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कविताएं मेरी आत्मा का रस है और इस हृदय भूमि पर मैं नित श्रद्धा पूर्वक नंगें पांव चलता हूं
(साहित्य प्रेमी)

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calendar_today09-11-2022 09:38:57

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हम दोनों नदी के किनारे ही तो हैं साथ साथ चल नहीं सकते किन्तु…. दृग जल के तीव्र वेग को प्रेम स्पर्श से बाँधे रखते हैं प्रेम भावनाओं में तिनके से बहते हुए कभी विरह तपन को मरघट सा सहते हुए __राजेश गौरी #rajeshgauri #छोटा_दरवाज़ा

हम दोनों
नदी के किनारे ही तो हैं 
साथ साथ चल नहीं सकते 
किन्तु…. 
दृग जल के तीव्र वेग को
प्रेम स्पर्श से बाँधे रखते हैं
प्रेम भावनाओं में तिनके से बहते हुए 
कभी विरह तपन को मरघट सा सहते हुए 

__राजेश गौरी  #rajeshgauri 
#छोटा_दरवाज़ा
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वात्सल्य रस में डूबी एक स्वर्ण गागर है । मेरी मां प्रेम का एक छलकता सागर है।। #नवरात्रि ❣️🌻🙏🏼🚩 #rajeshgauri 🌻

वात्सल्य रस में डूबी एक स्वर्ण गागर है ।
मेरी मां प्रेम का एक छलकता सागर है।।

#नवरात्रि ❣️🌻🙏🏼🚩
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💕 हमारी अधूरी कहानी 💕 (@keerti_writes) 's Twitter Profile Photo

आप सभी के स्नेह और साथ से आज मेरी कविता संग्रह प्रकाशित हो चुकी है । यह किताब आपको Amazon और Flipkart पर मिल जाएगी । लिंक शेयर किया है, आप लिंक पर जाकर "Print On Demand" पर क्लिक करके किताब खरीद सकते हैं । Flipkart- flipkart.com/EhsaasonkiRang… Amazon -

आप सभी के स्नेह और साथ से आज मेरी कविता संग्रह प्रकाशित हो चुकी है । यह किताब आपको Amazon और Flipkart पर मिल जाएगी ।
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मधुलिका…“सुकून” (@_sukoon) 's Twitter Profile Photo

जानती हूँ मिथ्या हो तुम मिथ्या है तुम्हारा होना ये सत्य मुझे फिर भी स्वीकार नहीं मेरे लिए क्षितिज का अस्तित्व सत्य है मेरे आसमाँ का रंग नीला है मेरा चाँद सबसे सुंदर है विज्ञान का कोई भी तर्क मेरे सत्य को मिथ्या साबित नहीं कर सकता

कृति काव्य (@kriti_kavya_) 's Twitter Profile Photo

वैसे तो… प्रेम किसी भी शब्द भाव या भाषा का भूखा नहीं है यह गूँगे कंठ से भी मीठे गीत गाता है यह अपूर्णता में भी संपूर्णता की सृष्टि है किन्तु फिर भी … अच्छा लगता है जब दो ह्रदय के बीच सामाजिक विसंगतियों के बावजूद प्रेम बचा रहता है… - राजेश गौरी 🌹

वैसे तो… 
प्रेम किसी भी 
शब्द भाव या भाषा का भूखा नहीं है 
यह गूँगे कंठ से भी मीठे गीत गाता है 
यह अपूर्णता में भी संपूर्णता की सृष्टि है 
किन्तु फिर भी …
अच्छा लगता है 
जब दो ह्रदय के बीच 
सामाजिक विसंगतियों के बावजूद 
प्रेम बचा रहता है…

- राजेश गौरी 🌹
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सुनो तुम पाँव में चुभे काँटों की चिंता मत करो भूखा पेट है यदि फिर भी चलो तुम्हारी आज भूख कल दुनिया का पेट भर सकतीं है किताबों को अपना लो किताबें पूरी दुनिया बदल सकतीं है #rajeshgauri 🌻

मधुलिका…“सुकून” (@_sukoon) 's Twitter Profile Photo

तेरे ख़्यालों की नमी बनी रहे ख़ुद को सिंचतीं हूँ इसलिए …हर रोज़ अँजुरी भर तेरी यादों के नीर से

तेरे ख़्यालों की नमी बनी रहे 

ख़ुद को सिंचतीं हूँ इसलिए 
…हर रोज़ 
अँजुरी भर तेरी यादों के नीर से
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आज भी… मेरी पलकों के आंगन में तुम्हारा प्रतिदिन अपनी उपस्थिति के पदचिह्न छोड़ना सिद्ध करता है तुम्हारा लौटना निश्चित है भले ही… हमारा मिलन हमारी इच्छाओं के अनुकूल ना हो भले ही प्रतीक्षा दिन वर्षों या फिर कल्पों लम्बी हो भले ही… देह निढाल भष्म होकर माटी हो जाए किंतु..

