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Ashish Netam

@ashishnetam750

जय जोहार 🙏🏻

जय भीम ✊

🌳 प्रकृति जोहार 🌿

proud to be Indigenous ❤️

✊🏻मावा नाटे मावा राज💪🏻

ID: 1184714432494088193

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यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल कांकेर जिले की सच्चाई को उजागर करती है, जहां विकास की बड़ी-बड़ी बातें तो होती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है। वीडियो में एक ग्रामीण व्यक्ति पीठ पर बोरा उठाकर नदी पार कर रहा है, वह भी अधूरे और खतरनाक पुल के सहारे। यह दृश्य दिखाता है कि

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मालती मुर्मू पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले के एक सुदूर आदिवासी गाँव जिलिंग सेरेंग की रहने वाली हैं, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। लॉकडाउन के दौरान जब बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बंद हो गई, तब मालती ने अपने घर को स्कूल बना दिया और अपने दो महीने के बच्चे को गोद

मालती मुर्मू पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले के एक सुदूर आदिवासी गाँव जिलिंग सेरेंग की रहने वाली हैं, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। लॉकडाउन के दौरान जब बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बंद हो गई, तब मालती ने अपने घर को स्कूल बना दिया और अपने दो महीने के बच्चे को गोद
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Happy 1st Birthday to your dear Bhanji! 🎂🥳🎊🎉🎁🎈🌺🌹 On your special day, I wish you a lifetime of smiles, a heart full of dreams, and adventures that make every moment worth living. Have a fantastic birthday and an even more incredible year!

Happy 1st Birthday to your dear Bhanji! 🎂🥳🎊🎉🎁🎈🌺🌹

On your special day, I wish you a lifetime of smiles, a heart full of dreams, and adventures that make every moment worth living. Have a fantastic birthday and an even more incredible year!
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आदिवासी न पहले कभी हिंदू थे, न अब हैं। उनकी आस्था, परंपरा और पहचान अलग है। आदिवासियों को जबरन हिंदू कहना उनकी संस्कृति और अस्तित्व का अपमान है।

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दक्षिण अफ्रीका की थेंबू आदिवासी जनजाति में जन्मे नेल्सन मंडेला ने अपने समाज को बचपन से ही अपमान, भेदभाव और शोषण का शिकार बनते देखा। रंगभेद की क्रूर नीति ने काले और गोरे लोगों के बीच ऐसी खाई बना दी थी, जिसमें न्याय, समानता और इंसानियत की सारी उम्मीदें डूबती जा रही थीं। लेकिन

दक्षिण अफ्रीका की थेंबू आदिवासी जनजाति में जन्मे नेल्सन मंडेला ने अपने समाज को बचपन से ही अपमान, भेदभाव और शोषण का शिकार बनते देखा। रंगभेद की क्रूर नीति ने काले और गोरे लोगों के बीच ऐसी खाई बना दी थी, जिसमें न्याय, समानता और इंसानियत की सारी उम्मीदें डूबती जा रही थीं। लेकिन
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"दिल ये आदिवासी है, जंगलों का वासी है" मगर यही दिल आज सबसे अधिक कुचला जा रहा है। बस्तर जैसे इलाकों में सरकारें विकास के नाम पर आदिवासियों की ज़मीनें हड़प रही हैं, कॉरपोरेट कंपनियों के लिए जंगल उजाड़े जा रहे हैं, और जिस भूमि को आदिवासी माँ मानते हैं, उसी को उनसे छीना जा रहा है।

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‘जो जंगलों की ख़ामोशी सुनते हैं, वही आदिवासियों की पीड़ा समझते हैं।’ इस भावना को शब्दों में पिरोती है पत्रकार अंकित पचौरी की किताब ‘आदिवासी रिपोर्टिंग’, जो केवल एक पत्रकारिता दस्तावेज़ नहीं, बल्कि आदिवासी जीवन की गहराइयों से उठती सच्ची आवाज़ है। द मूकनायक से जुड़े अंकित ने

‘जो जंगलों की ख़ामोशी सुनते हैं, वही आदिवासियों की पीड़ा समझते हैं।’ इस भावना को शब्दों में पिरोती है पत्रकार अंकित पचौरी की किताब ‘आदिवासी रिपोर्टिंग’, जो केवल एक पत्रकारिता दस्तावेज़ नहीं, बल्कि आदिवासी जीवन की गहराइयों से उठती सच्ची आवाज़ है। द मूकनायक से जुड़े अंकित ने
छत्तीसगढ़ प्रशिक्षित डीएड एवं बीएड संघ रायपुर (@cgdedbedsangh) 's Twitter Profile Photo

