ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्!
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्!!
भावार्थ...!
मैं त्रिनेत्र धारी भगवान शिव की पूजा करता हूं जो सुगंधित, पुष्टि और वर्धन करने वाले हैं जैसे केले का तना अपने बंधनों से मुक्त हो जाता है, वैसे ही मुझे मृत्यु के बंधनों से
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा:!
गुरु साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:!!
गुरू ही ब्रह्मा गुरू ही विष्णु गुरूदेव ही शिव हैं तथा गुरूदेव ही साक्षात् साकार स्वरूप आदिब्रह्म हैं मैं उन्हीं गुरूदेव को नमस्कार करता हूं!
ब्रह्मा विष्णु महेश की जय 🙏
सुबह-सुबह की सैर न सिर्फ शरीर को ताजगी देती है बल्कि मन को भी शांति और ऊर्जा से भर देती है। ठंडी हवा पक्षियों की चहचहाहट उगते सूरज की किरणें और हरियाली से भरा वातावरण दिन की एक सुंदर शुरुआत बनाते हैं।
स्वास्थ्यवर्धक – हृदय फेफड़े और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
मानसिक शांति