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Sant Rampal Ji Maharaj

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Our race is living being, Humanity is our religion.
Hindu Muslim Sikh Christian, there is no separate religion.

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जो जन गुरु की निंदा करई। सूकर श्वान गरभमें परई।।
गुरु की निंदा सुने जो काना। ताको निश्चय नरक निदाना।।
अपने मुख निंदा जो करई। परिवार सहित नर्क में पड़ही।।
सरलार्थ:- जो शिष्य गुरु जी की निन्दा करता है, उसकी भक्ति समाप्त हो जाती है।

जो जन गुरु की निंदा करई। सूकर श्वान गरभमें परई।। गुरु की निंदा सुने जो काना। ताको निश्चय नरक निदाना।। अपने मुख निंदा जो करई। परिवार सहित नर्क में पड़ही।। सरलार्थ:- जो शिष्य गुरु जी की निन्दा करता है, उसकी भक्ति समाप्त हो जाती है।
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वास्तव में परमात्मा कौन कहलाता है? | Sant Rampal Ji Satsang | SATLOK ASHRAM

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ढाई घंटे सुबह-शाम भक्ति करके मोक्ष दावा करना 'खोखला दावा' है | Sant Rampal Ji

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Sant Rampal Ji Special Sandesh Episode - 39 | विशेष संदेश | जानिए सच्चा सतगुरु कौन? चाणक्य का अंग

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कबीर साहेब जी ही सबके पालनहार हैं | Sant Rampal Ji Satsang | SATLOK ASHRAM

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गुरु से करै कपट चतुराई। सो हंसा भव भरमें आई।।
गुरु से कपट शिष्य जो राखै। यम राजा के मुगदर चाखै।।
सरलार्थ:- जो हंस (भक्त) गुरु जी से कपट युक्त व्यवहार करता है, वह हंस (भक्त) संसार में पुनः पशु-पक्षियों के जीवन प्राप्त करके कष्ट उठाता भटकता रहता है।

गुरु से करै कपट चतुराई। सो हंसा भव भरमें आई।। गुरु से कपट शिष्य जो राखै। यम राजा के मुगदर चाखै।। सरलार्थ:- जो हंस (भक्त) गुरु जी से कपट युक्त व्यवहार करता है, वह हंस (भक्त) संसार में पुनः पशु-पक्षियों के जीवन प्राप्त करके कष्ट उठाता भटकता रहता है।
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कलयुग के इस समय में ही 'विज्ञान का युग' कैसे प्रारंभ हुआ? | Sant Rampal Ji Satsang | SATLOK ASHRAM

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गुरु से शिष्य करै चतुराई। सेवा हीन नर्क में जाई।।
शिष्य होय सरबस नहीं वारै। हिये कपट मुख प्रीति उचारे।।
जो जिव कैसे लोक सिधाई। बिन गुरु मिले मोहे नहिं पाई।।
सरलार्थ:- जो शिष्य गुरु के साथ हेराफेरी (चतुराई) करता है। उसकी सेवा (भक्ति) नष्ट हो जाती है। वह नरक का अधिकारी होता है।

गुरु से शिष्य करै चतुराई। सेवा हीन नर्क में जाई।। शिष्य होय सरबस नहीं वारै। हिये कपट मुख प्रीति उचारे।। जो जिव कैसे लोक सिधाई। बिन गुरु मिले मोहे नहिं पाई।। सरलार्थ:- जो शिष्य गुरु के साथ हेराफेरी (चतुराई) करता है। उसकी सेवा (भक्ति) नष्ट हो जाती है। वह नरक का अधिकारी होता है।
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तन धर सुखियाँ कोई ना देख्या, जो देख्या सो दुखियाँ हो | Sant Rampal Ji Satsang | SATLOK ASHRAM

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