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Arvind

@aadiarviind

उठो जागो और संघर्ष करो।
लड़ नहीं सकते तो बोलो,
बोल नहीं सकते तो लिखो,
लिख नहीं सकते तो साथ दो,
साथ भी नहीं दे सकते तो
जो लिख, बोल, लड़ रहे हैं उनका मनोबल बढ़ाओ।

ID: 1839152823143116803

calendar_today26-09-2024 03:59:49

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बादलपुर प्राचीन बौद्ध स्थल हीरपुर तक्षशिला खैबर पख्तूनख्वा वीडियो क्रेडिट: शहरयार

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शीर्षक: बुद्ध समय: दूसरी शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: शिष्ट प्राप्त स्थान: मर्दन पेशावर वर्तमान स्थान: भारतीय संग्रहालय कोलकाता विवरण: सपाट प्रभामंडल के साथ अभयमुद्रा में बुद्ध के आसन के नीचे बुद्ध और वन्दना के दृश्य हैं। महत्त्वपूर्ण बात आंख जैसा माथे पर निशान है।

शीर्षक: बुद्ध
समय: दूसरी शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: शिष्ट

प्राप्त स्थान: मर्दन पेशावर
वर्तमान स्थान: भारतीय संग्रहालय कोलकाता

विवरण:
सपाट प्रभामंडल के साथ अभयमुद्रा में बुद्ध के आसन के नीचे बुद्ध और वन्दना के दृश्य हैं।
महत्त्वपूर्ण बात आंख जैसा माथे पर निशान है।
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शीर्षक: तथागत बुद्ध समय: पहली शताब्दी ई संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: पत्थर प्राप्त स्थान: तख्त-ए-बहि मर्दन पेशावर वर्तमान स्थान: पेशावर संग्रहालय

शीर्षक: तथागत बुद्ध
समय: पहली शताब्दी ई

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: पत्थर

प्राप्त स्थान: तख्त-ए-बहि मर्दन पेशावर
वर्तमान स्थान: पेशावर संग्रहालय
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शीर्षक: तापां कला‌ मन्नत स्तूप समय: चौथी-पांचवीं शताब्दी संस्कृति: गांधार हेलेनिस्टिक शैली माध्यम: चूना पत्थर प्राप्त स्थान: तापां कला हद्दा वर्तमान स्थान: गुइमेट संग्रहालय विवरण: तापां कला हद्दा से प्राप्त 80 बड़े मन्नत स्तूपों में से एक यह स्तूप जिसका नंबर टीके (121) है।

शीर्षक: तापां कला‌ मन्नत स्तूप
समय: चौथी-पांचवीं शताब्दी

संस्कृति: गांधार हेलेनिस्टिक शैली
माध्यम: चूना पत्थर

प्राप्त स्थान: तापां कला हद्दा
वर्तमान स्थान: गुइमेट संग्रहालय

विवरण:
तापां कला हद्दा से प्राप्त 80 बड़े मन्नत स्तूपों में से एक यह स्तूप जिसका नंबर टीके (121) है।
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शीर्षक: कंथक द्वारा सिद्त्थ को विदाई समय: दूसरी-चौथी शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: पत्थर वर्तमान स्थान: पेशावर संग्रहालय विवरण: कपिलवस्तु किले के बाहर कंथक ने सिद्त्थ को छोड़ा और कुछ ही दिनों में वियोग से वहीं प्राण त्याग दिए थे। कुछ ही दूरी पर कंथक का स्तूप बनाया गया।

शीर्षक: कंथक द्वारा सिद्त्थ को विदाई
समय: दूसरी-चौथी शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: पत्थर

वर्तमान स्थान: पेशावर संग्रहालय

विवरण:
कपिलवस्तु किले के बाहर कंथक ने सिद्त्थ को छोड़ा और कुछ ही दिनों में वियोग से वहीं प्राण त्याग दिए थे।
कुछ ही दूरी पर कंथक का स्तूप बनाया गया।
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शीर्षक: बुद्ध को पात्र भेंट समय: दूसरी-चौथी शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: धूसर शिष्ट प्राप्त स्थान: तक्षशिला क्षेत्र वर्तमान स्थान: हुंड संग्रहालय विवरण: बुद्ध को चार उपासकों (सम्भवतः व्यापारी) द्वारा पात्र का भेंट

