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गूँज

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यथार्थवादी मूल्यों को सहेजने का प्रयास करता हुआ साहित्यिक समूह, 8 साझा संग्रह - कस्तूरी पगडंडियां गुलमोहर तुहिन गूँज 100कदम कारवाँ शतरंग का प्रकाशन @Tweetmukesh

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दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन ~ परवीन शाकिर

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ख्वाबों की कलम में, आरज़ू की स्याही से, दो शब्द लिखे हैं...! पढ़ना चाहोगे ? ना अहम, ना वहम, ना मान, ना अभिमान, गर कर सको सर्वस्व समर्पण...! तो बंद आंखों से, दिल के पावन कैनवास पर, प्रतिबिंबित होंगे नेह के वो पवित्र अक्षर....! - कनक अग्रवाल Kanak Agarwal

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नहीं पहुँच पाए मंजिल पर कभी, चुन लिया जिन्होंने रास्ता प्रेम का.... कहाँ पता था उन्हें कि इस रास्ते मे , सफ़र ही सफ़र है मंजिल नहीं है... - अंजना चड्ढा

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'प्रेम और दर्द पूरक है' उसने कहा था 'दर्द और मोह भी' मुझे उससे मोह हुआ था उसने प्रेम समझा अब हम दोनो दर्द में है वो मेरे मोह में मैं उसके प्रेम में औऱ समय अब वो दर्द में है किसी छुट्टी वाले शनिवार के इन्तज़ार में - नीलिमा शर्मा निविया Nivia

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प्रेम खोए हुए ख्यालों में आँखों में सपने भर बढ़ाओगे जब कदम, गाओगे गीत वह नही आयेगा शिथिल पड़े हुए ना उम्मीदी के तालाब में डूबते हुए गले तक धप्पा बोलेगा अचानक किसी दिन - अनुराधा मैन्दोला anumaindola

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नदी के पास बैठे तुम्हें याद करना नदियों का परम्परा को आवाज़ लगाने जैसा है नदियों को याद करना सभ्यता की परम्परा है और तुम्हें याद करना मेरी....!! - विशाल अंधारे

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"मेरी आत्मा किसी आदिम जंगल में भोर भये उग आई पहली अरुणाई है....।।" - प्रिया श्रीवास्तव

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जिनके कदम हर कदम पर भटक जायें उन कदमों से मंजिल के रास्ते नहीं तय होते...!! - शिप्रा खरे

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इस ब्रह्माण्ड का विस्तार तब तक होता रहेगा, जब तक दो प्रेमी उल्का पिंड दूरियों के लिए हामी भरते रहेंगे !! ~ श्रुतिका साह 🌸श्रुतिका साह 🌸

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पिता के हाथों में गाँठें इसलिए पड़ जातीं हैं, ताकि आने वाली नस्लों के हाथ कोमल हो सके। ~ अमीर चतुर्वेदी अमीर चतुर्वेदी

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आईने में जब भी देखा तुम्हारा अक्स मेरे दिल में छिपे तस्वीर की लगाया काजल का टीका, माथे के बाएं कोने पर आइने के उपर ! डर था कि कहीं, नजर न लगे तुम्हे या चकनाचूर न हो जाये कहीं आईना ... ! आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे !

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प्रेम में तुम हार जाना! और फिसलने देना ढ़ीली पड़ती मुट्ठियों में वर्षों तक थामी, प्रतीक्षा से नम हुई रेत और लकीरों में दबे प्रेम बीज एक बार फिर से खिल कर बिखरने के लिए! - रचना राजपुरोहित

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देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से- - साहिर लुधियानवी

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मैंने बेशक कहा - लव यू पर आंखों का स्नेह बरसा हिंदी में उसके चमकते माथे को हर पल निहारा हिंदी की बिंदी की तरह। उसने आंखें तरेरते हुए कहा हिंदी में - तुम न सुधरोगे मैंने मुस्कुराते हुए कहा हिंदी में - सुंदर लगती हो जिंदगी को मौत धप्पा मारेगी तो हिंदी में ही आवाज निकलेगी - हे राम!

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चढ़ते सूरज के पुजारी तो लाखों हैं 'फ़राज़' डूबते वक़्त हमने सूरज को भी तन्हा देखा।

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मृगतृष्णा-सा ज़रुरी है जीवन में कुछ भ्रम जो मंज़िल की चाह में सफ़र को आसान कर देता है - मंजू मोहिल

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वह मुझे बाँहों में लिए दफ़्तर सोच रहा है मैं उसकी बाँहों में लेटी एक कविता बुन रही हूंँ यह सरासर छल है फिर भी हम चाहते हैं कि नरसंहारों बलात्कारों और षडयंत्रों से कराहते इस समय में प्रेमी जोड़े एक दूसरे की बाँहों में पड़े रहने का रिवाज न भूलें। - अनुराधा सिंह Anuradha Singh

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मन ने कहा निहारूँ पर मुस्कुराती तस्वीर बोल पड़ी ऐसे न निहारो लाज आती है मन ने कहा जिंदगी करीबी मांगती है पर सामने से चहकती आंखों ने कहा डूबने से इतर भी जिंदगी है बाबू मन न माना मन ने मनमानी की मन ने खुशियां समेटी अंततः मन मुस्कुराया कि ख़्वाब पूरे हुए तस्वीर भी कुछ गुलाबी हुई

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सिन्दूर, बिंदिया में क्यों मैं देखूं तुम्हे तुम्हारे मेरे होने के सबूत, पहचानें सिफर है कि अब तुम मेरी नब्ज की थिरकन जो हो। - सोनरूपा विशाल Sonroopa Vishal