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Mrinal Pande

@mrinalpande1

Writer, Journalist

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तीन नये देश तो ग़ाज़ियाबादै में उपजे बताए जा रहे हैं ..

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आर्य ललना पहले स्थान पर ! वे भी रोती हैं पर क्या मजाल कि चेहरे का लिश्टिक या नैनों का कजरा तनिकौ फीका हो के बिगड़ जाये !

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ब्रजभामिनी गज गामिनी आमिनी- सामिनी कथा कहत मनभावनी कबहुं देखी सुनी?

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तीसरी पंक्ति सही करें । सही पाठ है : “हार नहीं मानूँगा, रार नई ठानूँगा ।”

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इस बार जिसने भी भीड़ का बंदोबस्त किया उसे अगली बार मौक़ा नहीं दिया जाना चाहिये ।

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हाथ नहीं धोयेंगी ज़रूरत आन पड़ी तो धार धार रोयेंगी पर अश्रुजल न पोंछेंगी न मिटायेंगी बस रूमाल नया ले आयेंगी

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क्योंकि कहते हैं बारह बरस बाद घूरे के दिन फिर जाते हैं ।

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लंदन एयरपोर्ट पर को रो कर भावुक होनेवाला चेहरा यही तो नहीं?

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कथा से सीख मिलती है कि रॉयल बेबी को बेवजह बाँबी में तिनका नहीं डालना चाहिए, जाने कौन क्रोधी बूढ़ा निकल आये ?

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किसी भी अक्षर पर हलंत (्) का चिन्ह लगाने से उस की ध्वनि आधी हो जाती है दूसरे त पर हलंत लगा है त्+ र = त्र आप व्यंग्य करने से पहले व्याकरण के नियम देख लें तो अच्छा है ।

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हे वैशाखनंदन! पाण्डे उपनाम में में ण में हलंत लगता है , प में नहीं !

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इतिहास का घटनाक्रम मानव जीवन की तरह ही हमेशा अपूर्ण रहता है । किसी बड़ी घटना का फ़ौरी विवरण मिल सकता है लेकिन उसका असली मतलब और असर सामने आने में सदी भी गुज़र सकती है। पु. तुष्टीकरण में बड़ी ई की मात्रा लगती है ।

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संस्कृत व्याकरण से ही हिंदी भाषा का बुनियादी ढाँचा बना है। लेखकों के लिये वे दोनों एक दूसरे की पूरक हैं। भाषा का प्रयोग सही है या ग़लत उसकी कसौटी व्याकरण ही है। ।

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चेचक और हैजे से  मरती हैं  बस्तियाँ  कैंसर से  हस्तियाँ  वकील  रक्तचाप से  कोई नहीं  मरता  अपने-पाप से  - श्रीकांत वर्मा

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है दुनियां जिसका नाम मियां, यह और तरह की बस्ती है। जो महंगों को तो महंगी है, और सस्तों को यह सस्ती है। यां हर दम झगड़े उठते हैं, हर आन अदालत बस्ती है। गर मस्त करे तो मस्ती है, और पस्त करे तो पस्ती है। इस हाथ करो उस हाथ मिले, यां सौदा दस्त ब दस्ती(हाथों हाथ)है । - नज़ीर

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न नौ तेल के कुँए मिलेंगे, न गुरुजी राधा जैसे नाचेंगे 😂