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Archit Sharma

@archit_pandit

No one lives for ever.......

माली आवत देखकर कलियाँ करे पुकार,
फूल फूल चुन लिए कल हमारी बार - कबीर

I don't exist...

ID: 191114519

calendar_today15-09-2010 16:57:27

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#छोटा_दरवाज़ा #मृग क्या फर्क पड़ता है कि ये ज़माना क्या समझता है तुम हो कस्तूरी मृग वो तुम को गज़ाला समझता है गुम-गश्ता हुआ फिरता हूँ मैं बस उसके ही ख़्यालों में मगर सारा शहर 'नाक़ाबिल' को अफ़सुर्दा समझता है

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#बज़्म #चमक बेनूरी में भी ये तो ख़ूब चमकता है इश्क़ का तेज अलग सा दमकता है हिज्र में भी है तुझसे रूहानी वस्ल तू हर दम मुझमे पैवस्त धड़कता है 'नाक़ाबिल' की ग़ज़ल में हो गर तेरा ज़िक्र हर शेर मुकद्दस ख़ुशबू से महकता है

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#छोटा_दरवाज़ा #रमा मेरे ख़ामोश लबों से कुछ बेआवाज़ अल्फ़ाज़ तुम तक पहुंचने को निकले हैं ये अल्फ़ाज़ बे आवाज़ है मगर एहसास से भरे है ये बिल्कुल ख़ालिस इख़्लास से भरे हैं इन्हें सुनने को तुम्हे दुनियावी हदों से पार गुजर जाना होगा मोहब्ब्त में तुम्हे खुद को मुकम्मल रमाना होगा

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#बज़्म #रंगोली आ उलफ़त की रंगोली बनाएं इश्क़िया इंद्रधनुष से रंग लाएं शफ़क की लाली हो सावन की हरियाली हो अंबर की नीलिमा हो हर शय निराली हो अक़ीदत हो जूनून हो फैला रंग ए प्रसुन हो किरणों की रश्मि हो जिसमें सफ़ेद सुकून हो आ उलफ़त की रंगोली बनाएं इश्क़िया इंद्रधनुष से रंग लाएं

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#बज़्म #दिवाली आदि शक्ति का चिराग़ जलाने‌ की रात‌‌ है अलख‌ की‌ लौ को दहकाने की रात‌ है 'नाक़ाबिल' कर‌ दुआ हो जाए रूह बेदार हर‌‌-सू रौशनी के जगमगाने की रात है शुभ दीपावली

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#छोटा_दरवाज़ा #प्रकाश जैसे किसी परिंदे को आकाश नज़र आता है तुझसे मिलकर रूहानी प्रकाश नज़र आता है जुड़ कर दो शब्द बनाते है एक नया सार्थक शब्द तेरे मेरे मिलने में भी एक समास नज़र आता है तुझसे मिलकर महसूस हुआ है कुदरती रंग 'नाक़ाबिल' रब का अलौकिक प्रभास नज़र आता

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मेरी कलम पर सियाह तारी है आज नज़्म के नैनों में अश्कबारी है आज

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#बज़्म #मिठास जब भी वो मुझको अपने पास बिठाता है ज़माना अपने हिसाब से क़ियास लगाता है शहद गुड़ शक्कर गुलकंद में वो लज़्ज़त नही बोलता हैं तो लबों से वो मिठास टपकाता है

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#बज़्म #उम्मीद कोशिशें कीजिए इसरार कीजिए एक बार नही हज़ार बार कीजिए फ़िक्रमंदी से हासिल होता कुछ नही बस इश्क़ पे आप ऐतबार कीजिए 'नाक़ाबिल' जब हो जाओ ना उम्मीद तसव्वुर में महबूब का दीदार कीजिए

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#बज़्म #शाम ज़िंदगी की धूप के बाद जब शाम का मंज़र आता है दुनिया का शोर शराबा ख़ामोश हो जाता है जब कोई दुनिया छोड़ कर चला जाता है है जोश-ओ-जुनून 'नाक़ाबिल' मे भी बहुत दुनिया को जीत जाना चाहता है मगर हक़ीक़त को वो भी भूल जाता है जब कोई दुनिया छोड़ कर चला जाता है

