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Gyandutt Pandey

@gyandutt

Reverse migrated for 2nd innings to a Village near the Ganga River.
Cycling daily. Fitter now!
Past - Head Of Deptt in Indian Rly.
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monk (@archnaverma) 's Twitter Profile Photo

Gyandutt Pandey Ramsewak ji ka ye idea bangkok mei bhot prchlit hai.... waha aise use n throw raincoat transports mei free distribution ke liye rkhe jate hai... ramsewak ji yha maligiri nhi pariwarik smwad ke liye aate hai... thank you for being so welcoming Mr Pande.

young achiever! (@kiritnatural) 's Twitter Profile Photo

Gyandutt Pandey रेलवे की नौकरी में हमें करीब रोज ही रेल पर सही पक्का नाप लिखना होता था।साथ में रंग सफेद,ब्रश,केरोसिन,जूट, लेकर चलना दुखदाई होता था।ब्रश सूख जाता है।जुगाड था जंगल में किसी भी टहनी का ताज़ा दातुन बनाकर काम में लेना। फिर फैक देना। सिर्फ छोटी डिबिया में थोड़ा रंग साथ रखने का।चौक भी।

Batman (Retired) (@brucekumarwayne) 's Twitter Profile Photo

Gyandutt Pandey Pandey ji, reading your posts gives me same feeling as sitting with an elderly of neighbourhood and talking about general things. Nobody does that anymore, not on social media and not much in real life. Love reading your anecdotes and observations, just wanted you to know that🙏🏻

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#पौधचर्चा 15 - टगर या चांदनी चांदनी के नाम से हमारे घर में तीन झाड़ियां गिनाई पत्नीजी ने। एक चांदनी, दूसरी चाइनीज चांदनी और तीसरी यह। रामसेवक जी इसे ले कर आये तो इसका नाम बताया गंधराज। छानने पर इसका नाम मिला टगर या चांदनी। इसे क्रेप जैस्मिन भी कहा जाता है। वैज्ञानिक नाम काफी

#पौधचर्चा 15 - टगर या चांदनी 

चांदनी के नाम से हमारे घर में तीन झाड़ियां गिनाई पत्नीजी ने। एक चांदनी, दूसरी चाइनीज चांदनी और तीसरी यह। रामसेवक जी इसे ले कर आये तो इसका नाम बताया गंधराज। 

छानने पर इसका नाम मिला टगर या चांदनी। इसे क्रेप जैस्मिन भी कहा जाता है। वैज्ञानिक नाम काफी
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उत्तराखंड के भूस्खलन और तबाही की खबर दिल दहलाने वाली है। नुक्सान का या हताहतों का कोई आंकड़ा नहीं। और कोई अदृश्य ताकत यह चाहती भी नहीं कि लोग आंकड़े जानें। स्विट्जरलैंड, जापान, भूटान या न्यूजीलैंड में भी हिमालय से अस्थिर पहाड़ हैं और वहां आने वाले सैलानी भी हैं। पर उन देशों में

उत्तराखंड के भूस्खलन और तबाही की खबर दिल दहलाने वाली है। नुक्सान का या हताहतों का कोई आंकड़ा नहीं। और कोई अदृश्य ताकत यह चाहती भी नहीं कि लोग आंकड़े जानें।
 
स्विट्जरलैंड, जापान, भूटान या न्यूजीलैंड में भी हिमालय से अस्थिर पहाड़ हैं और वहां आने वाले सैलानी भी हैं। पर उन देशों में
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भारत में बाबु शाही पर्यटन देशाटन और तीर्थाटन में भेद जानती ही नहीं है, अभी तक जितने वरिष्ठ बाबु जमात से बात हुई है उन्हें या तो समझ नहीं आता है या समझते है तो ये भी समझते हैं कि बेकार की माथाफोड़ी क्यों करें. नेताओं के पास समय साहस का अभाव और उनकी समस्याएं बड़ी होती हैं.

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#पौधचर्चा 19 - मैडागास्कर ड्रैगन ट्री घर के एक ओर लगा है यह पौधा। एक और थोड़ा अलग सा लाल या गुलाबी शेड वाला पौधा मेरे मित्र रमेश कुमार जी ने दिया। इस मेडागास्कर के पौधे के मामले में हम धनी हो गये हैं। इस पौधे का नाम है - ड्रेसेना मार्जिनाटा (Dracaena marginata) अर्थात कगार का

#पौधचर्चा 19 - मैडागास्कर ड्रैगन ट्री

घर के एक ओर लगा है यह पौधा। एक और थोड़ा अलग सा लाल या गुलाबी शेड वाला पौधा मेरे मित्र रमेश कुमार जी ने दिया। इस मेडागास्कर के पौधे के मामले में हम धनी हो गये हैं। 

इस पौधे का नाम है - ड्रेसेना मार्जिनाटा (Dracaena marginata) अर्थात कगार का
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Gyandutt Pandey आप घर मे रहते हैं और नारी सौंदर्य आदि विषयों में रुचि नहीं रखते ,ना कोई बुरी लत है, और क्या चाहिए। परन्तु कभी कभी गांव में भी भ्रमण कर आएं। कुछ नयी सामग्री के साथ लौटें।

