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छोटी कविता

@iTanwirr

जितनी छोटी हो कविता
उतना ही ज्यादा बसेगी मन में।

साहित्य। सिनेमा। जीवन।

ID:1052350241607802881

calendar_today17-10-2018 00:07:04

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लहज़े बयाँ कर देते हैं लोगों के,
परवरिश हुई है या सिर्फ पाले गए हैं...

◆ अज्ञात

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BHU.Prof Bibha#सुधरनेकीप्रक्रियामेंअनवरतलगे(@BibhaProfessor) 's Twitter Profile Photo

एक समय था
जब किसी और को समझाने की कोशिश किया करते थे
अब तो बस
खुद को समझाने में बीत रही है ज़िन्दगी

ऐसा ही होता है

कुछ मौके
कुछ वक़्त के
बे वक्त निकल जाने के बाद

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गांव गया था
गांव से भागा
जला हुआ खलिहान देखकर
नेता का दालान देखकर
मुस्काता शैतान देखकर
घिघियाता इंसान देखकर
कहीं नहीं ईमान देखकर
बोझ हुआ मेहमान देखकर
गांव गया था गांव से भागा।

◆ कैलाश गौतम

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'वफ़ा' पे चंद पंक्तियाँ, गीत के बोल, या कोई शायरी....

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दर्द की भी अपनी ही एक अदा है
ये भी सहने वालों पर फिदा है।

◆ अज्ञात

दर्द की भी अपनी ही एक अदा है ये भी सहने वालों पर फिदा है। ◆ अज्ञात
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पत्रकार जैसे जैसे बड़ा होता जाता है, उसकी पत्रकारिता छोटी होती जाती है!

◆ प्रभाकर मिश्रा

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'हम किसी और की नहीं
अपनी प्रतीक्षा कर रहे हैं
हमें अपने से दूर गए अरसा हो गया
और हम अब लौटना चाहते हैं'

◆ अशोक वाजपेयी

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लकड़ी के कीड़े पूरी कुर्सी खा जाते हैं
और कुर्सी के कीड़े पूरा देश..!!

◆ अज्ञात

लकड़ी के कीड़े पूरी कुर्सी खा जाते हैं और कुर्सी के कीड़े पूरा देश..!! ◆ अज्ञात
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'फ़ासला' या 'दूरी' पे चंद पंक्तियाँ, गीत के बोल, या कोई शायरी...

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'अधूरे मन से ही सही
मगर उसने
तुझसे मन की बात कही
पुराने दिनों के अपने
अधूरे सपने
तेरे क़दमों में
ला रखे उसने
तो तू भी सींच दे
उसके
तप्त शिर को
अपने आंसुओं से।'

◆ भवानीप्रसाद मिश्र

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हम लड़ेंगे
कि लड़े बग़ैर कुछ नहीं मिलता
हम लड़ेंगे
कि अब तक लड़े क्यों नहीं
हम लड़ेंगे
अपनी सज़ा कबूलने के लिए
लड़ते हुए जो मर गए
उनकी याद ज़िन्दा रखने के लिए
हम लड़ेंगे

◆ पाश

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Suman Keshari(@SumanKeshari5) 's Twitter Profile Photo

पहला पड़ाव पार हुआ
आपकी के चैनल के 1k सब्सक्राईबर हो गए।
आप सभी का बहुत आभार..
चैनल लिंक दे रही हूँ
श्रेष्ठ कहानियाँ सुनिए
और सब्सक्राईब कीजिए!

m.youtube.com/@kathanatisuma…

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कहना मुश्किल है
कि हर वह व्यक्ति
जिसके लिए शोक-सभा की जाती है
उस शोक का हक़दार होता है भी या नहीं
जो शोक उसके लिए मनाया जाता है वह सच्चा होता है या नहीं
और जो उसके लिए शोक मना रहे होते हैं
उसमें से कितने वाक़ई शोकार्त होते हैं।

◆ विष्णु खरे

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समंदर बेबसी अपनी
किसी से कह नहीं सकता...
हजारों मील तक फैला है,
फिर भी बह नहीं सकता....

◆ अज्ञात

समंदर बेबसी अपनी किसी से कह नहीं सकता... हजारों मील तक फैला है, फिर भी बह नहीं सकता.... ◆ अज्ञात
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ऐसा साफ़-सुथरा, पवित्र आदमी, जो अपने व्यक्तित्व की हर शिकन, हर वक़्त झाड़ता-पोंछता रहता हो — वह प्रेम कैसे कर सकता है ?

◆ दूधनाथ सिंह

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'अस्थियों के ढेर में जो लकड़ी आखिर तक जलती रहती है,वह जैलेसी (ईर्ष्या) की लकड़ी रहती होगी, अपनी रूखी लिपट में आस-पास की राख को चाटती हुई, भूखी और प्यासी...जिसे अंतिम घड़े का पानी भी नहीं बुझा पाता।'

◆ निर्मल वर्मा (रात का रिपोर्टर)

'अस्थियों के ढेर में जो लकड़ी आखिर तक जलती रहती है,वह जैलेसी (ईर्ष्या) की लकड़ी रहती होगी, अपनी रूखी लिपट में आस-पास की राख को चाटती हुई, भूखी और प्यासी...जिसे अंतिम घड़े का पानी भी नहीं बुझा पाता।' ◆ निर्मल वर्मा (रात का रिपोर्टर)
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मेरी चिता पर नहीं होंगे किसी के
अश्रु, स्मृति में चढ़ाए फूल
बाद दो दिन के दिखावे के, रोने के,
सभी जाएँगे मुझको भूल

क्या हुआ जो सिरफिरा इक मर गया ?
जगत के आनन्द में कम क्या कर गया !!

◆ विष्णु खरे

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