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#छोटा_दरवाज़ा #बारीक ये जो दिल के मामले है पेचीदा है अगर तस्कीन हासिल होगा अक़ीदा है अगर रंज भी है पर सुकून हो हासिल एहसास कुछ खास फ़रीदा है अगर सब्र कर ख़ूबसूरत हो जाएगी हयात मोहब्ब्त बारीक कढ़ाई सी कशीदा है अगर बस उसका दिल बनाने को मस्कन कामयाब हो 'नाक़ाबिल' संजीदा है अगर

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#बज़्म #सितारा आपके चहकने से आज फ़लक पे उजियारा है जश्न मनाता झिलमिलाता हुआ हर सितारा है तेरे रूख़ ए रौशन को पूनम का चांद समझ कर मौजें उछलती हैं और नशें में झुलता किनारा है 'नाक़ाबिल' कोशिश कर उसके लिए कसीदे लिख ख़ुुशकिस्मती है नज़र के सामने नूरानी शरारा है

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#छोटा_दरवाज़ा #ज़रिया इश्क़ सफ़ीना है समंदर से पार लगाने को बस महबूब ज़रिया है ख़ुदा से मिलाने को ख़ूशबू से महक उठेंगी हवाएं तेरे इर्द गिर्द कर मशक़्क़त चमन में फूल खिलाने को 'नाक़ाबिल' के बस में तो कुछ भी नहीं कोई आता है ज़हन में नज़्म लिखाने को

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तोड़ रिवायतें, खोल परों को, आज़ाद परवाज़ कर बांध मुक्ति के घूंघरू, कर रक़्स इश्क़िया थाप पर #छोटा_दरवाज़ा

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#बज़्म #चूड़ी ऐ मनिहार मेरे महबूब आशनाई के लिए चूड़ीयां दिखा ख़ूबसूरत कलाई के लिए 'नाक़ाबिल' नाकाम कोशिशें करता है लिख कर हैं ही नहीं लफ़्ज़ उसकी बड़ाई के लिए

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#बज़्म #छोटा #बड़ा दिल छोटा होगा ही जब मसला‌ बड़ा हो जाएगा सुरीला‌ राग इश्क़ का जब बे-सदा हो‌ जाएगा कर‌ रखवाली यादों के गुलशन‌ की शिद्दत से एक‌ दिन‌ तू‌ ख़ुद ही‌ मानी‌ ए वफ़ा हो‌ जाएगा 'नाक़ाबिल' पाक़ सफ़र में मिलेगा मुक़द्दस मुकाम दिल‌नशीं‌ की याद‌ इबादत यार ख़ुदा हो जाएगा

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#बज़्म #अराधना शीश झुकाएं हाथ जोड़ें करें अराधना बंद आंखें शांत मन तेरी करें साधना आदि शक्ति आदि देव गुणातीत तुमसे विकारों से मुक्ति की हम करें प्रार्थना पंच तत्व से हम पंच तत्व में विलीन हों पंछी को उड़ जाना छोड़ कर आलना

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#बज़्म #लाल चाँद दूधिया सा था लाल हो गया चाँदनी के बग़ैर बे-हाल हो गया लोग ग्रहण कह कह कर टालते रहे वो बता बता कर निढाल हो गया सितारें करीब हैं तो ख़बर तो होगी क्या आज की शब बवाल हो गया 'नाक़ाबिल' वक़्त ताबिंदा नही रहता सदा मुश्किलों में गुम सबका जमाल हो गया

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#बज़्म #कैप्शन महक से भरी समंदर की‌ समीर हुई आज मुनव्वर किस्मत की लकीर हुई मैं सजदे करता हूं इस वस्ल-गाह को आज रहमतों की ज़िंदगी पज़ीर हुई 'नाक़ाबिल' ये रहम ओ कर्म महबूब का आज जो मुकम्मल मुक़द्दस तहरीर हुई