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Chronicles of Indian National Congress - the transformative journey that shaped India's destiny.

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सरदार पटेल की कहानी - 2 वल्लभभाई की इच्छा उच्च शिक्षा प्राप्त करने की थी, परंतु माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्होंने कॉलेज जाने का विचार छोड़ दिया। उन्होंने वकालत की परीक्षा पास की और 1900 से गोधरा में वकालत करने लगे। वल्लभभाई के पास फौजदारी के मुकदमे अधिक

सरदार पटेल की कहानी - 2

वल्लभभाई की इच्छा उच्च शिक्षा प्राप्त करने की थी, परंतु माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्होंने कॉलेज जाने का विचार छोड़ दिया। उन्होंने वकालत की परीक्षा पास की और 1900 से गोधरा में वकालत करने लगे।

वल्लभभाई के पास फौजदारी के मुकदमे अधिक
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हमारी धरोहर राजकुमार शुक्ल राजकुमार शुक्ल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बिहार के चंपारण के निवासी और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने ही गांधीजी को चंपारण आने के लिए प्रेरित किया। गांधीजी के आगमन के बाद, उन्होंने मौखिक प्रचार के माध्यम से लोगों को गांधीजी के बारे में जानकारी

हमारी धरोहर
राजकुमार शुक्ल

राजकुमार शुक्ल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बिहार के चंपारण के निवासी और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने ही गांधीजी को चंपारण आने के लिए प्रेरित किया। 

गांधीजी के आगमन के बाद, उन्होंने मौखिक प्रचार के माध्यम से लोगों को गांधीजी के बारे में जानकारी
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नेहरू की कहानी - 15 जब पंडित जी 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' की 1936 में नेहरूजी ने देश का तूफ़ानी दौरा शुरू किया। तमिलनाडु, पंजाब, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, सिंध, असम और अन्य प्रांतों में उन्होंने रिमोट कस्बों और गांवों का दौरा किया, किसानों की झोपड़ियों में रुके, और उनके हालात की

नेहरू की कहानी - 15

जब पंडित जी 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' की

1936 में नेहरूजी ने देश का तूफ़ानी दौरा शुरू किया। तमिलनाडु, पंजाब, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, सिंध, असम और अन्य प्रांतों में उन्होंने रिमोट कस्बों और गांवों का दौरा किया, किसानों की झोपड़ियों में रुके, और उनके हालात की
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टी. प्रकाशम : जन्मतिथि स्मरण प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और आंध्र प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री टी. प्रकाशम का जन्म 23 अगस्त, 1872 को गुन्टूर जिले के कनपर्ती नामक गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम टंगटूरी प्रकाशम था। पिता गोपाल कृष्णैया के जल्दी देहांत हो जाने के कारण, उनकी माँ ने एक

टी. प्रकाशम : जन्मतिथि स्मरण

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और आंध्र प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री टी. प्रकाशम का जन्म 23 अगस्त, 1872 को गुन्टूर जिले के कनपर्ती नामक गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम टंगटूरी प्रकाशम था।

पिता गोपाल कृष्णैया के जल्दी देहांत हो जाने के कारण, उनकी माँ ने एक
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सरदार की कहानी-3 दस वर्षों की वकालत के दौरान वल्लभभाई एक योग्य, अनुभवी और ख्यातिप्राप्त वकील बन गए थे। बोरसद आने पर, मात्र तीन वर्षों में ही उन्होंने अपनी वकालत से पर्याप्त धन अर्जित कर लिया था। अपने छोटे भाई काशीभाई को, जो उन दिनों वकील बनकर बोरसद आए थे,परिवार और कामकाज सौंपकर

सरदार की कहानी-3

दस वर्षों की वकालत के दौरान वल्लभभाई एक योग्य, अनुभवी और ख्यातिप्राप्त वकील बन गए थे। बोरसद आने पर, मात्र तीन वर्षों में ही उन्होंने अपनी वकालत से पर्याप्त धन अर्जित कर लिया था। अपने छोटे भाई काशीभाई को, जो उन दिनों वकील बनकर बोरसद आए थे,परिवार और कामकाज सौंपकर
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हमारी धरोहर बाल गंगाधर खेर बालासाहेब गंगाधर खेर एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने बॉम्बे प्रांत के प्रधानमंत्री और बॉम्बे राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्हें वकील, सॉलिसिटर, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता के रूप में याद किया जाता है। बालासाहेब गंगाधर खेर का

