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Hindinama

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हिन्दीनामा, एक छोटा सा परिवार है। जिसका प्रयास हिन्दी समेत अन्य भाषाओं के हिन्दी अनूदित साहित्य के भिन्न-भिन्न रूपों को आपके समक्ष रखना है।

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लीडर जब आँसू बहा कर लोगों से कहते हैं कि मज़हब ख़तरे में है तो इसमें कोई हक़ीक़त नहीं होती। मज़हब ऐसी चीज़ ही नहीं कि ख़तरे में पड़ सके, अगर किसी बात का ख़तरा है तो वो लीडरों का है जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए मज़हब को ख़तरे में डालते हैं। - सआदत हसन मंटो

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बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने, किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है। - निदा फ़ाज़ली

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ध्यान से सुनो, ऐसा कोई युद्ध नहीं है जो सभी युद्धों का अंत कर दे। -हारूकी मुराकामी

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हमारे बीते हुए का हम पर हमेशा थोड़ा ज़्यादा हक़ होता है, हमारे वर्तमान से। -मानव कौल (अंतिमा)

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होती सीमाहीन क्षितिज से इन पंखों की होड़ा-होड़ी, या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी। नीड़ न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं तो आकुल उड़ान में विघ्न न डालो। - शिवमंगल सिंह सुमन

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काश कोई हम से भी पूछे, रात गए तक क्यूँ जागे हो। - मोहसिन नक़वी

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बाँध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बंधन सजीले? पंथ की बाधा बनेंगे तितलियों के पर रंगीले? विश्व का क्रंदन भुला देगी मधुप की मधुर गुनगुन, क्या डुबो देंगे तुझे यह फूल दे दल ओस गीले? तू न अपनी छाँह को अपने लिये कारा बनाना! जाग तुझको दूर जाना! - महादेवी वर्मा

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मुझे ऐसे टेलीग्राम से बहुत डर लगता है, जब मुझसे पूछा जाता है कि मैं कैसी हूँ! मैं हमेशा यह उत्तर देना चाहती हूँ— ‘मर गई।' ___ - कैथरीन मैन्सफ़ील्ड - अनु. सरिता शर्मा/सदानीरा

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होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है, इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है। - निदा फ़ाज़ली

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घृणा, घृणा करने से कम नहीं होती, बल्कि प्रेम से घटती है, यही शाश्वत नियम है। - गौतम बुद्ध

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तुमसे अलग होकर लगता है सिवा आकारों के कहीं कुछ नहीं है, हर चीज़ टकराती है और बिना चोट किये चली जाती है। - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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यह सच नहीं है कि लोग सपने देखना बंद कर देते हैं क्योंकि वे बूढ़े हो जाते हैं, वे बूढ़े हो जाते हैं क्योंकि वे सपनों का पीछा करना बंद कर देते हैं। -गेब्रियल गार्सिया मार्ख़ेस

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झुलसाया जग ने यह जीवन इतना कि राख भी जलती है, रह गई साँस है एक सिर्फ वह भी तो आज मचलती है, क्या ऐसा भी जलना देखा- जलना न चाहता हूँ लेकिन फिर भी जलता जाता हूँ! चलते-चलते थक गए पैर फिर भी चलता जाता हूँ! - गोपालदास "नीरज"

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परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता, किसी भी आइने में देर तक चेहरा नहीं रहता। बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना, जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता। - बशीर बद्र

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ये मेरा दिल है कि मंज़र उजाड़ बस्ती का, खुले हुए हैं सभी दर मकीं नहीं आता। बिछड़ना है तो बिछड़ जा इसी दो-राहे पर, कि मोड़ आगे सफ़र में कहीं नहीं आता। - शहरयार

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मैं नहीं जानती थी कि क्या और किसे कहूँ कि काया के अंदर एक आसमान होता है और उसकी मोहब्बत का तकाज़ा वह कायनाती आसमान का दीदार माँगता है। -अमृता प्रीतम अनुवाद : अमिया कुँवर

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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया - त्रिलोचन

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प्रेम प्रेम सब कोउ कहै, कठिन प्रेम की फाँस। प्रान तरफि निकरै नहीं, केवल चलत उसाँस॥ - रसखान