ये Vishnu Deo Sai के सुशासन का परिणाम है ! स्कूलों में शिक्षको के 37 हजार से ज्यादा पदों को समाप्त कर शिक्षा स्तर में गुणवत्ता लाने की बाते कही जा रही है। ये नही कहा जा रहा है कि कुछ फ्लैगशिप योजना के कारण सरकार दिवालिया होने के कगार पर है। बेरोजगार युवाओं की आंखे पथरा गई है 57000

ये <a href="/vishnudsai/">Vishnu Deo Sai</a> के सुशासन का परिणाम है !
स्कूलों में शिक्षको के 37 हजार से ज्यादा पदों को समाप्त कर शिक्षा स्तर में गुणवत्ता लाने की बाते कही जा रही है।
ये नही कहा जा रहा है कि कुछ फ्लैगशिप योजना के कारण सरकार दिवालिया होने के कगार पर है।
बेरोजगार युवाओं की आंखे पथरा गई है 57000
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जम्मो किसान भाई-बहनी और सब्बो संगवारी मन ला छत्तीसगढ़ के पहिली तिहार हरेली के गाड़ा-गाड़ा बधाई🌾🌿 #हरेली_तिहार

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यह तस्वीर राजस्थान के डूंगरपुर जिले के आदिवासी बहुल तलैया गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की है, जहाँ बच्चे जर्जर भवन के बाहर ज़मीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। एक ओर मंदिरों की सजावट और निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे स्कूल आज भी मूलभूत

यह तस्वीर राजस्थान के डूंगरपुर जिले के आदिवासी बहुल तलैया गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की है, जहाँ बच्चे जर्जर भवन के बाहर ज़मीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। एक ओर मंदिरों की सजावट और निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे स्कूल आज भी मूलभूत
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यह तस्वीर बांसवाड़ा जिले के कड़वा आमरी गांव की है, जहां कभी पुलिया हुआ करती थी, लेकिन अब आदिवासी बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं। पांच साल पहले पुलिया टूट गई थी, तब अस्थायी रपट बनाई गई थी, लेकिन वह भी बारिश में बह गई। अब हालात यह हैं कि बच्चे ट्यूब और

यह तस्वीर बांसवाड़ा जिले के कड़वा आमरी गांव की है, जहां कभी पुलिया हुआ करती थी, लेकिन अब आदिवासी बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं। पांच साल पहले पुलिया टूट गई थी, तब अस्थायी रपट बनाई गई थी, लेकिन वह भी बारिश में बह गई। अब हालात यह हैं कि बच्चे ट्यूब और
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झालावाड़ के सरकारी स्कूल हादसे में मारे गए बच्चों के नाम: 1. पायल भील 2. प्रियंका भील 3. हरीश भील 4. कुंदन भील 5. कान्हा भील स्कूल हादसे में मारे गए 99% बच्चे आदिवासी और बाकी दलित, पिछड़े समुदाय से थे। यह सिर्फ़ एक हादसा नहीं, जातिवादी सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है।

झालावाड़ के सरकारी स्कूल हादसे में मारे गए बच्चों के नाम:
1. पायल भील
2. प्रियंका भील
3. हरीश भील
4. कुंदन भील
5. कान्हा भील
स्कूल हादसे में मारे गए 99% बच्चे आदिवासी और बाकी दलित, पिछड़े समुदाय से थे। यह सिर्फ़ एक हादसा नहीं, जातिवादी सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है।
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छत्तीसगढ़ के मोतिमपुर में नलवा सीमेंट खदान को लेकर उठी आवाज़ सिर्फ एक खदान का विरोध नहीं, बल्कि आदिवासी और ग्रामीण जीवन पर मंडराते अस्तित्व के संकट की गूंज है। यह बेहद चिंताजनक है कि जिस विकास की परिभाषा में जनता की सहमति, पर्यावरण की रक्षा और सुरक्षित जीवन मूलभूत शर्त होनी

काव्य कुटीर (@kavyakutir) 's Twitter Profile Photo

सारा का सारा खेल "हौसले" का है. यह हार मान कर बैठ भी सकते थे पर इन्होंने लड़ना चुना. सैल्यूट है...💯🫡

