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Yash Meghwal

@yashmeghwal

Socio-Political Activist । Founder @DiversityMinds। Spokesperson @TribalArmy ।Reposts & Likes Are NOT Endorsements.

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सवाई माधोपुर विधायक और राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा जी के खिलाफ उनके ही विधानसभा क्षेत्र में डूंगरी बांध परियोजना को लेकर गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। स्थानीय आदिवासी महिलाओं की नाराज़गी बयानों में साफ झलक रही है। मैं इस महिला की कठोर भाषा का समर्थन

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मैं इस आदिवासी महिला की अशोभनीय भाषा का समर्थन नहीं करता, लेकिन उनका गुस्सा स्वाभाविक है। डूंगरी बांध परियोजना को लेकर कैबिनेट मंत्री माननीय डॉ. किरोड़ी लाल मीणा जी के क्षेत्र के लोग उनसे भारी आक्रोश में है। डॉ. साहब को अपने बयानों पर पुनर्विचार करना चाहिए।

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डूंगरी बांध परियोजना के खिलाफ आंदोलन जारी है लेकिन सरकार और मीडिया चुप है !

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गौहाटी हाईकोर्ट ने खुलासा किया कि एक आदिवासी ज़िले की करीब 3,000 बीघा ज़मीन महाबल सीमेंट्स नाम की कंपनी को दे दी गई है। अदालत खुद हैरान रह गई और उसने कहा कि शायद यह कंपनी बहुत ही ताक़तवर और प्रभावशाली है, तभी तो पूरे ज़िले का लगभग आधा हिस्सा इसके नाम कर दिया गया। यह मामला दिखाता

गौहाटी हाईकोर्ट ने खुलासा किया कि एक आदिवासी ज़िले की करीब 3,000 बीघा ज़मीन महाबल सीमेंट्स नाम की कंपनी को दे दी गई है। अदालत खुद हैरान रह गई और उसने कहा कि शायद यह कंपनी बहुत ही ताक़तवर और प्रभावशाली है, तभी तो पूरे ज़िले का लगभग आधा हिस्सा इसके नाम कर दिया गया। यह मामला दिखाता
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अगर यह लापता जवान किसी नेता या मंत्री का बेटा होता तो उसे ढूँढने के लिए तीनों सेनाएँ लगा दी जातीं। लेकिन दुर्भाग्य है कि अजीत सिंह राजपूत, मेरे सपोटरा का एक गरीब परिवार का बेटा है, इसलिए उसकी खोजबीन में लापरवाही बरती जा रही है।

अगर यह लापता जवान किसी नेता या मंत्री का बेटा होता तो उसे ढूँढने के लिए तीनों सेनाएँ लगा दी जातीं। लेकिन दुर्भाग्य है कि अजीत सिंह राजपूत, मेरे सपोटरा का एक गरीब परिवार का बेटा है, इसलिए उसकी खोजबीन में लापरवाही बरती जा रही है।
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इस ज़मीन घोटाले पर अब तक असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा का इस्तीफ़ा हो जाना चाहिए था। लेकिन क्योंकि ज़मीन आदिवासियों की है, इसलिए सब चुप हैं।

इस ज़मीन घोटाले पर अब तक असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा का इस्तीफ़ा हो जाना चाहिए था। लेकिन क्योंकि ज़मीन आदिवासियों की है, इसलिए सब चुप हैं।
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मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा, आदिवासी इलाके की 3000 बीघा जमीन सीमेंट फैक्ट्री को देना किसका विकास है? यह छठवीं अनुसूची क्षेत्र होते हुए भी आदिवासियों की जमीन छीन ली गई। यह संविधान और उनके अधिकारों का अपमान है। इतने बड़े घोटाले के बाद आपको पद पर रहने का हक नहीं, इस्तीफा दीजिए!

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"अब खाद के लिए किसान लाइन में नहीं लगता।" - नरेंद्र मोदी तस्वीर आज अयोध्या की है !

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि यह घोटाला सिर्फ जमीन का नहीं बल्कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों और अस्तित्व से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने खुद कहा है कि "आधा जिला ही कंपनी को सौंप दिया, यह कोई मजाक है?"—तो सवाल है कि मुख्यमंत्री किसके हित

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि यह घोटाला सिर्फ जमीन का नहीं बल्कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों और अस्तित्व से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने खुद कहा है कि "आधा जिला ही कंपनी को सौंप दिया, यह कोई मजाक है?"—तो सवाल है कि मुख्यमंत्री किसके हित
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IAS की भर्ती (अन्य सेवा से) में 18 अधिकारियों का इंटरव्यू हुआ। ➡️ इनमें 14 अधिकारी SC, ST और OBC वर्ग से थे। ➡️ सिर्फ 4 अधिकारी सवर्ण समाज से थे। लेकिन हुआ क्या? 👉 राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने चारों सीटों पर केवल सवर्ण समाज के 4 अधिकारियों का ही चयन कर लिया। 👉

IAS की भर्ती (अन्य सेवा से) में 18 अधिकारियों का इंटरव्यू हुआ।
➡️ इनमें 14 अधिकारी SC, ST और OBC वर्ग से थे।
➡️ सिर्फ 4 अधिकारी सवर्ण समाज से थे।

