
Pratima Preet
@preet64658812
ID: 1226583431032651776
09-02-2020 19:08:10
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खिड़कियाँ 1. घर की खिड़कियाँ हमेशा खुली रखनी चाहिए एक उम्मीद की तरह शायद कोई भूला बिसरा ख़्वाब फिर लौट आए !! 2. खिड़कियों को हमेशा ही बहादुर समझा जाता है सिटकिनियों के सहारे ताले तो दरवाजों पर लगाए जाते हैं!! - प्रतिमा 'प्रीत' (प्रीत की पंखुड़ियाँ से) Pratima Preet

उस साँझ भीड़ भरी सड़क पर मेरे आगे चलती लड़की के बाएँ कंधे के ठीक नीचे अविचल बैठी थी एक नीली तितली कोई बताए उस अपरचिता को इल्ज़ाम है उस नीली तितली के ऊपर किसी का मन चुराने का। - प्रतिमा मौर्य 'प्रीत' Pratima Preet


सारी नाराजगी उसी समय मुस्कुराते हुए छूमंतर हो गयी जब इतना भर पूछ लिया तुमने नाराज हो क्या? - प्रतिमा मौर्या Pratima Preet

1. जूड़े में सजा फूल आँखों से छुपा रहकर भी बसा रहता है हृदय के कोने में। 2. जूड़े में सजे फूल खूशबू बिखेरते हैं या अफवाह यह फूल नहीं तय करती हैं लोगों की नजरें। 3. जूड़े में लगे फूल को आमंत्रण मत समझ लेना यह प्रेम है उसका उसके अपने सपनों से। -प्रतिमा 'प्रीत' Pratima Preet

किसी कविता में कर देती हूँ ईश्वर को उसकी सत्ता से बेदखल किसी में उसे समक्ष मान गिना देती हूँ उसको उसके ही गुण-अवगुण जीवन में ज़रूरत भर नास्तिक ज़रूरत भर आस्तिक होने की सहूलियत कविता ने मुझसे मैंने कविता से हासिल की है। - प्रतिमा 'प्रीत' Pratima Preet

अतिरिक्त प्रेम उमड़ने पर फेर ली हैं तुमसे नज़रें और गड़ा दी हैं किसी कविता -कहानी के प्रेमिल पात्र पर अम्मा कहती हैं अतिरिक्त हवा और नमी से तीखी बड़ी में भी लग जाते हैं कीड़े फिर तुम तो मेरे जीवन की सबसे मीठी याद ठहरे ... - प्रतिमा प्रीत Pratima Preet

रोटियाँ रोज की अपेक्षा काफी अच्छी बन जाती हैं उस दिन जिस दिन आँटे को गूँथते-गूँथते मन गूँथने लगता है कोई सुन्दर सी कविता! - प्रतिमा प्रीत Pratima Preet

कुछ तस्वीरें ऐसी होनी चाहिए जिसे देख मुस्कुरा सके आप अपनी उदासियों में.. और आपको देखकर कोई और.. प्रेम उपजा है तो बस प्रेम करो आने जाने का क़रार नहीं ~प्रतिमा मौर्य 'प्रीत' । Pratima Preet


दिशा भ्रम की शिकार मैं नहीं तय कर पाई अपने जीवन की दशा और दिशा चारदीवारी में रहते गढ़ती रहती हूँ रोज एक नया सूरज मुक्त करती रहती हूँ उन्हें दिशाओं के बंधन से नियमत: उगने और अस्त होने की शर्त से । - प्रतिमा प्रीत Pratima Preet



तुम्हारी अकाल मृत्यु का शोक अकेले मैंने ही नहीं तुम्हारे पत्तों के बीच टिम-टिम करते जुगुनुओं ने प्रतिउत्तर में चिढ़ती कोयल ने अपने कुनबे के साथ रानी मक्खी ने भी मनाया होगा तुम पीपल थे कि प्रेमी याद से जाते ही नहीं । - प्रतिमा 'प्रीत' ❤️ Pratima Preet




सारी चिट्ठियाँ क्यों लिखी किसे लिखी नहीं मालूम बस लिखते-लिखते मोह सा हो गया उन बेनाम चिट्ठियों से। ~प्रतिमा मौर्या 'प्रीत'✍️ ("प्रीत की पंखुड़ियां":प्रेम,अनुराग के शेड्स,स्त्री-विमर्श के नव कहन, जीवन के सहज भावों,अनुभूतियों को जुबां देती,परिलक्षित करती कविताएं) Pratima Preet


'सोचती हूँ कि किसी दिन मैं भी रोक लूँगी जाते हुए बसंत को तुम्हारे आने की खबर से।' ("किसी कवि की प्रेमिका हो जाना") * अजनबियों के बीच चुप की अंगुली थाम चलने वाली मैं तुमसे बतियाते हुए बचती रही पूर्ण विराम के प्रयोग से। ("नाम नहीं बदलता नदी का") #प्रतिमा 'प्रीत'✍️ Pratima Preet