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मैंने स्वामी चिन्मयानन्द जी का लिखा और कहा पसंद किया - वे बिट्स पिलानी में हमारे विजिटिंग फेकल्टी भी थे. हमारी क्लास में आठ दस लेक्चर भी उन्होंने लिए थे. अब दंडपाणि जी को सुन रहा हूं. वे अमरीकी गुरु हैं. पर उनका कहा भी आनंददायक लग रहा है! 😊 ❤️ Listen to The Power of Unwavering

मैंने स्वामी चिन्मयानन्द जी का लिखा और कहा पसंद किया - वे बिट्स पिलानी में हमारे विजिटिंग फेकल्टी भी थे. हमारी क्लास में आठ दस लेक्चर भी उन्होंने लिए थे.
अब दंडपाणि जी को सुन रहा हूं. वे अमरीकी गुरु हैं. पर उनका कहा भी आनंददायक लग रहा है! 😊 ❤️ 

Listen to The Power of Unwavering
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#पौधचर्चा 20 - सदाबहार सदाबहार का वानस्पतिक नाम Catharanthus roseus है। इसे हिंदी में नयनतारा, सदा सुखी, या मदागास्कर पेरिविंकल भी कहते हैं। इसके पहचान के अंग हैं - फूल: पाँच पंखुड़ियों वाले, आमतौर पर गुलाबी, बैंगनी, सफेद या मिश्रित रंगों के होते हैं। दी गई तस्वीर में यह

#पौधचर्चा 20 - सदाबहार

सदाबहार का वानस्पतिक नाम Catharanthus roseus है। इसे हिंदी में नयनतारा, सदा सुखी, या मदागास्कर पेरिविंकल भी कहते हैं।

इसके पहचान के अंग हैं - 
फूल: पाँच पंखुड़ियों वाले, आमतौर पर गुलाबी, बैंगनी, सफेद या मिश्रित रंगों के होते हैं। दी गई तस्वीर में यह
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#पौधचर्चा 21 - सिंगोनियम या तीर पत्ता यह मध्य और दक्षिण अमेरिका के वर्षा वनों का सिंगोनियम पोडोफायलम Syngonium podophyllum है। इसे भारत में सिंगोनियम या तीर पता कहते हैं। इसकी पत्तियां तीर के आकार की होती हैं। कई जगह है हमारे घर में - गमलों में और जमीन में भी। आज जब बारिश हो

#पौधचर्चा 21 - सिंगोनियम या तीर पत्ता 

यह मध्य और दक्षिण अमेरिका के वर्षा वनों का सिंगोनियम पोडोफायलम Syngonium podophyllum है। इसे भारत में सिंगोनियम या तीर पता कहते हैं। इसकी पत्तियां तीर के आकार की होती हैं। 

कई जगह है हमारे घर में - गमलों में और जमीन में भी। आज जब बारिश हो
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सेक्युलर मीडिया राहुल जी की हां में हां मिला रहा है, पर जो वे कह रहे हैं, उसे शपथ पर कहने की बात पर क्यों मटिया रहा है? शपथ के लिये बहुत इफ एंड बट लगा रहे हैं वे लोग; पर यह भी तो है कि माननीय बहुत बार बिना सबूत बोलते और फिर पीछे हटते पाये गये हैं।

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#पौधचर्चा 22 - कोचिया कोचिया या कोछिया, जिसे समर साइप्रेस (Summer Cypress) भी कहते हैं, एक वार्षिक पौधा (annual plant) है। यह अपनी घनी, झाड़ीदार और गोल आकृति के लिए जाना जाता है। गर्मियों में इसकी पत्तियाँ चमकीली हरी होती हैं। कोचिया का वनस्पति शास्त्र में (बोटानिकल) नाम

#पौधचर्चा 22 - कोचिया

कोचिया या कोछिया, जिसे समर साइप्रेस (Summer Cypress) भी कहते हैं, एक वार्षिक पौधा (annual plant) है। यह अपनी घनी, झाड़ीदार और गोल आकृति के लिए जाना जाता है। गर्मियों में इसकी पत्तियाँ चमकीली हरी होती हैं।

कोचिया का वनस्पति शास्त्र में (बोटानिकल) नाम
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>>> बरियापुर और नीलकंठ की रचना क्यों? <<< बहुत से लेखकों ने अपनी रचनाधर्मिता के लिये पात्र और स्थान रचे हैं। आर के नारायण ने मालगुड़ी की रचना की। मालगुड़ी बंगलोर के दो स्थानों मल्लेश्वरम और बसवानगुड़ी का फ्यूज़न है। मालगुड़ी बनाया और साथ में ढेरों पात्र आये। उन सब के माध्यम से

&gt;&gt;&gt; बरियापुर और नीलकंठ की रचना क्यों? &lt;&lt;&lt;

बहुत से लेखकों ने अपनी रचनाधर्मिता के लिये पात्र और स्थान रचे हैं। आर के नारायण ने मालगुड़ी की रचना की। मालगुड़ी बंगलोर के दो स्थानों मल्लेश्वरम और बसवानगुड़ी का फ्यूज़न है। मालगुड़ी बनाया और साथ में ढेरों पात्र आये। उन सब के माध्यम से