कहां चली गई 56 इंच की छाती?
अमेरिका का राष्ट्रपति टैरिफ थोपता है, मोदी जी चूं तक नहीं करते।
आर्थिक तूफान आने वाला है, करोड़ों लोगों को नुक़सान होगा – वे छुप कर बैठे हैं।
बांग्लादेश का प्रधानमंत्री भारत के खिलाफ उल्टा बोलता है, उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता।
जब इंदिरा
ये किसने कह दिया तुमसे कि बस पंचर बनाते हैं
वतन पर हँस के जो कट जायें ऐसे सर बनाते हैं।
उन्हें बुलडोज़रो के बाज़ुओं पर नाज़ है लेकिन
हमारा फर्ज़ है हम बेघरों के घर बनाते हैं।
अजब है कैनवस उनका अजब उनकी कलाकारी
वो जो मंज़र बनाते हैं लहू में तर बनाते हैं।
सिर्फ़ सुरक्षा में चूक से लोगों की जान नहीं गई, गोदी मीडिया की बेईमानी से भी लोग मरे हैं। इस मीडिया ने सुरक्षा को लेकर सवाल करना बंद कर दिया। भाई आप केमिस्ट्री में फेल हो गए उसका जवाब दें। आप गणित में कितना नंबर लाकर दिखा देंगे, इसे लेकर मत फुफकारिए। कहने का मतलब है कि आपने
कुछ दरख़्त हैं जो ताक रहे हैं
एक पहाड़ है जो टूट रहा है
एक कब्र है जिसकी मिट्टी अभी सूखी नहीं है…
ये पहलगाम में मारे गए आदिल की कहानी है। उसके घर में झांक कर देखिए। अपने साथ उसने नफ़रत को दफ़्न करने की कोशिश की है…
कहा था ना, मोदी जी को ‘जाति जनगणना’ करवानी ही पड़ेगी, हम करवाकर रहेंगे!
यह हमारा विज़न है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सरकार एक पारदर्शी और प्रभावी जाति जनगणना कराए। सबको साफ़-साफ़ पता चले कि देश की संस्थाओं और power structure में किसकी कितनी भागीदारी है।
जाति जनगणना विकास का