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Dr Surendra Kumar Pandey

@drsurendra_12

I.A.S (Retd) -UP Member District Consumer Dispute Redressal Commission ,Varanasi ,M.A D.Phil Authored 29 Books in Hindi & Sanskrit

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calendar_today21-12-2021 07:27:09

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दयया सर्वभूतेषु सन्तुष्ट्या येन केन वा । सर्वेन्द्रियोपशान्त्याचतुष्यत्याशुजनार्दन:।। सभी जीवों पर दया करना , जो मिला है उससे सन्तुष्ट होना और सभी इन्द्रियों का निग्रह करना सीखो तो फिर भगवान् श्रीविष्णु आप पर तुरन्त प्रसन्न हो जायेगें ।

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नमस्तेsस्तु विरूपाक्ष सर्वभूतहिताय च । ज्ञानमूर्तिविशुद्धाय कृत्तिवासाय वेधसे । ॐनमः शिवाय। आशुतोष शिव आपका मंगल करें। आपका अभीष्ट सिद्ध हो। आपका आध्यात्मिक और भौतिक अभ्युदय हो। शुभ रात्रि ।

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जयति सुग्रीव -ऋक्षादि - रक्षण - निपुण बालि - बलशालि - बध - मुख्यहेतू। जलधि - लंघन सिंह सिंहिका -मद-मथन रजनिचर - नगर - उत्पात - केतू।। विनय-पत्रिका, ॐ हं हनुमते नमः। हनुमान जी आप पर कृपा करें ।आपका मनोरथ पूर्ण हो शुभ प्रभात ।मंगलमय मंगलवार । आपका दिन मंगलमय हो ।

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दूसरों का भी वह अन्न मत स्वीकार करो जो छल कपट की कमाई का हो। उस अन्न को स्वीकार करना उसके पापों को स्वीकार करना है। क्योंकि पाप का निवास अन्न में होता है। दुष्कृतं हि मनुष्याणां अन्नं आश्रित्य तिष्ठति‌। यो यस्यान्नं समश्नाति स तस्याश्नाति किल्बिषम्।। अंगिरा स्मृति।

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जयत्यंजनी-गर्भ-अंभोधि-संभूत विधु विबुध- कुल- कैरवानंदकारी। केसरी-चारु-लोचन-चकोरक-सुखद, लोकगन- शोक- संतापहारी।। महावीर हनुमान जी आपकी रक्षा करें । आपको विजय और यश दिलायें । शुभ रात्रि ।

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चित्ररत्नविचित्राङ्गंचित्रमालाविभूषितम् कामरूपधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम्। गजवक्त्रं सुरश्रेष्ठं चारुकर्णविभूषितम् पाशांकुशधरंदेवं वन्देऽहंगणनायकम्।। ॐगं गणपतये नमः । श्रीगणेश जी की कृपा आपको प्राप्त हो ।आपका मनोरथ पूर्ण हो । शुभ प्रभात मंगलमय बुधवार ।

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अभयं यस्य भूतेभ्य:सर्वेषामभयं यत :। स वै परिणतप्रज्ञ:प्रख्यातो मनुजोत्तम:। महाभारत। जिसे समस्त प्राणियों से निर्भयता प्राप्त हो गयी है तथा जिससे समस्त प्राणियों का भय दूर हो गया हो,वह परिपक्व बुद्धि वाला और मनुष्यों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।

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अशेषविघ्नप्रतिषेधदक्षो मन्त्राक्षतानामिव दिङ्मुखेषु। विक्षेपलीलाकरशीकराणां करोतु व: प्रीतिमिभाननस्य।। श्रीगणेश जी की कृपा आपको सदैव प्राप्त हो । आप शतायु , स्वस्थ और सुखी रहें । शुभ दोपहर ।

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यत:सत्यं यतो धर्मो यतो ह्रीरार्जवं यत:। ततो भवति गोविन्दो यत: कृष्ण:ततो जय:।। महाभारत उद्योग पर्व। जिस ओर सत्य, धर्म, लज्जा और सरलता है,उसी ओर भगवान् श्रीकृष्ण रहते हैं, और जहां भगवान् श्रीकृष्ण हैं, वहीं विजय है।

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वेदान्तवेद्मं जगतामधीशं देवादिवन्द्यं सुकृतैकगम्यम्। स्तम्बेरमास्यं नवचन्द्रचूडं विनायकं तं शरणं प्रपद्ये।। ॐ लम्बोदराय नमः । महागणपति आपका मंगल करें । आपके योग क्षेम का वहन करें । शुभ रात्रि ।