शीर्षक: बुद्ध को पात्र भेंट
समय: दूसरी-चौथी शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: धूसर शिष्ट

प्राप्त स्थान: तक्षशिला क्षेत्र
वर्तमान स्थान: हुंड संग्रहालय

विवरण:
बुद्ध को चार उपासकों (सम्भवतः व्यापारी) द्वारा पात्र का भेंट
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शीर्षक: बुद्ध जीवन दृश्य में चार पात्रों की भेंट समय: दूसरी-चौथी शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: धूसर शिष्ट प्राप्त स्थान: तक्षशिला क्षेत्र वर्तमान स्थान: हुण्ड संग्रहालय

शीर्षक: बुद्ध जीवन दृश्य में चार पात्रों की भेंट
समय: दूसरी-चौथी शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: धूसर शिष्ट

प्राप्त स्थान: तक्षशिला क्षेत्र
वर्तमान स्थान: हुण्ड संग्रहालय
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शीर्षक: ध्यानी बुद्ध समय: दूसरी-चौथी शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: शिष्ट पत्थर प्राप्त स्थान: तक्षशिला क्षेत्र वर्तमान स्थान: हुण्ड संग्रहालय

शीर्षक: ध्यानी बुद्ध
समय: दूसरी-चौथी शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: शिष्ट पत्थर

प्राप्त स्थान: तक्षशिला क्षेत्र
वर्तमान स्थान: हुण्ड संग्रहालय
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शीर्षक: त्रय बुद्ध समय: दूसरी शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: शिष्ट प्राप्त स्थान: लोरियान तांगाई (चित्र 1) तक्षशिला क्षेत्र पेशावर (चित्र 2) वर्तमान स्थान: राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली (चित्र 1) पेशावर संग्रहालय (चित्र 2) विवरण: अवलोकितेश्वर, तथागत, मैत्रेय बुद्ध

शीर्षक: त्रय बुद्ध
समय: दूसरी शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: शिष्ट

प्राप्त स्थान:
लोरियान तांगाई (चित्र 1)
तक्षशिला क्षेत्र पेशावर (चित्र 2)

वर्तमान स्थान:
राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली (चित्र 1)
पेशावर संग्रहालय (चित्र 2)

विवरण:
अवलोकितेश्वर, तथागत, मैत्रेय बुद्ध
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शीर्षक: पद्मासन पर बुद्ध समय: दूसरी-चौथी शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: शिष्ट प्राप्त स्थान: तक्षशिला क्षेत्र वर्तमान स्थान: हुण्ड संग्रहालय विवरण: बुद्ध की अभयमुद्रा प्रतीत होती है। दोनों ओर टूटे स्तंभों में कीर्तिमुख और उल्टे पद्म आधार पर त्रय बुद्ध प्रतीत होते है।

शीर्षक: पद्मासन पर बुद्ध
समय: दूसरी-चौथी शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: शिष्ट

प्राप्त स्थान: तक्षशिला क्षेत्र
वर्तमान स्थान: हुण्ड संग्रहालय

विवरण:
बुद्ध की अभयमुद्रा प्रतीत होती है।
दोनों ओर टूटे स्तंभों में कीर्तिमुख
और उल्टे पद्म आधार पर त्रय बुद्ध प्रतीत होते है।
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शीर्षक: महापरिनिर्वाण समय: दसवीं शताब्दी संस्कृति: पाल कालीन शैली माध्यम: पत्थर प्राप्त स्थान: बंगाल वर्तमान स्थान: भारतीय संग्रहालय कोलकाता