हमारी धरोहर

बाल गंगाधर खेर

बालासाहेब गंगाधर खेर एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने बॉम्बे प्रांत के प्रधानमंत्री और बॉम्बे राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्हें वकील, सॉलिसिटर, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता के रूप में याद किया जाता है।

बालासाहेब गंगाधर खेर का
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नेहरूजी की कहानी -16 माँ की मृत्यु, नेहरूजी का अकेलापन और फ़ासीवाद का खतरा 1938 का साल नेहरूजी के लिए कठिन था। पिता पहले ही जा चुके थे, पत्नी की मृत्यु के शोक से वह अभी उबर भी नहीं पाए थे, और माँ लंबे अरसे से बीमार थीं। पक्षाघात के दो आक्रमणों ने उन्हें अपंग कर दिया था। एक

नेहरूजी की कहानी -16

माँ की मृत्यु, नेहरूजी का अकेलापन और फ़ासीवाद का खतरा

1938 का साल नेहरूजी के लिए कठिन था। पिता पहले ही जा चुके थे, पत्नी की मृत्यु के शोक से वह अभी उबर भी नहीं पाए थे, और माँ लंबे अरसे से बीमार थीं। पक्षाघात के दो आक्रमणों ने उन्हें अपंग कर दिया था। 

एक
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हमारी धरोहर नारायण सुब्बाराव हार्डिकर नारायण सुब्बाराव हार्डिकर भारत के स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के प्रमुख राजनेता थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रसिद्ध 'हिन्दुस्तान सेवादल' की स्थापना की थी। 'बंगाल विभाजन' के विरोध में नारायण सुब्बाराव ने 'आर्य बाल

हमारी धरोहर
नारायण सुब्बाराव हार्डिकर

नारायण सुब्बाराव हार्डिकर भारत के स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के प्रमुख राजनेता थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रसिद्ध 'हिन्दुस्तान सेवादल' की स्थापना की थी। 

'बंगाल विभाजन' के विरोध में नारायण सुब्बाराव ने 'आर्य बाल
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सरदार की कहानी - 4 अहमदाबाद में वल्लभभाई की बैरिस्टरी की धाक स्वदेश लौटने पर वल्लभभाई पटेल ने बैरिस्टरी के लिए अहमदाबाद को चुना। अहमदाबाद पहुँचते ही उन्होंने गुजरात क्लब की सदस्यता ले ली। वहाँ पर उनके मुवक्किलों ने उन्हें खाली नहीं बैठने दिया। वल्लभभाई के समकालीन साथी और

सरदार की कहानी - 4

अहमदाबाद में वल्लभभाई की बैरिस्टरी की धाक

स्वदेश लौटने पर वल्लभभाई पटेल ने बैरिस्टरी के लिए अहमदाबाद को चुना। अहमदाबाद पहुँचते ही उन्होंने गुजरात क्लब की सदस्यता ले ली। वहाँ पर उनके मुवक्किलों ने उन्हें खाली नहीं बैठने दिया। वल्लभभाई के समकालीन साथी और
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हमारी धरोहर डॉ. जीवराज एन. मेहता डॉ. जीवराज एन. मेहता भारत के प्रमुख चिकित्सक और देशसेवक थे। उन्हें गुजरात राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। अपने विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने 'इंडियन एसोसिएशन' का गठन किया था। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सहयोगी बन गए

हमारी धरोहर

डॉ. जीवराज एन. मेहता

डॉ. जीवराज एन. मेहता भारत के प्रमुख चिकित्सक और देशसेवक थे। उन्हें गुजरात राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। अपने विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने 'इंडियन एसोसिएशन' का गठन किया था। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सहयोगी बन गए
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नेहरू की कहानी - 17 1938 की गर्मियों में नेहरू का यूरोप दौरा 1938 की गर्मियों में पंडित नेहरू ने हिटलर और मुसोलिनी के अत्याचार से पीड़ित यूरोप का जायजा लेने का निश्चय किया। विश्व में युद्ध के बादल गहरे हो रहे थे। इस दौरे के दौरान हिटलर ने नेहरू से मिलने की कोशिश की, लेकिन

