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बदहवास 𓀛

@badhwaas

मैं तो पत्थर हूँ,मेरे माता-पिता शिल्पकार है, मेरी हर तारीफ़ के वो ही असली हक़दार है,,.।। 𝚿🗿

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calendar_today27-06-2014 04:21:03

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वो जानती थी मै उससे मोहब्बत करता हूं, फिर भी वो चली गई। वो जानती थी मै उसकी फिक्र करता हूं, फिर भी वो चली गई। वो जानती थी मै उसके लिए कुछ भी करूंगा, फिर भी वो चली गई। वो जानती थी मै उसके बिना मर जाऊंगा, फिर भी वो चली गई। 🖤

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मैं स्तंभ होकर भौतिक मानचित्र को लगभग दस मिनट से ताक रहा था। फिर एकदम से याद आया कि आज CGL 2025 का फॉर्म भरना है। मैं आपको बता दूं इस बार हमारा लास्ट अटेम्प्ट है क्योंकि मेरी आयु सीमा अब इतनी नहीं बची कि अगले साल भी फॉर्म भर पाऊं। मेरा सपना है इनकम टैक्स ऑफिसर बनना। इस साल मेरी

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दो वक्त की रोटी के लिए लड़ता हूं मैं, जिंदा रहने के लिए सड़ता हूं मैं, मौत खड़ी है दरवाजे पे, उसे देख मरता हूं मैं।

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नहीं... नहीं...!!! बिल्कुल नहीं !!!! गलतफहमियां मत पालो। तुम मेरी जिदंगी हो। तुम्हारे बिना मेरा कोई वजूद नहीं। तुम नहीं तो मैं नहीं। मेरे जिस्म में अगर खून दौड़ता है तो वो सिर्फ तुम्हारी वजह से। जिंदगी कई इम्तहान लेती है, उसी के एक इम्तिहान में कहीं फसा पड़ा हूं। ऐसा तुम सोचना भी

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लोग कहते हैं – "ईश्वर जितना देता है उतना में खुश रहना चाहिए।" ईश्वर ने मुझे जितना भी दिया उसमें मै खुश नहीं हूं। बचपन से ही मेरे बड़े–बड़े सपने रहे हैं। परंतु अफसोस ये है कि वो सपने आज भी सिर्फ सपने ही है। मुझे महसूस हुआ है कि मैं किस्मत का मारा एक बदनसीब इंसान हूं। लोगों के बीच

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अकेलापन वरदान है या अभिशाप मुझे मालूम नहीं। अकेले अपने शहर के एक रेस्टोरेंट में बैठा हूं। अकेले रेस्टोरेंट में बैठ कॉफी की चुस्की लेना मुझे बेहद पसंद है। यहां काफी भीड़ है। हर इंसान के चेहरे पे एक अनजान सी खुशी तैर रही है। यहां दो प्रेमी भी मौजूद हैं। अच्छा लग रहा देख के की

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जिदंगी जब भी झापड़ मारती है, मां से खूब बातें करता हूं। ♥️🌀

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इन दिनों बुरे दौड़ से गुज़र रहा हूं। मेरे साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। ऐसा महसूस होता है जैसे मेरा ईश्वर मुझे मेरे किसी गंदे कर्मों की सजा दे रहा है। हर वक्त दिल में एक टीस समाए रहती है। दिल करता है घर से, लोगों से, परिवार से, अपने शहर से कहीं दूर चला जाऊं। ऐसी जगह जाना चाहता

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आम आदमी देखे तो मन उसका मयूर और छुट्टा जानवर देख लें तो बेशऊर हो उठें। देसी भाषा में किसी नदी किनारे बसे ऐसे भू-भाग को ‘दियरा’ कहा जाता है। इसी दियारे में किसी बुझ रहे दीये-सा बारहों महीने टिमटिमाता, धरती की रेंगनी में टँगे किसी फटे कपड़े की तरह लहराता, आधा सरयू के इस पार, आधा

आम आदमी देखे तो मन उसका मयूर और छुट्टा जानवर देख लें तो बेशऊर हो उठें। देसी भाषा में किसी नदी किनारे बसे ऐसे भू-भाग को ‘दियरा’ कहा जाता है। इसी दियारे में किसी बुझ रहे दीये-सा बारहों महीने टिमटिमाता, धरती की रेंगनी में टँगे किसी फटे कपड़े की तरह लहराता, आधा सरयू के इस पार, आधा
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जिंदगी की सबसे अच्छी और बुरी बात यही है कि ये हमेशा नहीं रहने वाली"।

जिंदगी की सबसे अच्छी और बुरी बात यही है कि ये हमेशा नहीं रहने वाली"।
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जिदंगी को गाली दिए जा रहे हैं... और जिए जा रहे हैं..।।

