देखि मातु आतुर उठि धाई। कहि मृदु बचन लिए उर लाई॥ गोद राखि कराव पय पाना। रघुपति चरित ललित कर गाना॥
यह देखकर माता तुरंत उठ दौड़ीं और कोमल वचन कहकर उन्होंने राम को छाती से लगा लिया। वे गोद में लेकर उन्हें दूध पिलाने लगीं और रघुनाथ (उन्हीं) की ललित लीलाएँ गाने लगीं।