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Nishika

@Nishicaart

ओ मेरे आदर्शवादी मन , ओ मेरे सिद्धांतवादी मन
अब तक क्या किया ? जीवन क्या जिया ।
- मुक्तिबोध

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रात को जब चांद चमके जल उठे तन मेरा
मैं कहूं मत करो चंदा इस गली का फेरा

रात को जब चांद चमके जल उठे तन मेरा मैं कहूं मत करो चंदा इस गली का फेरा
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मुझे विश्वास है
यह पृथ्वी रहेगी
यदि और कहीं नहीं तो मेरी हड्डियों में
यह रहेगी जैसे पेड़ के तन में
रहते हैं दीमक
जैसे दाने में रह लेता है घुन
यह रहेगी प्रलय के बाद भी मेरे अंदर
यदि और कहीं नहीं तो मेरी ज़बान
और मेरी नश्वरता में
यह रहेगी

- केदारनाथ सिंह

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कोई जाति क्रांति जैसे बड़े उद्देश्य के लिए जान की बाजी लगाती है तो इसलिए की वह सिर्फ जीना नहीं चाहती, बल्कि सुंदर ढंग से जीना चाहती है ।
-- नामवर सिंह
(निबंध - संस्कृति और सौंदर्य)

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जो जाति सुंदर का सम्मान नहीं कर सकती वह यही भी नहीं जानती कि बड़े उद्देश्य के लिए प्राण देना क्या चीज है । वह छोटी छोटी बातों के लिए झगड़ती है ,मरती है और लुप्त हो जाती है ।
- नामवर सिंह
(निबंध - संस्कृति और सौंदर्य)

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ऐश्वर्य और निर्वासन दोनों साथ साथ चलते हैं ।
- विद्यानिवास मिश्र
(निबंध - मेरे राम का मुकुट भीग रहा है )

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दौड़ो इस घुड़दौड़ में,जो पीछे पड़े तो फिर कोई ठिकाना नहीं है ।
भारतेंदु हरिश्चंद्र
निबंध - भारत वर्षोन्नति कैसे हो सकती है

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एक आदमी

रोटी बेलता है

एक आदमी रोटी खाता है

एक तीसरा आदमी भी है

जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है

वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है

मैं पूछता हूँ—

‘यह तीसरा आदमी कौन है?’

मेरे देश की संसद मौन है।

- धूमिल

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मैं मरूंगा सुखी
मैंने जीवन की धज्जियाँ उड़ाई है
- अज्ञेय

मैं मरूंगा सुखी मैंने जीवन की धज्जियाँ उड़ाई है - अज्ञेय #nishicaart
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मैं कम्युनिस्ट हूं मगर मेरा कम्युनिज्म केवल इतना है कि हमारे देश में जमीदार ,सेठ आदि जो कृषकों के शोषक है ना रहे ।
- प्रेमचंद

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