblpA7dFsg?si…

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लाओस देश के प्रांत बोकैओ में मेकांग नदी के बालू - क्षेत्र से तथागत बुद्ध की पौने सात फीट ऊंची मूर्ति मिली है.

लाओस देश के प्रांत बोकैओ में मेकांग नदी के बालू - क्षेत्र से तथागत बुद्ध की पौने सात फीट ऊंची मूर्ति मिली है.
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महाराष्ट्र के पवनी के पास एक टीले पर जगन्नाथ मंदिर है.( चित्र 1 ) नागपुर विश्वविद्यालय ने 1969 में टीले की खुदाई कराई. पता चला कि जगन्नाथ मंदिर एक 38 मीटर व्यास के स्तूप पर बना है. स्तूप के स्तंभ पर उत्कीर्ण मुचलिंद नाग जो बुद्ध के सिंहासन की रक्षा कर रहे हैं. (चित्र 2)

महाराष्ट्र के पवनी के पास एक टीले पर जगन्नाथ मंदिर है.( चित्र 1 )

नागपुर विश्वविद्यालय ने 1969 में टीले की खुदाई कराई.

पता चला कि जगन्नाथ मंदिर एक 38 मीटर व्यास के स्तूप पर बना है.

स्तूप के स्तंभ पर उत्कीर्ण मुचलिंद नाग जो बुद्ध के सिंहासन की रक्षा कर रहे हैं. (चित्र 2)
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हल चलाते गोतम बुद्ध के पिता सुद्धोदन....बुद्ध का परिवार मूल रूप से खेतिहर था.... इसीलिए इन्हें खत्तिय कहा गया है..... आज भी खेत से संबंधित जो कागजात होते हैं.....खेत से संबंधित जो बही होती है....उन्हें खतियान, खतौनी कहा जाता है..... तलवार धारक नहीं, खतियान धारक ही खत्तिय थे...

हल चलाते गोतम बुद्ध के पिता सुद्धोदन....बुद्ध का परिवार मूल रूप से खेतिहर था....

इसीलिए इन्हें खत्तिय कहा गया है.....

आज भी खेत से संबंधित जो कागजात होते हैं.....खेत से संबंधित जो बही होती है....उन्हें खतियान, खतौनी कहा जाता है.....

तलवार धारक नहीं, खतियान धारक ही खत्तिय थे...
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भूटान को पता है कि भारत ने दुनिया को क्या दिया, मगर भारत को नहीं पता कि हमने दुनिया को क्या दिया?

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भारत बुद्ध की विरासत वाली धरती है, जो युद्ध नहीं बल्कि शांति में विश्वास करती है। ---- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (पोलैंड में)

भारत बुद्ध की विरासत वाली धरती है, जो युद्ध नहीं बल्कि शांति में विश्वास करती है। ---- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (पोलैंड में)
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मुसलमानों ने बड़े पैमाने पर बौद्ध ग्रंथ जला दिए तो बड़े पैमाने पर संस्कृत ग्रंथ बचे कैसे रह गए?

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श्रमणों की जिंदगी को मौत के पंजों से मुक्त कर उसे अमर बनाने के लिए अशोक ने पहाड़ की छाती को चीरकर वास्तुकला के इतिहास में पहली बार गुहा-निर्माण की नई शैली चलाई थी, जो बाद में अजंता, एलोरा जैसी जगहों पर विकसित हुई, ऐसा कि मध्य और आधुनिक काल में किसी राजा ने ऐसा दुस्साहस नहीं किया।

श्रमणों की जिंदगी को मौत के पंजों से मुक्त कर उसे अमर बनाने के लिए अशोक ने पहाड़ की छाती को चीरकर वास्तुकला के इतिहास में पहली बार गुहा-निर्माण की नई शैली चलाई थी, जो बाद में अजंता, एलोरा जैसी जगहों पर विकसित हुई, ऐसा कि मध्य और आधुनिक काल में किसी राजा ने ऐसा दुस्साहस नहीं किया।
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बद्रीनाथ मंदिर के पुजारी को " रावल " कहा जाता है और " रावल " का अर्थ " बौद्ध भिक्खु " होता है।

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चीन और जापान से लेकर कोरिया तक..... भारत ने कोई फौजी हमला नहीं किया .... कोई गोली नहीं चली .... कोई तोप नहीं दागी गई .... एक बूँद भी खून नहीं बहा .... और जीत लिए गए .... वो बुद्ध की ताकत थी!

चीन और जापान से लेकर कोरिया तक.....
भारत ने कोई फौजी हमला नहीं किया ....
कोई गोली नहीं चली .... 
कोई तोप नहीं दागी गई ....
एक बूँद भी खून नहीं बहा .... 
और जीत लिए गए ....
वो बुद्ध की ताकत थी!
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सिंधु घाटी की सभ्यता की खुदाई में स्तूप नहीं मिला है बल्कि स्तूप की खुदाई में सिंधु घाटी की सभ्यता मिली है।

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था असोक स्तंभ और बताया गया भीम की लाठी तो पहचानाता कैसे? था असोक का इतिहास और बताया गया महाभारत का वृत्तांत तो विषय पकड़ाता कैसे? लिखा था प्राकृत में और पढ़ा जा रहा था संस्कृत में तो पढ़ाता कैसे? इतिहास के झूठे ठिकानों पर छापा मारती आ गई पुस्तक - " भारत में असोक - राज "।

था असोक स्तंभ और बताया गया भीम की लाठी तो पहचानाता कैसे?

था असोक का इतिहास और बताया गया महाभारत का वृत्तांत तो विषय पकड़ाता कैसे?

लिखा था प्राकृत में और पढ़ा जा रहा था संस्कृत में तो पढ़ाता कैसे?

इतिहास के झूठे ठिकानों पर छापा मारती आ गई पुस्तक - " भारत में असोक - राज "।
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भला हुआ कि अशोक स्तंभ के अक्षर पढ़ लिए गए वरना आज तक यह भीम की लाठी ही कही जाती।

भला हुआ कि अशोक स्तंभ के अक्षर पढ़ लिए गए वरना आज तक यह भीम की लाठी ही कही जाती।
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त्रिवेद ( तीन वेद ) की अवधारणा त्रिपिटक ( तीन पिटक ) से प्रेरित है। इंडियन जर्नल आफ आर्कियोलॉजी, वाल्यूम 7, नं. 2, 2022

त्रिवेद ( तीन वेद ) की अवधारणा त्रिपिटक ( तीन पिटक ) से प्रेरित है।

इंडियन जर्नल आफ आर्कियोलॉजी, वाल्यूम 7, नं. 2, 2022
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राजा ने पत्थर का बनवाया, किसान ने पुआल का, बालक ने मिट्टी का .....मगर इतिहास जिंदा है!

राजा ने पत्थर का बनवाया, किसान ने पुआल का, बालक ने मिट्टी का .....मगर इतिहास जिंदा है!