ओम जी
जब कोरोना आया था तो लगता था लोग कितने मददगार हैं.पैसे की अहमियत घटी थी..और मानवीय मूल्यों में बढ़ोतरी हुई थी..लोग संवेदनशील हुए थे.एक दूसरे के दर्द को महसूस करने लगे थे..लेकिन ज्यों ही वो बीता हम फिर बदल गये..पैसा ही सब कुछ हो गया.मनुष्य वैसे ही हो गये नीच,स्वार्थी और क्रूर
ओम जी
निरंतर के अभ्यास और वैराग्य के परिणाम स्वरूप अंत:करण से ऊपर हृदय के निश्चल तत्व में प्रवेश करते ही , दिव्य भाव साम्राज्य में साधक प्रतिष्ठित हो जाता है। जीवनमुक्त अवस्था को प्राप्त महात्मा अपने इष्ट-आराध्य के साथ अतिशय अनन्यता को प्राप्त होता है!
अद्भुत नेतृत्वकर्ता,
विलक्षण प्रतिभा,
साहस की प्रतिमूर्ति, विवेकशील-मननशील-चिंतनशील निडर क्रांतिकारी,
जो आज़ाद थे,
आज़ाद रहे,
आजीवन अंतिम गोली तक आज़ादी के लिए
अहर्निश संघर्ष करते रहे,
ऐसे महान विस्मृत क्रांतिकारी को नमन,
गरीब घर मे पैदा होकर ब्रिटिश साम्राज्य की चूलें हिला दी।