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60% अंक लाने वाला गाँव का वंचित तबके का गरीब बच्चा, उस 90% अंक लाने वाले शहरी एलीट बच्चे से कहीं अधिक योग्य है, जो हर सुविधा में पला-बढ़ा है। मेरिट अंकों से नहीं, बल्कि संघर्षों से आंकी जानी चाहिए।

60% अंक लाने वाला गाँव का वंचित तबके का गरीब बच्चा, उस 90% अंक लाने वाले शहरी एलीट बच्चे से कहीं अधिक योग्य है, जो हर सुविधा में पला-बढ़ा है।

मेरिट अंकों से नहीं, बल्कि संघर्षों से आंकी जानी चाहिए।
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9 अगस्त 2025 को मनाए जाने वाले विश्व के आदिवासी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय है: "आदिवासी लोग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता: अधिकारों की रक्षा, भविष्य को आकार देना"। यह विषय इस बात को रेखांकित करता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आदिवासी समुदायों के लिए एक ओर जहां अवसरों का द्वार

9 अगस्त 2025 को मनाए जाने वाले विश्व के आदिवासी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय है: "आदिवासी लोग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता: अधिकारों की रक्षा, भविष्य को आकार देना"। यह विषय इस बात को रेखांकित करता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आदिवासी समुदायों के लिए एक ओर जहां अवसरों का द्वार
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🌍 9 August – International Day of the World’s Indigenous Peoples Theme for 2025: "Indigenous Peoples and Artificial Intelligence – Defending Rights, Shaping the Future" This day serves as a reminder that the development and use of artificial intelligence must respect the

🌍 9 August – International Day of the World’s Indigenous Peoples

Theme for 2025: "Indigenous Peoples and Artificial Intelligence – Defending Rights, Shaping the Future"

This day serves as a reminder that the development and use of artificial intelligence must respect the
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दुनिया की केवल 5% आबादी होने के बावजूद, आदिवासी लोग धरती की 80% जैव विविधता की रक्षा करते हैं और 40% से ज़्यादा जंगल, पहाड़ और साफ-सुथरे इलाकों को संभालते हैं। उनके लिए ज़मीन सिर्फ ज़मीन नहीं होती वो उनकी पहचान, संस्कृति और आस्था का हिस्सा होती है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई

दुनिया की केवल 5% आबादी होने के बावजूद, आदिवासी लोग धरती की 80% जैव विविधता की रक्षा करते हैं और 40% से ज़्यादा जंगल, पहाड़ और साफ-सुथरे इलाकों को संभालते हैं। उनके लिए ज़मीन सिर्फ ज़मीन नहीं होती वो उनकी पहचान, संस्कृति और आस्था का हिस्सा होती है।

संयुक्त राष्ट्र की एक नई
Alok Shukla (@alokshuklacg) 's Twitter Profile Photo

हसदेव अरण्य की जिस केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की पर्यावरणीय और वन स्वीकृति पूर्व कांग्रेस Congress की Bhupesh Baghel सरकार ने रोकी थी उस खदान की स्वीकृति BJP की Vishnu Deo Sai सरकार ने दे दी । यह खदान भी राजस्थान की है और MDO अनुबंध #adani का है । इस खदान का 95 प्रतिशत

हसदेव अरण्य की जिस केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की पर्यावरणीय और वन स्वीकृति पूर्व कांग्रेस <a href="/INCIndia/">Congress</a> की  <a href="/bhupeshbaghel/">Bhupesh Baghel</a> सरकार ने रोकी थी उस खदान की स्वीकृति <a href="/BJP4India/">BJP</a> की <a href="/vishnudsai/">Vishnu Deo Sai</a> सरकार ने दे दी । 

यह खदान भी राजस्थान की है और MDO अनुबंध #adani का है । इस खदान का 95 प्रतिशत
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इस साल विश्व आदिवासी दिवस की थीम है – "आदिवासी लोग और एआई: अधिकारों की रक्षा, भविष्य का निर्माण"। इसका मतलब है कि अब जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे जीवन का बड़ा हिस्सा बन रहा है, तो आदिवासी समाज को भी इसमें बराबरी से शामिल किया जाना चाहिए। एआई का इस्तेमाल आदिवासियों के हक़

इस साल विश्व आदिवासी दिवस की थीम है – "आदिवासी लोग और एआई: अधिकारों की रक्षा, भविष्य का निर्माण"। इसका मतलब है कि अब जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे जीवन का बड़ा हिस्सा बन रहा है, तो आदिवासी समाज को भी इसमें बराबरी से शामिल किया जाना चाहिए। एआई का इस्तेमाल आदिवासियों के हक़