नेहरू की कहानी - 17

1938 की गर्मियों में नेहरू का यूरोप दौरा

1938 की गर्मियों में पंडित नेहरू ने हिटलर और मुसोलिनी के अत्याचार से पीड़ित यूरोप का जायजा लेने का निश्चय किया। विश्व में युद्ध के बादल गहरे हो रहे थे। इस दौरे के दौरान हिटलर ने नेहरू से मिलने की कोशिश की, लेकिन
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हमारी धरोहर सरदार हुकम सिंह सरदार हुकम सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे और 1962 से 1967 के बीच लोकसभा के स्पीकर रहे। वह 1967 से 1972 तक राजस्थान के राज्यपाल भी रहे। हुकम सिंह का जन्म 30 अगस्त 1895 को मोंटगुमरी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। गवर्नमेंट हाई स्कूल, मोंटगुमरी

हमारी धरोहर
सरदार हुकम सिंह

सरदार हुकम सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे और 1962 से 1967 के बीच लोकसभा के स्पीकर रहे। वह 1967 से 1972 तक राजस्थान के राज्यपाल भी रहे।

हुकम सिंह का जन्म 30 अगस्त 1895 को मोंटगुमरी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। गवर्नमेंट हाई स्कूल, मोंटगुमरी
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सरदार पटेल की कहानी – 5 वल्लभ भाई की पहली मुलाकात गांधीजी से चम्पारन की घटना ने वल्लभ भाई के मन में गांधीजी के प्रति विश्वास को पक्का कर दिया। पहले, वल्लभ भाई के मन में गांधीजी के प्रति अनादर और उपेक्षा का भाव था, लेकिन चम्पारन में अंग्रेजी शासन के सामने गांधीजी के शांत और

सरदार पटेल की कहानी – 5

वल्लभ भाई की पहली मुलाकात गांधीजी से

चम्पारन की घटना ने वल्लभ भाई के मन में गांधीजी के प्रति विश्वास को पक्का कर दिया। पहले, वल्लभ भाई के मन में गांधीजी के प्रति अनादर और उपेक्षा का भाव था, लेकिन चम्पारन में अंग्रेजी शासन के सामने गांधीजी के शांत और
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नेहरूजी की कहानी -18 आज़ादी और लोकतंत्र का स्वप्न यूरोप की दो महीनों की यात्रा के दौरान, पंडित नेहरू ने विश्वयुद्ध की आहट स्पष्ट रूप से महसूस की। जब वह नवंबर 1938 में भारत लौटे, तो यह बात स्पष्ट हो चुकी थी कि ब्रिटेन के सत्ताधारी वर्ग न तो हिटलर के खिलाफ़ कोई सीधी कार्यवाही

नेहरूजी की कहानी -18

आज़ादी और लोकतंत्र का स्वप्न

यूरोप की दो महीनों की यात्रा के दौरान, पंडित नेहरू ने विश्वयुद्ध की आहट स्पष्ट रूप से महसूस की। जब वह नवंबर 1938 में भारत लौटे, तो यह बात स्पष्ट हो चुकी थी कि ब्रिटेन के सत्ताधारी वर्ग न तो हिटलर के खिलाफ़ कोई सीधी कार्यवाही
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सरदार पटेल की कहानी-6 रोलट एक्ट और सत्याग्रह संग्राम "सत्याग्रह की यह खूबी है कि वह स्वयं हमारे पास चला आता है। उसे खोजने हमें जाना नहीं पड़ता। यह गुण उसके सिद्धांत में ही समाया हुआ है।" महात्मा गांधी के इस कथन से वल्लभभाई पूरी तरह से प्रभावित हो गए, किंतु इसके साथ ही वह वकालत

