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Ranu

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The king of Satlok(eternal place) and the infinite universes is the most merciful God Kabir. Satan, the king of 21 universes, including heaven(mortal place), is the merciless God.
- Sant Rampal Ji Maharaj


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The king of Satlok(eternal place) and the infinite universes is the most merciful God Kabir. Satan, the king of 21 universes, including heaven(mortal place), is the merciless God. - Sant Rampal Ji Maharaj #Satlok_Vs_Earth Sant Rampal Ji Maharaj
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काल लोक/पृथ्वी लोक में अपना किया ही जीव भोगता है।
सतलोक में कोई अभाव नहीं है। सब परमात्मा के कोटे से मिलता है और इसी वजह से वहाँ राग-द्वेष नहीं है। सब मिलकर प्रेम से रहते हैं और परमात्मा का गुणगान करते हैं।
Sant Rampal Ji Maharaj

#Satlok_Vs_Earth काल लोक/पृथ्वी लोक में अपना किया ही जीव भोगता है। सतलोक में कोई अभाव नहीं है। सब परमात्मा के कोटे से मिलता है और इसी वजह से वहाँ राग-द्वेष नहीं है। सब मिलकर प्रेम से रहते हैं और परमात्मा का गुणगान करते हैं। Sant Rampal Ji Maharaj
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Eternal place Satlok
Kabir Saheb appears with different name in different places and imparts true spiritual knowledge. He is the destroyer of sins. God is one
Sant Rampal Ji Maharaj
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Eternal place Satlok Kabir Saheb appears with different name in different places and imparts true spiritual knowledge. He is the destroyer of sins. God is one @SaintRampalJiM Sant Rampal Ji Maharaj #Satlok_Vs_Earth Sant Rampal Ji Maharaj
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By performing true worship one does not suffer into the cycle of 84 lakh life forms.
Sant Rampal Ji Maharaj.


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By performing true worship one does not suffer into the cycle of 84 lakh life forms. Sant Rampal Ji Maharaj. #Satlok_Vs_Earth Sant Rampal Ji Maharaj
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काल लोक/पृथ्वी लोक में पांच तत्व का शरीर होता है।
लेकिन सतलोक में हमारा पांच तत्व का शरीर नहीं होता। वहाँ हमारा नूरी शरीर होता है। जो नश्वर नहीं होता।
Sant Rampal Ji Maharaj

#Satlok_Vs_Earth काल लोक/पृथ्वी लोक में पांच तत्व का शरीर होता है। लेकिन सतलोक में हमारा पांच तत्व का शरीर नहीं होता। वहाँ हमारा नूरी शरीर होता है। जो नश्वर नहीं होता। Sant Rampal Ji Maharaj
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गीता जी अध्याय 8 श्लोक 16 के अनुसार पृथ्वी लोक से ब्रह्मलोक तक सभी लोक पुनरावृत्ति में हैं।
लेकिन सतलोक ही वह अमर स्थान है, जहां जाने के बाद साधक की जन्म-मृत्यु नहीं होती।


Sant Rampal Ji Maharaj

गीता जी अध्याय 8 श्लोक 16 के अनुसार पृथ्वी लोक से ब्रह्मलोक तक सभी लोक पुनरावृत्ति में हैं। लेकिन सतलोक ही वह अमर स्थान है, जहां जाने के बाद साधक की जन्म-मृत्यु नहीं होती। #Satlok_Vs_Earth Sant Rampal Ji Maharaj
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काल लोक/पृथ्वी लोक पर साधना करके जीव कुछ समय स्वर्ग रूपी होटल में चला जाता है। फिर अपनी पुण्य कमाई खर्च करके वापिस नरक तथा चौरासी लाख प्राणियों के शरीर में जाता है।
Sant Rampal Ji Maharaj

💐💐Anita Kumawat💐💐

#Satlok_Vs_Earth काल लोक/पृथ्वी लोक पर साधना करके जीव कुछ समय स्वर्ग रूपी होटल में चला जाता है। फिर अपनी पुण्य कमाई खर्च करके वापिस नरक तथा चौरासी लाख प्राणियों के शरीर में जाता है। Sant Rampal Ji Maharaj @anitada23854181
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सतलोक Vs काल लोक/पृथ्वी लोक
सतलोक में जन्म व मृत्यु नहीं है।
जबकि पृथ्वी पर कुछ भी स्थाई नहीं है। सब नाश्वान है।
Sant Rampal Ji Maharaj

#Satlok_Vs_Earth सतलोक Vs काल लोक/पृथ्वी लोक सतलोक में जन्म व मृत्यु नहीं है। जबकि पृथ्वी पर कुछ भी स्थाई नहीं है। सब नाश्वान है। Sant Rampal Ji Maharaj
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सतलोक अविनाशी लोक है। जहाँ ऊंच-नीच की अवधारणा नहीं है। इस कारण द्वेष उत्पन्न नहीं होता।
जबकि पृथ्वी लोक पर ऊंच-नीच, छोटे-बड़े की आग में सारा संसार जल रहा है।
Sant Rampal Ji Maharaj

#Satlok_Vs_Earth सतलोक अविनाशी लोक है। जहाँ ऊंच-नीच की अवधारणा नहीं है। इस कारण द्वेष उत्पन्न नहीं होता। जबकि पृथ्वी लोक पर ऊंच-नीच, छोटे-बड़े की आग में सारा संसार जल रहा है। Sant Rampal Ji Maharaj
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पृथ्वी लोक पर हर जीव दुखी हैं सतलोक सुख का सागर हैं वहां दुःख नाम की कोई चीज नहीं है वहां जन्म-मृत्यु नहीं है,बुढ़ापा नहीं है, ना राग द्वेष है। वहां अविनाशी सुंदर परिवार है।

