#भगवान_के_चश्मदीद_गवाह
सूफी संत रूमी को कबीर परमात्मा शम्स तबरेज के रूप में 15 नवंबर 1244 को कोन्या में मिले। जिसके बाद रूमी ने अपने मुर्शिद (गुरू) शम्स तबरेज की बड़ाई में लिखी दो रचनाओं मसनवी और दीवान-ए-कबीर में भी कबीर परमात्मा अर्थात अल-खिज्र का जिक्र किया है।🙏
#भगवान_के_चश्मदीद_गवाह
कबीर प्रभु के आँखों देखे गवाह जिन मोकुं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार । दादू दूसरा कोए नहीं, कबीर सृजनहार ।
इस वाणी में दादू जी ने कहा है कि बूढ़े बाबा के रूप में आकर जिसने मुझे सच्चा नाम दिया; वह सर्व सृष्टि के रचनहार कबीर परमेश्वर जी हैं🌷🪴🪴🌺🌺🌼🌼🌼🥀
जिंदा महात्मा के रूप में आकर कबीर साहेब, संत गरीबदास जी को मिले। जिन्होंने कबीर साहेब का आँखों देखा प्रमाण देते हुए कहा है:
गुरू ज्ञान अमान अडोल अबोल है सतगुरू शब्द सेरी पिछानी।।
दास गरीब कबीर सतगुरू मिले आन स्थान रोप्या छुड़ानी।।
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संत रविदास ने पहले रामानंद जी को गुरु बनाया था लेकिन कबीर परमात्मा की समर्थता से परिचित होकर उन्होंने कबीर जी को अपना गुरु स्वीकार किया था। जिसका प्रमाण पुस्तक रैदास वाणी, पृष्ठ 290 पर है
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#FridayMotivation
इस्लाम धर्म के प्रवर्तक माने जाने वाले हज़रत मुहम्मद को कबीर परमात्मा मिले थे। इस विषय में संत गरीबदास जी ने कहा है :
होते नबी मुहम्मद पीरा। जाकूँ मुर्शिद मिले कबीरा ।।