Kanak Agarwal
@KanakAg04035055
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'Dialogues from my dwam' !
कविता हिंदी में भी लिखी जा सकती है।
(शीर्षक: आलिंगन)
Cc:
Abid Zaidi
शाम के कटोरे में
फिर एक सिक्का डाला मैंने
सिक्का तेरी खनकती हंसी का
सहेज लेती है शाम उस हंसी को
और पहना देती है टिमटिम सितारों को
हर रोज इसी उम्मीद में
कि सितारों के पार तेरे उदास लबों पर
फिर वो हंसी खिलखिलाएगी
और यहाँ धरती पर मेरी सूनी आंखें
बरबस खुशी से बरस जाएंगी
#kavita250
सूरज की केतली से
सोंधी सी खुशबू महाकाई..
उठो चाय के शौकीनों
दिगन्त पे लाली छाई... !
~ कनक अग्रवाल
Kanak Agarwal
मैने चाहा..
काश!
कहीं कोई मिल जाए
कहदूं जिससे सारी अनकही पीड़ा
बदले मे पाऊं मरहम से शब्द
दुखोंकी भारी पोटली के बदले
जो रख जाए
मेरी हथेली पर
खनखनाते चंद सिक्के
खुशी के
नए मोड़ पर
मिल गए बुद्ध
गाते गुनगुनाते हुए सुख का गीत
'अप्पो दीपो भव'
~गीता शर्मा
Dr Geeta Sharma
#बुद्धपूर्णिमा
कुछ ख्वाब जुदा होकर तुझसे
तन्हाई में अक्सर रोते हैं...!
शब्दों में कह ना सकी जिनको
अश्कों में अक्सर बहते हैं...!!
~ कनक अग्रवाल
Kanak Agarwal