
डॉ. कुँवर दिनेश सिंह
@k_dinesh_singh
कवि. कथाकार. समीक्षक. अनुवादक (अँग्रेज़ी/हिन्दी) ~
एसोशिएट प्रोफ़ेसर (अँग्रेज़ी). संपादक: हाइफ़न
ID: 1577380984105750529
04-10-2022 19:31:59
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मैंने कविता लिखनी चाही एक घर पे: एक ही छत के नीचे बंटा हुआ एक घ र कितने ही कट- घ रों में विभाजित, सब में पृथक्- पृथक् चूल्हा, चूल्हे से उठता धुँआ- सब क-ट-घ-रों में फैल रहा, धुँए में कुछ भी साफ़ नहीं दीख पड़ रहा... धुँआ हटे तो कविता बने... कुंवर दिनेश Kanwar Dinesh Singh







#Poetic_Window #Life Life doesn't spare a moment for unmotivated self-reflection. ✍️ #The_Chain_Of_Being I am a leaf Of the grand family-tree I wither and fall and fade away But the tree lives on.. ~Kanwar Dinesh Singh Kanwar Dinesh Singh #vss365 #poetia #poema #shortpoems


न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की उजालों की परियाँ नहाने लगीं नदी गुनगुनाई ख़यालात की मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई ज़बाँ सब समझते हैं जज़्बात की कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की ~बशीर बद्र Bashir Badr





#हाइकु •एहसास...• बांहों में तुम सारे संशय-भ्रम हो गये गुम। • छुपाऊँ कैसे एहसास प्यार का बताऊँ कैसे। •रिश्ता...• मिलते कहीं शहर है छोटी-सा जगह नहीं। • दर्द का रिश्ता दिल ढूँढ़े जिसको आये फ़रिश्ता। ~कुंवर दिनेश सिंह डॉ. कुँवर दिनेश सिंह





मेरे उर में है अतृप्य इच्छा― एक ऐसे गुलाब की जिसके साथ कण्टक न हो; एक ऐसे कमल की जिसका उद्गम पंक न हो; एक ऐसे संदल की जिसमें लिपटा भुजंग न हो; एक ऐसे चन्द्र की जिसके भाल पर कलंक न हो; एक ऐसे पूर्णचन्द्र की जिसका कभी क्षय न हो; ("कुहरा धनुष") ~कुँवर दिनेश डॉ. कुँवर दिनेश सिंह