लेकिन हुआ क्या?
👉 राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने चारों सीटों पर केवल सवर्ण समाज के 4 अधिकारियों का ही चयन कर लिया।
👉
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लालसोट तहसीलदार अमितेश कुमार मीणा के साथ वकीलों द्वारा की गई मारपीट के बाद जब वे न्याय की उम्मीद में लालसोट थाने पहुंचे, तो वहां उनकी FIR तक दर्ज नहीं की गई। यह घटना साफ दिखाती है कि राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार और पुलिस प्रशासन किस हद तक राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं। जब एक

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समरावता प्रकरण में आखिर सरकार किसे बचाना चाहती है? जब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अधिकारियों को दोषी ठहराया, जब माननीय मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा जी ने खुद प्रशासनिक लापरवाही मानी, तो फिर इन अफसरों को क्लीन चिट देने की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या भजनलाल सरकार का काम सच्चाई

समरावता प्रकरण में आखिर सरकार किसे बचाना चाहती है? जब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अधिकारियों को दोषी ठहराया, जब माननीय मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा जी ने खुद प्रशासनिक लापरवाही मानी, तो फिर इन अफसरों को क्लीन चिट देने की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या भजनलाल सरकार का काम सच्चाई
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प्रधानमंत्री Narendra Modi जी के कथित छोटे भाई धीरेंद्र शास्त्री खुलेआम बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को नकारकर देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कर रहे हैं। ये राष्ट्रविरोधी बयान है। अगर यही बात किसी मुसलमान ने कही होती तो अब तक वह जेल में होता।

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पेड़ सिर्फ हमें ऑक्सीजन ही नहीं देते, बल्कि जानवरों और पक्षियों के लिए घर भी बनाते हैं। गर्मियों में जब बाहर का तापमान 45–47 डिग्री तक पहुँच जाता है, तब पेड़ों की छाँव में 5 से 10 डिग्री ठंडक रहती है। इसी वजह से मोर जैसे पक्षी और दूसरे जानवर इनकी छाँव में आराम से रहते हैं। पेड़

पेड़ सिर्फ हमें ऑक्सीजन ही नहीं देते, बल्कि जानवरों और पक्षियों के लिए घर भी बनाते हैं। गर्मियों में जब बाहर का तापमान 45–47 डिग्री तक पहुँच जाता है, तब पेड़ों की छाँव में 5 से 10 डिग्री ठंडक रहती है। इसी वजह से मोर जैसे पक्षी और दूसरे जानवर इनकी छाँव में आराम से रहते हैं। पेड़
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अगर मेरे गाँव में राजीव गांधी जी की शुरू की हुई नवोदय जैसी पाठशाला न खुली होती, तो आज मैं भी गाँव में भैंस चरा रहा होता। उनकी शिक्षा, तकनीक और युवाओं को सशक्त बनाने की सोच हमेशा याद रहेगी। राजीव गांधी जी की जयंती पर मैं उन्हें स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।

अगर मेरे गाँव में राजीव गांधी जी की शुरू की हुई नवोदय जैसी पाठशाला न खुली होती, तो आज मैं भी गाँव में भैंस चरा रहा होता। उनकी शिक्षा, तकनीक और युवाओं को सशक्त बनाने की सोच हमेशा याद रहेगी। राजीव गांधी जी की जयंती पर मैं उन्हें स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
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हमारा सपोटरा आज भी स्वास्थ्य सेवाओं की बुनियादी जरूरतों से जूझ रहा है। सरकारी अस्पताल के हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि मरीजों को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो गया है। डॉक्टरों की कमी, दवाइयों का अभाव और मशीनों के खराब होने से ग्रामीण लोग परेशान हैं। कई बार तो गंभीर मरीजों को जयपुर

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संविधान के 130वें संशोधन विधेयक की आड़ में लोकतंत्र और न्यायपालिका की हत्या की साजिश चल रही है। यह विधेयक संविधान के मूल ढाँचे संघवाद, शक्तियों के पृथक्करण और न्यायिक समीक्षा पर सीधा प्रहार है। यह सुधार नहीं, लोकतंत्र का मृत्यु वारंट है।

संविधान के 130वें संशोधन विधेयक की आड़ में लोकतंत्र और न्यायपालिका की हत्या की साजिश चल रही है। यह विधेयक संविधान के मूल ढाँचे संघवाद, शक्तियों के पृथक्करण और न्यायिक समीक्षा पर सीधा प्रहार है। यह सुधार नहीं, लोकतंत्र का मृत्यु वारंट है।
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सपोटरा उपजिला अस्पताल में कार्यवाहक PMO का यह रवैया बिल्कुल तानाशाही जैसा है। मरीजों की परेशानी दिखाने गए पत्रकार विनोद जांगिड़ को कवरेज रोकने और मुकदमे की धमकी देना बहुत ही गलत है। जनता को सच जानने का हक है और पत्रकार विनोद वही जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मैं इस तरह के व्यवहार की

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बिहार के एक ही गाँव में 55-60 यादव लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब कर दिए गए हैं। यह केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है। ऐसी घटनाएँ दिखाती हैं कि सत्ता और तंत्र किस तरह आम जनता की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं।