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Vijay Rana

@gypsy_rns

Air Marshal(Retd).
Poet by heart,where national interest brews all the time.Environmentalist with focus on climate change, water resource & disaster management.

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calendar_today06-02-2022 12:33:33

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#Kavita250 Hhetal Sswami Abid Zaidi ज़िंदगी की किताब का,हिसाब भी लाज़वाब है कुछ पन्ने खूबसूरत से,कुछ की हालत खराब है  हर क़दम पर ठोकरों की,सीख दर्ज़ है बराबर कहीं बिल्कुल साफ,कहीं धुंधलके का नक़ाब है  हर किसी किताब की कहानी दिलचस्प है बड़ी  कांटे,खुशबू,खूबसूरती भी,मानो कोई गुलाब है #Kavita250 #wandering_gypsy_rns

<a href="/KavitaTwoFifty/">#Kavita250</a> <a href="/hetalswami/">Hhetal Sswami</a> <a href="/AbidZaidi1/">Abid Zaidi</a> ज़िंदगी की किताब का,हिसाब भी लाज़वाब है
कुछ पन्ने खूबसूरत से,कुछ की हालत खराब है 
हर क़दम पर ठोकरों की,सीख दर्ज़ है बराबर
कहीं बिल्कुल साफ,कहीं धुंधलके का नक़ाब है 
हर किसी किताब की कहानी दिलचस्प है बड़ी 
कांटे,खुशबू,खूबसूरती भी,मानो कोई गुलाब है
#Kavita250 
#wandering_gypsy_rns
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#Kavita250 तुमसे, तुम्हारी बातें .. गरिमा तिवारी 🌱 भारती बिंदु डॉ.नीतू शर्मा अंकिता🌚 Shabnam Saumya Srivastava Udai Prakash नवनीत Abid Zaidiभाई, इस विषय पर लिखना बहुत कठिन था.आक्रोश को सहज शब्दों में कह पाना उतना ही मुश्किल था,जितना मुश्किल खुद को संभालना.मन चाहता था ऐसे दरिंदों के लिये गंदे से गंदे शब्दों का इस्तेमाल करना,लेकिन साहित्यिक मजबूरियाँ और पीड़िता के लिये संवेदना ने हाथ रोक दिए.#drmaumita🙏

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कुछ आड़े तिरछे,बिखरे छितरे #शब्द पड़े थे उन्हें पिरो कर उसने प्यारी ग़ज़ल बना दी चीरकर शब्दों की पथरीली बंजर धरती को कविताओं की लहलहाती फसल उगा दी कठिन से #शब्द जो रूठे बैठे अलग थलग थे गीतों की माला सीधी साधी सरल बना दी गीतों की इक महफ़िल प्यारी उसने सजा दी #saras

कुछ आड़े तिरछे,बिखरे छितरे #शब्द पड़े थे 
उन्हें  पिरो  कर उसने प्यारी ग़ज़ल बना दी 

चीरकर शब्दों की पथरीली बंजर धरती को 
कविताओं की लहलहाती  फसल  उगा  दी 

कठिन से #शब्द जो रूठे बैठे अलग थलग थे
गीतों की  माला  सीधी साधी सरल बना दी 

गीतों की इक महफ़िल प्यारी उसने सजा दी 
#saras
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मौन की #भाषा है अपनी  पर कोई #परिभाषा नहीं  मौन के हैं #शब्द अपने  पर मौन की #व्याख्या नहीं  मौन में परिलक्षित #शब्द  जो जानते पहचानते हैं  #भाषा की उनको क्या जरूरत वो आँखों की #भाषा जानते हैं  झंकार मूक शब्दों की भी जो सुनते हैं वो जानते हैं  #सरस

मौन की #भाषा है अपनी 
पर कोई #परिभाषा नहीं 
मौन के हैं #शब्द अपने 
पर मौन की #व्याख्या नहीं 
मौन में परिलक्षित #शब्द 
जो जानते पहचानते हैं 
#भाषा की उनको क्या जरूरत
वो आँखों की #भाषा जानते हैं 
झंकार मूक शब्दों की भी 
जो सुनते हैं वो जानते हैं 
#सरस
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कभी तलवार तो कभी सुई ज़रूरी है हर किसी के बगैर ज़िन्दगी #अधूरी है सूरज बगैर दिन का कोई वज़ूद नहीं तारों की चमक नहीं तो रात अधूरी है माँ,बाप,परिवार हों या सगे सम्बंधी ज़िन्दगी का हर रिश्ता यहां ज़रूरी है प्यार को अन्जाम तक ले जाना है गर छोटी छोटी चिल्लपों भी यहाँ ज़रूरी हैं #सरस

कभी तलवार तो कभी सुई ज़रूरी है
हर किसी के बगैर ज़िन्दगी #अधूरी है
सूरज बगैर दिन का कोई वज़ूद नहीं
तारों की चमक नहीं तो रात अधूरी है
माँ,बाप,परिवार हों या सगे सम्बंधी 
ज़िन्दगी का हर रिश्ता यहां ज़रूरी है
प्यार को अन्जाम तक ले जाना है गर
छोटी छोटी चिल्लपों भी यहाँ ज़रूरी हैं 
#सरस
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#Kavita250 फूल पलाश के ले आना धवल सी चुनर उढ़ाकर  तारों के गोटे सजाकर  रात्रि का #श्रृंगार करती  चाँदनी चंचल निगोड़ी  रात शरमाई सी बैठी  अपने अपने में गुमसुम  करती उससे ठिठोली  चाँदनी चंचल निगोड़ी  सहेली के #श्रृंगार को  रात्रि के श्यामल बदन को  अपने चाँद सी सजाती  चाँदनी चंचल निगोड़ी  #Kavita250

<a href="/KavitaTwoFifty/">#Kavita250</a> <a href="/Saphhire_Fire/">फूल पलाश के ले आना</a> धवल सी चुनर उढ़ाकर 
तारों के गोटे सजाकर 
रात्रि का #श्रृंगार करती 
चाँदनी चंचल निगोड़ी 

रात शरमाई सी बैठी 
अपने अपने में गुमसुम 
करती उससे ठिठोली 
चाँदनी चंचल निगोड़ी 

सहेली के #श्रृंगार को 
रात्रि के श्यामल बदन को 
अपने चाँद सी सजाती 
चाँदनी चंचल निगोड़ी 

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सूखे भी हों दरख्त तो क्या घोंसले को सहारा तो है... #wandering_gypsy_rns

सूखे भी हों दरख्त तो क्या 
घोंसले  को  सहारा  तो  है...

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रात्रि का #श्रृंगार करती चाँदनी चंचल निगोड़ी....

रात्रि का #श्रृंगार करती 
चाँदनी  चंचल  निगोड़ी....
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#HimalayUnnatiMission (HUM) is celebrating the 'Himalaya Day' tomorrow with all its 110 partners, schools, institutions and associates in entire Himalayan region. Join us to celebrate the spirit of Himalayas between 8:00 AM to 10:30 AM on 09th Sep tinyurl.com/HimalayaDay

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#Kavita250 वो ज़माने हुए नदारत बादशाहत थी बटुये की  अब तो उँगलियों पर ही  आ बैठी है दौलत सारी  उंगलियों को थी मोहब्बत  बटुये में क़ैद पैसों से  अब उँगली के छूने से  छूमंतर दौलत सारी  कितना अंतरंग था बटुआ  अपनों की तस्वीरों के संग  अब बना है तस्वीर खुद ही उधड़ा जिस्म मन भारी भारी  #Kavita250

<a href="/KavitaTwoFifty/">#Kavita250</a> वो ज़माने हुए नदारत
बादशाहत थी बटुये की 
अब तो उँगलियों पर ही 
आ बैठी है दौलत सारी 
उंगलियों को थी मोहब्बत 
बटुये में क़ैद पैसों से 
अब उँगली के छूने से 
छूमंतर दौलत सारी 
कितना अंतरंग था बटुआ 
अपनों की तस्वीरों के संग 
अब बना है तस्वीर खुद ही
उधड़ा जिस्म मन भारी भारी 
#Kavita250
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Himalay Day celebration with a difference... Celebrated by the real stakeholders for their own sake.... We need such movemwnt to protect our protector.. #Himalayas #himalayunnatimission #savehimalayas