शीर्षक: महापरिनिर्वाण
समय: दसवीं शताब्दी

संस्कृति: पाल कालीन शैली
माध्यम: पत्थर

प्राप्त स्थान: बंगाल
वर्तमान स्थान: भारतीय संग्रहालय कोलकाता
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भरहुत स्तूप में नागवंशी महाराजा "एरपतो नागराजा भगवतो वंदते" अर्थ नागराजा एरपत बुद्ध की वंदना करते हैं। "पाँच फन, नाग गण" का प्रतीक है। ह्वेनसांग के यात्रावृत्तांत और धम्मपद दोनों में इनका नाम "एरकपत" मिलता है। (एरकपत्त/एरक) नाग, एरकण क्षेत्र के बौद्ध शासक थे। (सिक्के प्राप्त)

भरहुत स्तूप में नागवंशी महाराजा

"एरपतो नागराजा भगवतो वंदते"
अर्थ
नागराजा एरपत बुद्ध की वंदना करते हैं।

"पाँच फन, नाग गण" का प्रतीक है।

ह्वेनसांग के यात्रावृत्तांत और धम्मपद दोनों में इनका नाम "एरकपत" मिलता है।

(एरकपत्त/एरक) नाग, एरकण क्षेत्र के बौद्ध शासक थे।
(सिक्के प्राप्त)
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शीर्षक: बुद्ध पैनल समय: दूसरी-तीसरी शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: शिष्ट प्राप्त स्थान: लोरियान तांगाई (चित्र 2) नारा खैबर पख्तूनख्वा (चित्र 4) वर्तमान स्थान: भारतीय संग्रहालय कोलकाता (चित्र 2) चंडीगढ़ संग्रहालय (चित्र 4) चित्र(1 और 3) प्राप्त स्थिति में मूल पैनल दृश्य

शीर्षक: बुद्ध पैनल
समय: दूसरी-तीसरी शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: शिष्ट

प्राप्त स्थान:
लोरियान तांगाई (चित्र 2)
नारा खैबर पख्तूनख्वा (चित्र 4)

वर्तमान स्थान:
भारतीय संग्रहालय कोलकाता (चित्र 2)
चंडीगढ़ संग्रहालय (चित्र 4)

चित्र(1 और 3) प्राप्त स्थिति में मूल पैनल दृश्य
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शीर्षक: बुद्ध शिक्षण समय: पांचवीं शताब्दी संस्कृति: गांधार शैली माध्यम: शिष्ट प्राप्त स्थान: सहरी बहलोल वर्तमान स्थान: पेशावर संग्रहालय विवरण: प्रलंबपद आसन में बैठे बुद्ध शिक्षित करते हुए। उनके दोनों ओर अवलोकितेश्वर और मैत्रेय बुद्ध है जिनके साथ एक-एक उपासक का भी शिल्पांकन है।

शीर्षक: बुद्ध शिक्षण
समय: पांचवीं शताब्दी

संस्कृति: गांधार शैली
माध्यम: शिष्ट

प्राप्त स्थान: सहरी बहलोल
वर्तमान स्थान: पेशावर संग्रहालय

विवरण:
प्रलंबपद आसन में बैठे बुद्ध शिक्षित करते हुए।
उनके दोनों ओर अवलोकितेश्वर और मैत्रेय बुद्ध है जिनके साथ एक-एक उपासक का भी शिल्पांकन है।
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शीर्षक: अजातसत्तु द्वारा बुद्ध वन्दना समय: तीसरी-दूसरी शताब्दी ईपू संस्कृति: मौर्य कालीन शैली माध्यम: पत्थर प्राप्त स्थान: भरहुत स्तूप मप्र वर्तमान स्थान:भारतीय संग्रहालय कोलकाता विवरण: अजातसत्तु अपने शाही गणों के साथ हाथ और मयूर छाप वाले आसन और धम्मचक्क वाले बुद्धपद की उपासना

शीर्षक: अजातसत्तु द्वारा बुद्ध वन्दना
समय: तीसरी-दूसरी शताब्दी ईपू

संस्कृति: मौर्य कालीन शैली
माध्यम: पत्थर

प्राप्त स्थान: भरहुत स्तूप मप्र
वर्तमान स्थान:भारतीय संग्रहालय कोलकाता

विवरण:
अजातसत्तु अपने शाही गणों के साथ
हाथ और मयूर छाप वाले
आसन और धम्मचक्क वाले बुद्धपद की उपासना