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आदित्य रहबर

@adityarahbar120

आपके मानने या न मानने से
सच को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
- पाश |

📖 नदियाँ नहीं रुकतीं (कविता संग्रह)

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आज पैरालंपिक के विजेता शरद कुमार ने दिव्यांग लोगों के प्रति समाज के रवैये पर बात की, तो यूपीएससी से जुड़ी एक कहानी याद आयी। ये सर्विस के ही प्रिय सीनियर आकाश सर ने एक बारी तैयारी के दिनों में सुनाई थी। 1/N

आज पैरालंपिक के विजेता शरद कुमार ने दिव्यांग लोगों के प्रति समाज के रवैये पर बात की, तो यूपीएससी से जुड़ी एक कहानी याद आयी। 

ये सर्विस के ही प्रिय सीनियर आकाश सर ने एक बारी तैयारी के दिनों में सुनाई थी। 

1/N
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नौकरी करते लड़के की बेरोजगार लड़की से शादी आम है किंतु, नौकरी करती लड़की की बेरोजगार लड़के से शादी समाज की आँखों के लिए काँटा है! सफल पुरुष की असफल पत्नी हमारे सभ्य समाज का आदर्श ढाँचा है। - आदित्य रहबर

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मनोज मुंतशिर शुक्ला और इनमें कोई ज़्यादा अंतर नहीं है। दोनों जात का गुणगान करेंगे, जातिवाद को बढ़ाएंगे और कहेंगे हम समानता की बात करते हैं।

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#WATCH | Pune: As 10 days Ganeshotsav begins, Maharashtra's first transgender dhol-tasha troupe, 'Shikhandi', performed at Bhausaheb Rangari Ganpati Mandal.

Lala_ki_beti (@tejswani5) 's Twitter Profile Photo

तुम्हारा शहर हर रोज़ मेरे सपने में आता है मैं हर रोज़ तुम्हारे शहर में होती हूँ सोचती हूँ कितना सुंदर हो जाता है कोई भी शहर किसी एक के होने से । 🖤🌼 लेखक ~आदित्य रहबर आदित्य रहबर

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सुबह रोज मैं दौड़ने के लिए पास के खाली प्लॉट में जाता हूं। वहां हर तरह के लोग मिलते हैं। मैं बहुत सारी चीज़ों का अवलोकन करता हूं और थकान के साथ कुछ अनुभव साथ लेकर लौट आता हूं। पिछले एक सप्ताह से एक घरेलू महिला को टहलते देख रहा हूं। वह दो चार चक्कर टहलने के बाद दौड़ने लगती हैं।

सुबह रोज मैं दौड़ने के लिए पास के खाली प्लॉट में जाता हूं। वहां हर तरह के लोग मिलते हैं। मैं बहुत सारी चीज़ों का अवलोकन करता हूं और थकान के साथ कुछ अनुभव साथ लेकर लौट आता हूं। पिछले एक सप्ताह से एक घरेलू महिला को टहलते देख रहा हूं। वह दो चार चक्कर टहलने के बाद दौड़ने लगती हैं।
Dr. Shraddha Gupta (@shraddh56141048) 's Twitter Profile Photo

किताबें हर युग में युद्धों के खिलाफ़ खड़ी रही हैं परमाणु परीक्षण से ज्यादा इस दुनिया को किताबें पलटने की जरूरत है किताबों से बड़ा युद्ध नहीं इस दुनिया में बर्बरता के खिलाफ़! - आदित्य रहबर _____________ २३.०९.२०२१ आदित्य रहबर आपकी ये कविता बहुत सुंदर और प्रभावी है l

किताबें हर युग में
युद्धों के खिलाफ़ खड़ी रही हैं 
परमाणु परीक्षण से ज्यादा 
इस दुनिया को किताबें पलटने की जरूरत है 

किताबों से बड़ा युद्ध नहीं इस दुनिया में
बर्बरता के खिलाफ़! 

- आदित्य रहबर 
_____________
२३.०९.२०२१

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आइडेंटिटी, सर्वाइवल और इक्वालिटी के संघर्ष की कहानी है ताली। आज से दो साल पहले की बात है। मैं नेहरु विहार से क्लास करके घर लौटने के लिए वजीराबाद ब्रिज के नीचे ऑटो का इंतज़ार कर रहा था। सर्दी का मौसम था इसलिए अंधेरा बहुत ही जल्दी हो गया था। रिंग रोड आती जाती गाड़ियों से रौशनी पा

आइडेंटिटी, सर्वाइवल और इक्वालिटी के संघर्ष की कहानी है ताली। 

आज से दो साल पहले की बात है। मैं नेहरु विहार से क्लास करके घर लौटने के लिए वजीराबाद ब्रिज के नीचे ऑटो का इंतज़ार कर रहा था। सर्दी का मौसम था इसलिए अंधेरा बहुत ही जल्दी हो गया था। रिंग रोड आती जाती गाड़ियों से रौशनी पा
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चूल्हा मिट्टी का मिट्टी तालाब की तालाब ठाकुर का। भूख रोटी की रोटी बाजरे की बाजरा खेत का खेत ठाकुर का। बैल ठाकुर का हल ठाकुर का हल की मूठ पर हथेली अपनी फ़सल ठाकुर की। कुआँ ठाकुर का पानी ठाकुर का खेत-खलिहान ठाकुर के गली-मुहल्ले ठाकुर के फिर अपना क्या? गाँव?