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काल लोक/पृथ्वी लोक पर प्रत्येक जीव दुःखी है।
सतलोक सुख का सागर है। वहां दुख नाम की कोई चीज़ नहीं। जन्म-मृत्यु नहीं है। बुढ़ापा नहीं है।


Sant Rampal Ji Maharaj

काल लोक/पृथ्वी लोक पर प्रत्येक जीव दुःखी है। सतलोक सुख का सागर है। वहां दुख नाम की कोई चीज़ नहीं। जन्म-मृत्यु नहीं है। बुढ़ापा नहीं है। #Satlok_Vs_Earth Sant Rampal Ji Maharaj
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पृथ्वीलोक और सतलोक में अंतर
पृथ्वी लोक में सुविधाजनक वस्तुएं होने के बावजूद यहां कोई भी सुखी नहीं है और सतलोक में रोग का ना मौत का भय है वहां किसी वस्तु का अभाव नहीं है प्रत्येक व्यक्ति का नूरी शरीर है।
Sant Rampal Ji Maharaj

#Satlok_Vs_Earth पृथ्वीलोक और सतलोक में अंतर पृथ्वी लोक में सुविधाजनक वस्तुएं होने के बावजूद यहां कोई भी सुखी नहीं है और सतलोक में रोग का ना मौत का भय है वहां किसी वस्तु का अभाव नहीं है प्रत्येक व्यक्ति का नूरी शरीर है। Sant Rampal Ji Maharaj
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🧩राधास्वामी पंथ के नकली धर्मगुरु सतनाम को ही परिभाषित नहीं कर सके। इनको ये ही नहीं पता सतनाम भगवान है या स्थान है या मन्त्र का जाप है।
उनकी पुस्तक संतमत प्रकाश भाग-3 जिसके लेखक सावन सिंह जी हैं के पृष्ठ 76 पर लिखा है कि 'सचखंड या सतनाम चौथा लोक है', तथा पृष्ठ 79 पर लिखा ह https:

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छोटे-छोटे बच्चे संत रामपाल जी महाराज के सत्संग को ध्यान से क्यों सुनते है?

छोटे-छोटे बच्चे संत रामपाल जी महाराज के सत्संग को ध्यान से क्यों सुनते है?
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🧩राधास्वामी पंथ के धर्मगुरु कबीर साहेब को मात्र सद्गुरु मानते हैं जबकि पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी ने सर्व शास्त्रों तथा सभी संतों की वाणियों से प्रमाण सहित बताया है कि कबीर परमेश्वर ही सर्व सृष्टि रचनहार है और सर्व आत्माओं का जनक/पिता है, अविनाशी तथा पूर्ण परमात्मा है। https:

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🧩श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको

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🧩सावन सिंह जी महाराज सतनाम के बारे में कुछ नहीं जानते थे।

सावन सिंह जी के अनुसार राधा स्वामी की पुस्तक 'संतमत प्रकाश' भाग-3, पृष्ठ नं. 102-

' सचखंड या सतनाम चौथा लोक है और सभी के अंदर है '। (सचखंड और सतनाम चौथा लोक/स्थान है और सबके अंदर है।)

🧩सावन सिंह जी महाराज सतनाम के बारे में कुछ नहीं जानते थे। सावन सिंह जी के अनुसार राधा स्वामी की पुस्तक 'संतमत प्रकाश' भाग-3, पृष्ठ नं. 102- ' सचखंड या सतनाम चौथा लोक है और सभी के अंदर है '। (सचखंड और सतनाम चौथा लोक/स्थान है और सबके अंदर है।)
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🧩राधास्वामी के संस्थापक शिव दयाल जी महाराज का कोई गुरु नहीं था, हुक्का पीते थे, व्यर्थ नाम दीक्षा देना शुरू किया, 'राधास्वामी' जैसे मनमाने नाम गढ़े। उनके शिष्य बाबा जयमल सिंह ने शिव दयाल जी से बिना किसी आदेश के ब्यास में एक डेरा शुरू किया और बिना अधिकार के दीक्षा देने लगे। https

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हठयोग
कबीर साहेब कहते है:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
आँख ना मूंदे, कान ना रूँधे ना अनहद उलझावे। जो सहज समाधि बतावै।
राधास्वामी पंथ के मुखिया शिवदयाल जी ने अज्ञानतावश हठय

#Reality_Of_RadhaSoami_Panth हठयोग कबीर साहेब कहते है: कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै। आँख ना मूंदे, कान ना रूँधे ना अनहद उलझावे। जो सहज समाधि बतावै। राधास्वामी पंथ के मुखिया शिवदयाल जी ने अज्ञानतावश हठय
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Complete God KabirDev
(Supreme God Kabir), even period to the knowledge of the Vedas was present in Satlok, and has also himself appeared in all the four yogas to import his real Knowledge.
Sant Rampal Ji Maharaj

Complete God KabirDev (Supreme God Kabir), even period to the knowledge of the Vedas was present in Satlok, and has also himself appeared in all the four yogas to import his real Knowledge. @SaintRampalJiM #FridayMotivation
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