"यदि PHD करने वाली लड़की इस लालच में कि अगला बंदा उससे शादी करेगा, आपनी सहमति से गांव मराएगी तो उसे यौन शोषण नहीं माना जाएगा।"
~SC
नोट: इस पोस्ट का स्विट्जरलैंड से पीएचडी करने वाली लड़की से कोई लेना-देना नहीं है।
"Meta खान : पहली बार चुनाव हुआ 1951 में और सरदार पटेल का निधन हुआ 1950 में तो उन्हें कैसे प्रधानमंत्री बनाया जा सकता था।"
बांसुरी वाले तब नेहरू 1951 से पहले 1947 में देश का PM कैसे बन गया?
जैसे नेहरू बना वैसे सरदार वल्लभ भाई पटेल जी भी बन जाते।🤷🏾
नेहरू, पटेल और इतिहास के नाम पर सस्ते पॉप चुटकुले न बनाएं।
इतिहास को सस्ता, हल्का और मज़ाक़िया बनाकर पेश करने से सुनने में दो मिनट नूडल जैसा मज़ा तो आता है। पर कृपया किसी परीक्षा में ये जवाब न लिखें जो खान ने कहा है।
इतिहास का कोई भी टीचर आपको फेल कर देगा। क्योंकि “इतिहास मीम
गांधीजी की नापसंद के बाद सरदार पटेल जी की सदमे में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई है। गांधीजी के रिजेक्शन के बाद लौहपुरुष ज़्यादा समय तक ज़िंदा नही रह पाये। यदि गांधीजी कांग्रेस पार्टी का निर्णय स्वीकार कर लेते और अपना निजी व्यक्तिगत निर्णय पार्टी के ऊपर नहीं थोपते तो हो सकता है
‘खान सर’ का ज्ञान छिछला है, पर ‘बिहारी टोन’ का चूज़्त्पा भरा डिलिवरी सबको लुभाता है:
दू बम एन्ने मारेगा, दू बम ओन्ने मारेगा, बस साला ईरान पानिए भरने लगेगा… ई जो मिसाइल होता है न जी, ओकरा में आगे से हवा जाता है, पिछवाँ से आग निकलता है… ई साला हमारा चिकन नेक काटेगा जी, हम उसका