सरदार पटेल की कहानी-6

रोलट एक्ट और सत्याग्रह संग्राम

"सत्याग्रह की यह खूबी है कि वह स्वयं हमारे पास चला आता है। उसे खोजने हमें जाना नहीं पड़ता। यह गुण उसके सिद्धांत में ही समाया हुआ है।" महात्मा गांधी के इस कथन से वल्लभभाई पूरी तरह से प्रभावित हो गए, किंतु इसके साथ ही वह वकालत
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टी. के. माधवन: जन्मतिथि स्मरण टी. के. माधवन केरल के प्रसिद्ध समाज-सुधारक और पत्रकार थे। उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व किया, जिसे वाइकोम सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। टी. के. माधवन का जन्म 1885 में मध्य त्रावणकोर (कार्थिकापल्ली, ज़िला अलापुझा, केरल) में हुआ

टी. के. माधवन: जन्मतिथि स्मरण

टी. के. माधवन केरल के प्रसिद्ध समाज-सुधारक और पत्रकार थे। उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व किया, जिसे वाइकोम सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।

टी. के. माधवन का जन्म 1885 में मध्य त्रावणकोर (कार्थिकापल्ली, ज़िला अलापुझा, केरल) में हुआ
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कमलापति त्रिपाठी: जन्मतिथि स्मरण कमलापति त्रिपाठी एक भारतीय राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वह संविधान सभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेलवे के केंद्रीय मंत्री के रूप में सेवाएं प्रदान कीं। कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितंबर 1905

कमलापति त्रिपाठी: जन्मतिथि स्मरण

कमलापति त्रिपाठी एक भारतीय राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वह संविधान सभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेलवे के केंद्रीय मंत्री के रूप में सेवाएं प्रदान कीं।

कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितंबर 1905
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दादाभाई नौरोजी: जन्मतिथि स्मरण दादाभाई नौरोजी एक महान व्यक्ति, विधिवेत्ता, विचारक, उद्योगपति और राजनीतिज्ञ थे। उनका जीवन कर्तव्य के प्रति समर्पण की एक गौरवशाली गाथा है। उनका मानना था कि राजनीतिक सत्ता का वास्तविक आधार कठोर बल नहीं, बल्कि न्याय और भावनाओं का सम्मिलन है। संसदीय

दादाभाई नौरोजी: जन्मतिथि स्मरण

दादाभाई नौरोजी एक महान व्यक्ति, विधिवेत्ता, विचारक, उद्योगपति और राजनीतिज्ञ थे। उनका जीवन कर्तव्य के प्रति समर्पण की एक गौरवशाली गाथा है।

 उनका मानना था कि राजनीतिक सत्ता का वास्तविक आधार कठोर बल नहीं, बल्कि न्याय और भावनाओं का सम्मिलन है। संसदीय
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सरदार पटेल की कहानी-7 अमृतसर अधिवेशन में भागीदारी 1919 के दिसंबर में, वल्लभभाई गांधीजी के साथ कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में अमृतसर गए। इस अधिवेशन के अध्यक्ष इलाहाबाद के ओजस्वी वकील मोतीलाल नेहरू थे। लोकमान्य तिलक, जो इंग्लैंड से वेलेंटाइन शिरोल नामक लेखक के विरुद्ध मानहानि के

सरदार पटेल की कहानी-7

अमृतसर अधिवेशन में भागीदारी

1919 के दिसंबर में, वल्लभभाई गांधीजी के साथ कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में अमृतसर गए। इस अधिवेशन के अध्यक्ष इलाहाबाद के ओजस्वी वकील मोतीलाल नेहरू थे। लोकमान्य तिलक, जो इंग्लैंड से वेलेंटाइन शिरोल नामक लेखक के विरुद्ध मानहानि के
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन: जन्मतिथि स्मरण डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति थे। वह भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक, और आस्थावान हिंदू विचारक थे। राधाकृष्णन का प्रारंभिक जीवन तिरुतनी और तिरुपति जैसे धार्मिक

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन: जन्मतिथि स्मरण

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति थे। वह भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक, और आस्थावान हिंदू विचारक थे। 

राधाकृष्णन का प्रारंभिक जीवन तिरुतनी और तिरुपति जैसे धार्मिक