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ॐ नमो भगवते तस्मै केशवाय महात्मने यन्नामकीर्तनात्सद्योनरकाग्नि: प्रशाम्यति। भक्तिप्रियाय देवाय रक्षाय हरये नम: लोकनाथायशान्ताय यज्ञेशायादिमूर्तये।।अनन्तायाप्रमेयाय नरसिंहाय ते नमः श्रीविष्णु आपका मंगल करें । शुभ प्रभात मंगलमय गुरुवार ।

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माणिक्यवीणामुपलालयन्तीं मदालसां मंजुलवाग्विलासाम्। माहेन्द्रनीलद्युतिकोमलांगीं मातंगकन्यां मनसा स्मरामि। माँ पार्वती आपको समस्त सुख,समृद्धि और ऐश्वर्य दें ।आप यशस्वी , स्वस्थ और शतायु हों । मंगल प्रभात शुभ शुक्रवार ।

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सत्यव्रतं सत्यपरं त्रिसत्यं सत्यस्य योनिं निहितं च सत्ये। सत्यस्य सत्यमृतसत्यनेत्रं सत्यात्मकं त्वां शरणं प्रपन्नाः सत्यव्रत,सत्यपारायण,त्रिकालसत्य, सत्यस्वरूप,संसारके उद्भवस्थान,सत्य में निहित हैं सत्य औरऋत जिनके नेत्र हैं, उन सत्य के भी सत्य, सत्यस्वरूपहे नारायणहमआपकीशरणमेंहैं

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मातुलो यस्य गोविन्दः पिता यस्य धनञ्जयः । अभिमन्युर्वधं प्राप्तः कालस्य कुटिला गतिः।। नराभरणम्। श्रीकृष्ण जिसके मामा थे और अर्जुन पिता, उस अभिमन्यु का (भी) वध हुआ । काल की गति कुटिल है (अर्थात् उसे समझना कठिन है) ।

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कान्तावियोग: स्वजनापमानं ऋणस्य शेष: कुजनस्य सेवा। दारिद्र्यभावाद् विमुखाश्च मित्रा विनाग्निना पञ्च दहन्ति तीव्रा:।। पत्नी वियोग, स्वजनों के द्वारा अपमान, शेष ऋण, दुर्जन सेवा तथा दरिद्रता के कारण मित्रों की विमुखता - ये पांच बातें मनुष्य को बिना अग्नि के हीं जलाती हैं।

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श्वेताम्बरधरे देविनानालंकारभूषिते l जगत्स्थिते जगन्मात:महालक्ष्मि नमोस्तुते। हे देवि !श्वेतवस्त्र धारण करनेवालीऔर नानाप्रकार के आभूषणों से विभूषिता हो।सम्पूर्णविश्व में व्याप्त एवं अखिललोक को जन्मदेने वाली हो lहेमहालक्ष्मीतुम्हें प्रणाम है l सभीमित्र सुखी,औरसमृद्ध हों शुभरात्रि

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य उदगान्महतोऽर्णवात् विभ्राजमान: सलिलस्य मध्यात्। स मा वृषभो लोहिताक्ष: सूर्यो विपश्चिन्मनसा पुनातु।। तैत्तिरीय संहिता । ॐ घृणि:सूर्याय नमः। श्री सूर्यदेव आपको आयु, सौभाग्य, सुख ,, यश और आरोग्य दें । मंगल प्रभात शुभ रविवार ।

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द्विषदन्नं न भोक्तव्यं द्विषन्तं नैव भोजयेत्। महाभारत में श्री कृष्ण का वचन। जो द्वेष रखता हो,उसका अन्न नहीं खाना चाहिए।द्वेष रखने वाले को खिलाना भी नहीं चाहिए।

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उद्यन्नद्य मित्रमह आरोहन्नुत्तरां दिवम्। हृद्रोगं मम सूर्य हरिमाणं च नाशय।। उद्यन्नद्येति मन्त्रोsयं सौर:पापप्रणाशन:। रोगघ्नश्च विषघ्नश्च भुक्तिमुक्तिफलप्रद:। भुवन भास्कर आपका तापत्रय दूर करें शुभ दोपहर।

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न चातिप्रणयः कार्यः कर्त्तव्योप्रणयश्च ते। उभयं हि महान् दोषस्तस्मादन्तरदृग्भव। बालि का अंगद कोउपदेश – तुम किसी से अधिक प्रेम या अधिक वैर न करना, क्योंकि दोनों ही अत्यन्त अनिष्टकारक होते हैं, सदा मध्यम मार्ग का ही अवलम्बन करना।