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जब कभी मेरा मन भटका होता था, तो मैं पगडंडी का सहारा पकड़कर ऊपर चढ़ता जाता था। दोनों तरफ़ बाँज के पेड़, बीच टुकड़ों में चलता आकाश, उखड़ी हुई साँसों के बीच कुछ देर के लिए अपने को भूल जाता। पसीने में लथपथ, हाँफती देह के भीतर मन ठहर जाता है। शान्त। भीतर की घड़ी चलना बन्द हो जाती थी।

जब कभी मेरा मन भटका होता था, तो मैं पगडंडी का सहारा पकड़कर ऊपर चढ़ता जाता था। दोनों तरफ़ बाँज के पेड़, बीच टुकड़ों में चलता आकाश, उखड़ी हुई साँसों के बीच कुछ देर के लिए अपने को भूल जाता। पसीने में लथपथ, हाँफती देह के भीतर मन ठहर जाता है। शान्त। भीतर की घड़ी चलना बन्द हो जाती थी।
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रात हो चुकी है। अंधकार पसरा है। बादल छाए है। चांद– तारें बादलों से ओझल हैं। बूंदाबूंदी बारिश हो रही है। पंक्षिया अपने घोंसले में जा चुकी है। ठंडी हवाएं चल रही हैं। हवाएं कुछ बुदबुदा रही है। मै अपने कमरे की खिड़की से आसमान को ताक रहा हूं। मुझे धुंध के अलावा कुछ दिख नहीं रहा है।

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तुमने कभी उसे देखा है? -किसे? -दुख को...मैंने भी नहीं देखा, लेकिन जब तुम्हारी कज़िन यहाँ आती है, मैं उसे छिप कर देखती हूँ। वह यहाँ आकर अकेली बैठ जाती है। पता नहीं, क्या सोचती है और तब मुझे लगता है, शायद यह दुख है। ♥️🫶🏻

तुमने कभी उसे देखा है? -किसे? -दुख को...मैंने भी नहीं देखा, लेकिन जब तुम्हारी कज़िन यहाँ आती है, मैं उसे छिप कर देखती हूँ। वह यहाँ आकर अकेली बैठ जाती है। पता नहीं, क्या सोचती है और तब मुझे लगता है, शायद यह दुख है। ♥️🫶🏻
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हिंदी साहित्य के 7 बेहतरीन उपन्यास.. 👇🏻 1. रंगभूमि – प्रेमचंद 2. परती : परिकथा – फणीश्वरनाथ रेणु 3. आधा गांव – राही मासूम रज़ा 4. काला जल – शानी 5. झूठा सच – यशपाल 6. बूंद और समुंद्र – अमृतलाल नागर 7. बाणभट्ट की आत्मकथा – हजारीप्रसाद द्विवेदी

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मैं खुद को काफी अकेला महसूस करता हूं। मेरे चारों तरह दुःख परिक्रमा करते हैं। हां.. मैं दुःख का आदी हो चुका हूं। लोग मुझसे घृणा करते हैं। मै हर वक्त अपने ईश्वर से लड़ता रहता हूं। अपने जिंदगी में मैने कुछ भी कमाई नहीं की। मै खाली हूं। परंतु मुझे ख़ुशी है कि मेरा एक दोस्त है, दुःख।

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कोई भी इंसान संघर्ष से नहीं भाग सकता। उसके हिस्से में जीतना संघर्ष है, उतना तो उसे करना ही पड़ेगा।। 🫤

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चारों तरफ अंधेरा पसरा हुआ है। ठंडी हवा बड़ी जोरों की चल रही है। पंक्षिया सो चुकी है। कुछ कुत्ते आपस में लड़ रहे हैं। मै उदास अपने बालकनी में खाली हाथ बैठा हूं। मेरे चारों तरफ एक अजीब सी दुःख परिक्रमा कर रही है? काफी अकेला महसूस कर रहा हूं। तारों से भी बात किए काफी दिन हो गए हैं।

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काफी मुश्किल से दो दिन की छुट्टी मिली है। मुझे जब भी मौका मिलता है मैं कोई न कोई उपन्यास ले के बैठ जाता हूं।इन छुट्टियों में है "संयम" जो मानव कौल की नई उपन्यास है, इसे पढ़ने का निर्णय लिया हूं। मैंने मानव कौल के रचना किए सारे 15 पुस्तकों को पढ़ चुका हूं। ये उनका 16वां पुस्तक है।

काफी मुश्किल से दो दिन की छुट्टी मिली है। मुझे जब भी मौका मिलता है मैं कोई न कोई उपन्यास ले के बैठ जाता हूं।इन छुट्टियों में है "संयम" जो मानव कौल की नई उपन्यास है, इसे पढ़ने का निर्णय लिया हूं। मैंने मानव कौल के रचना किए सारे 15 पुस्तकों को पढ़ चुका हूं। ये उनका 16वां पुस्तक है।