आज भी…
मेरी पलकों के आंगन में 
तुम्हारा प्रतिदिन अपनी उपस्थिति के 
पदचिह्न छोड़ना 
सिद्ध करता है 
तुम्हारा लौटना निश्चित है

भले ही…
हमारा मिलन हमारी इच्छाओं के अनुकूल ना हो 
भले ही प्रतीक्षा 
दिन वर्षों या फिर कल्पों लम्बी हो 
भले ही…
देह निढाल भष्म होकर माटी हो जाए
किंतु..
राध्या (@radhya_s) 's Twitter Profile Photo

स्त्री, देवी,लक्ष्मी,दुर्गा कही गई पर स्वयं को समर्पित कर जिसने तुम्हारा वंश बढ़ाया तुम्हारे घर को घर बनाया.. उसकी आँखों में थी तलाश एक टुकड़ा खुशी पाने की पर तुमने उसे अपूर्ण समझा वो पूर्ण थी.. #स्त्री_शक्ति के हर रुप में प्रेम, परिवार,मर्यादा में और अपने स्त्रीत्व चरित्र में।

राध्या (@radhya_s) 's Twitter Profile Photo

अनकहा मिलन है धरती-आकाश का आकाश की निरव प्रार्थना, धरती की मृदुलता लिए पूर्ण समर्पण। मिट्टी की सुगंध लिए स्नेहिल अपनापन, बरसते मेघों सा भीना अनुभव। इस मिलन को सब नहीं जान पाते, समझ वही पाते हैं जिनके हृदय में प्रेम का प्यासा आकाश और धरती का तृषित हृदय गूंजता है।। #Kavita250

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तुम क्या जानो काव्या का कविता हो जाना अनुभूतियों को बचाकर शब्दों को सजाना कल्पनाओं में जाकर अनुमान लगाना कलम को साधकर आत्मा को लिखना खुद को खोकर पूरी 'कविता' हो जाना... ~काव्याक्षरा🌻

अंकिता🍁 (@parikalita_) 's Twitter Profile Photo

हूँ मैं साँझ की लालिमा अध गगन में मैं दृष्टवत हूँ देखों, मिलन हो रहा धरती-आकाश का उस प्रेम में मैं समाहित हूँ।। _अंकिता🍁 #kavita250

हूँ मैं 
साँझ की लालिमा 
अध गगन में मैं दृष्टवत हूँ
देखों,
मिलन हो रहा
धरती-आकाश का 
उस प्रेम में 
मैं समाहित हूँ।।

_अंकिता🍁
#kavita250
शिविना ❣️ (@shivinasaksena) 's Twitter Profile Photo

मुझसे ज़रा सी दूरी पर वो बाल्कनी में ठहरा हुआ जहाँ अब उसे ठहरना नहीं , टहलना है टहलते-टहलते थक गया पर बैठना नहीं है क्यों? वो खुद भी नहीं जानता बात किसी और की ख़्याल किसी और का चाहत कुछ खोने की उम्मीद कुछ पाने की कितना उलझा हुआ है आखिर ये मन क्यों इतना बेचैन है? शिविना ❣️

मधुलिका…“सुकून” (@_sukoon) 's Twitter Profile Photo

कहते हैं शब्दों की दुनिया असीमित है प्रेम तुम्हारा इसमें भी नहीं समाता

कहते हैं शब्दों की दुनिया असीमित है 
प्रेम तुम्हारा इसमें भी नहीं समाता
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तुमने कहा था तुम निश्चित रहो एक दिन लौटकर आऊँगी मैं…. किन्तु…. इसे निश्चित अवधि के मध्य शेष रह गई थी कुछ अभिलाषाएँ … मैं आज प्यासा बैठा निहारता हूँ एक टक उस डगर को जिसके अंतिम छोर पर धरती और आकाश तो मिलता है किंतु हम दोनों नहीं…. #rajeshgauri #Kavita250 #धरती_आकाश

तुमने कहा था 
तुम निश्चित रहो 
एक दिन लौटकर आऊँगी मैं….
किन्तु….
इसे निश्चित अवधि के मध्य 
शेष रह गई थी
कुछ अभिलाषाएँ …
मैं आज प्यासा बैठा निहारता हूँ 
एक टक 
उस डगर को 
जिसके अंतिम छोर पर 
धरती और आकाश तो मिलता है
किंतु हम दोनों नहीं….

#rajeshgauri 
#Kavita250 #धरती_आकाश
Divya Seth (@divya_sabaa) 's Twitter Profile Photo

मैंने इक शख़्स को तेरी ही तरह चाहा है या ख़ुदा! मुझसा भी दुनिया में गुनहगार न हो -Divya 'sabaa'

मैंने इक शख़्स को तेरी ही तरह चाहा है 
या ख़ुदा! मुझसा भी दुनिया में गुनहगार न हो

-Divya 'sabaa'
मधुलिका…“सुकून” (@_sukoon) 's Twitter Profile Photo

तुम्हारे साथ जो कुछ कदम चल लेती हूँ …मैं जी लेती हूँ तुम्हारे हाथों में जब थाम लेती हूँ अपना हाथ …मैं सुकून से मिलती हूँ तुम्हारे काँधे पर जो रख लेती हूँ अपना सर …मैं सारे ग़म भुला देती हूँ तुम्हें देख लूँ जो कुछ पल तसल्ली से …मैं खुद से मिल लेती हूँ तुमसे जुदा

तुम्हारे साथ जो कुछ 
कदम चल लेती हूँ 
…मैं जी लेती हूँ 

तुम्हारे हाथों में जब
थाम लेती हूँ अपना हाथ 
…मैं सुकून से मिलती हूँ 

तुम्हारे काँधे पर जो 
रख लेती हूँ अपना सर 
…मैं सारे ग़म भुला देती हूँ 

तुम्हें देख लूँ जो 
कुछ पल तसल्ली से 
…मैं खुद से मिल लेती हूँ 

तुमसे जुदा