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हिन्दी साहित्य की श्रेष्ठ गद्य रचनाओं के अंशों का संकलन, उद्धरण, सुविचार आदि।

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"हम औरतें प्रेम को जितनी गम्भीरता से लेती हैं, उतनी ही गम्भीरता से यदि अपना काम लेतीं तो अच्छा रहता, जितने आँसू डॉक्टर साहब के लिए गिरते हैं उससे बहुत कम पसीना भी यदि बहा सकूँ तो पूरी दुनिया जीत लूंगी।" ('अन्या से अनन्या') ~ प्रभा खेतान #गद्य_कृति✍️

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"आदमी प्रेम में प्रतिदान नहीं मांगता, सिर्फ समिधा बनकर हवन कुंड में स्वाहा हो जाता है।" ~ प्रभा खेतान #गद्य_कृति✍️

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"मेरी समझ में सती का अर्थ है शक्ति। ऐसी शक्ति जो नया विकल्प, नयी व्यवस्था, नया सच बनाने की क्षमता रखती हो। सती का अर्थ एक पुरुष की होकर रहना नहीं बल्कि वास्तविक सती तो जो आरोपित सचों को उठाकर फेंकने की क्षमता रखती हो।" ('अपने-अपने चेहरे' - उपन्यास) ~ डॉ प्रभा खेतान #गद्य_कृति✍️

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"सृजन और विनाश का क्रम चलता रहता है और आदमी? वह पहले भी प्रकृति के हाथ का खिलौना था और आज भी है.....!!" ('भूकंप'- कहानी) #प्रभा_खेतान #पुण्यतिथि🙏 gadyakosh.org/gk/%E0%A4%AD%E… आरती सिंह 🕊️ डॉ.पूजा✨

"सृजन और विनाश का क्रम चलता रहता है और आदमी? वह पहले भी प्रकृति के हाथ का खिलौना था और आज भी है.....!!"
('भूकंप'- कहानी)

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'मुक्ति केवल आर्थिक नहीं होती! जरूरत तो है कि औरत अपनी मानसिक जकड़न से निकले.....!!" ('अपने अपने चेहरे'- उपन्यास) #प्रभा_खेतान #पुण्यतिथि 🙏 #गद्य_कृति✍️ gadyakosh.org/gk/%E0%A4%85%E… चित्र: वाणी प्रकाशन

'मुक्ति केवल आर्थिक नहीं होती! जरूरत तो है कि औरत अपनी मानसिक जकड़न से निकले.....!!"
('अपने अपने चेहरे'- उपन्यास)
#प्रभा_खेतान
#पुण्यतिथि 🙏
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चित्र: वाणी प्रकाशन
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"संसार में केवल दो तत्व हैं- एक सौंदर्य और दूसरा सत्य। सौंदर्य प्रेम करने वालों के हृदय में है और सत्य किसान की भुजाओं में।" ~ खलील जिब्रान

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"लोगों के बीच नहीं, लोगों के मन में जगह बनाना ही असली उद्देश्य है।" ••• मन्नू भंडारी

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"शासन का घूँसा किसी बड़ी और पुष्ट पीठ पर उठता तो है, पर न जाने किस चमत्कार से बड़ी पीठ खिसक जाती है और किसी दुर्बल पीठ पर घूँसा पड़ जाता है।" ~ हरिशंकर परसाई

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"जैसा समाज हम बनाएँगे, उसी के अनुसार कला और साहित्य की क़ीमत तय होगी।" ~ केदारनाथ सिंह #लेखनी ✍️

"जैसा समाज हम बनाएँगे, उसी के अनुसार कला और साहित्य की क़ीमत तय होगी।"

~ केदारनाथ सिंह
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"चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है।" ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर

"चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है।"

~ रवीन्द्रनाथ टैगोर
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"महानता से घबराइये नहीं; कुछ लोग महान पैदा होते हैं, कुछ महानता हासिल करते हैं और कुछ लोगों के ऊपर महानता थोप दी जाती है।" ~ विलियम शेक्सपियर

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"अच्छा काम है लघु उद्योग चलाना। सामाजिक अपराध-बोध से आदमी बचा रहता है। लघु शब्द बड़ा करामाती है। बड़े उद्योग चलाओगे तो शोषक कहलाओगे, लघु उद्योग चलाओगे तो देश सेवक।" ~ मृदुला गर्ग

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"गुरु दो तरह के होते हैं- एक वो जो आपको इतना डरा देते हैं कि आप हिल ना सकें, और एक वो जो जिनके आपकी पीठ पर थोडा सा थपथपा देने से आप आसमान छू लेते हैं।" ~ रॉबर्ट फ्रॉस्ट #गुरु_पूर्णिमा #लेखनी ✍️ Anand Kumar

"गुरु दो तरह के होते हैं- एक वो जो आपको इतना डरा देते हैं कि आप हिल ना सकें, और एक वो जो जिनके आपकी पीठ पर थोडा सा थपथपा देने से आप आसमान छू लेते हैं।"

~ रॉबर्ट फ्रॉस्ट 
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"योग वह प्रकाश है जिसे जब जलाते हैं, तो यह कभी नहीं बुझता।" ~ श्रीमद्भगवद्गीता

"योग वह प्रकाश है जिसे जब जलाते हैं, तो यह कभी नहीं बुझता।" 

~ श्रीमद्भगवद्गीता
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"हम सहज से सहजतर होने के लिए बड़े नहीं होते वरन् गूढ़ या गोपन के लिए बड़े होते हैं। हम सरल उस दिन हो जाते हैं जिस दिन हमारा गोप्य चुक चुका होता है। संकोच का होना, बड़ा होना है। संकोच, संबंधों का नहीं होता वरन् वयस का होता है..!!" ('दुर्गा'- कहानी) ~ नरेश मेहता

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"आज जब भड़ैंती के नाम पर फ़िल्मी घुसपैठ और उसका फूहड़ स्थानापन्न ‘आर्केस्ट्रा' देखता हूँ, तो अतीतकालीन भड़ैंती की याद बरबस ताज़ा हो जाती है। निश्चित ही भड़ैंती की विशिष्टता बेमिसाल थी—गीत, नृत्य और नाट्य का अनूठा सम्मिश्रण।" ~ दीपांकर शिवमूर्ति (लेखक-पत्रकार)

"आज जब भड़ैंती के नाम पर फ़िल्मी घुसपैठ और उसका फूहड़ स्थानापन्न ‘आर्केस्ट्रा' देखता हूँ, तो अतीतकालीन भड़ैंती की याद बरबस ताज़ा हो जाती है। निश्चित ही भड़ैंती की विशिष्टता बेमिसाल थी—गीत, नृत्य और नाट्य का अनूठा सम्मिश्रण।"

 ~ दीपांकर शिवमूर्ति (लेखक-पत्रकार)
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"मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर।" ~ चंद्रबली पांडेय

आरती सिंह 🕊️ (@aartee33) 's Twitter Profile Photo

सिर्फ एक गलती की देर है, लोग भूल जाएंगे आप पहले कितने अच्छे थे..!!

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आरती सिंह 🕊️ (@aartee33) 's Twitter Profile Photo

"वह स्तब्ध! जैसे पत्थर बन गई हो। आंख में आंसू जम गए। पलकों में निगाहें जम गईं। होठों में आवाजें जम गयीं और सीने में सिसकियां जम गयीं।" ~ डॉ. धर्मवीर भारती (उपन्यास: 'गुनाहों का देवता') 1949 में पहली बार छपे इस उपन्यास के अभी तक 82 संस्करण आ चुके हैं और इसकी लोकप्रियता में कोई

"वह स्तब्ध! जैसे पत्थर बन गई हो। आंख में आंसू जम गए। पलकों में निगाहें जम गईं। होठों में आवाजें जम गयीं और सीने में सिसकियां जम गयीं।"

~ डॉ. धर्मवीर भारती (उपन्यास: 'गुनाहों का देवता')
1949 में पहली बार छपे इस उपन्यास के अभी तक 82 संस्करण आ चुके हैं और इसकी लोकप्रियता में कोई
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"अपना धर्म, अपनी संस्कृति अथवा अपनी सभ्यता छोड़कर दूसरों की नक़ल करने से कल्याण की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं।" #पं_श्रीराम_शर्मा_आचार्य #जन्मजयंती💐

"अपना धर्म, अपनी संस्कृति अथवा अपनी सभ्यता छोड़कर दूसरों की नक़ल करने से कल्याण की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं।"

#पं_श्रीराम_शर्मा_आचार्य
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