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Hari Singh

@HariSin10686252

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कर्मकांड करना (पित्तर पूजा, श्राद्ध निकालना, भूत पूजा, मूर्ति पूजा) वेद विरूद्ध है। Sojat

कर्मकांड करना (पित्तर पूजा, श्राद्ध निकालना, भूत पूजा, मूर्ति पूजा) वेद विरूद्ध है। #सत_भक्ति_संदेश #सतलोक_आश्रम_सोजत #SatlokAshramSojat #SatlokAshram #KabirIsGod #SaintRampalJiQuotes
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सतगुरू श्वांस से स्मरण करने का मंत्र देता है जिससे भक्ति की कमाई अधिक होती है। इसलिए कहा है कि उस परमेश्वर जी की भक्ति हिरंबर यानि स्वर्ण जैसी बहुमूल्य है। Sojat

सतगुरू श्वांस से स्मरण करने का मंत्र देता है जिससे भक्ति की कमाई अधिक होती है। इसलिए कहा है कि उस परमेश्वर जी की भक्ति हिरंबर यानि स्वर्ण जैसी बहुमूल्य है। #सत_भक्ति_संदेश #सतलोक_आश्रम_सोजत #SatlokAshramSojat #SatlokAshram #KabirIsGod #SaintRampalJiQuotes
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कर्मकांड करना (पित्तर पूजा, श्राद्ध निकालना, भूत पूजा, मूर्ति पूजा) वेद विरूद्ध है। Sojat

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सतगुरू श्वांस से स्मरण करने का मंत्र देता है जिससे भक्ति की कमाई अधिक होती है। इसलिए कहा है कि उस परमेश्वर जी की भक्ति हिरंबर यानि स्वर्ण जैसी बहुमूल्य है। Sojat

सतगुरू श्वांस से स्मरण करने का मंत्र देता है जिससे भक्ति की कमाई अधिक होती है। इसलिए कहा है कि उस परमेश्वर जी की भक्ति हिरंबर यानि स्वर्ण जैसी बहुमूल्य है। #सत_भक्ति_संदेश #सतलोक_आश्रम_सोजत #SatlokAshramSojat #SatlokAshram #KabirIsGod #SaintRampalJiQuotes
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गीता अध्याय 15 श्लोक 17
उत्तमः पुरुषः तु अन्यः परमात्मा इति उदाहतः
यः लोकत्रयम् आविश्य बिभर्ति अव्ययः ईश्वरः

हालाँकि, सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करता हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं

#GodMorningThursday गीता अध्याय 15 श्लोक 17 उत्तमः पुरुषः तु अन्यः परमात्मा इति उदाहतः यः लोकत्रयम् आविश्य बिभर्ति अव्ययः ईश्वरः हालाँकि, सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करता हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं #ये_है_गीता_का_ज्ञान
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गीता अध्याय 15 श्लोक 17
उत्तमः पुरुषः तु अन्यः परमात्मा इति उदाहतः
यः लोकत्रयम् आविश्य बिभर्ति अव्ययः ईश्वरः

हालाँकि, सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करता हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं

#GodMorningThursday गीता अध्याय 15 श्लोक 17 उत्तमः पुरुषः तु अन्यः परमात्मा इति उदाहतः यः लोकत्रयम् आविश्य बिभर्ति अव्ययः ईश्वरः हालाँकि, सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करता हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं #ये_है_गीता_का_ज्ञान
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Intoxicants
should not even be kept in the village or city, let alone at home.
One should not even think of consuming them.
To know more must read the previous book 'Gyan Ganga'' by Sant Rampal Ji Maharaj

#GodMorningThursday Intoxicants should not even be kept in the village or city, let alone at home. One should not even think of consuming them. To know more must read the previous book 'Gyan Ganga'' by Sant Rampal Ji Maharaj
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Intoxicants
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One should not even think of consuming them.
To know more must read the previous book 'Gyan Ganga'' by Sant Rampal Ji Maharaj

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संत गरीब दास जी ने अमृत वाणी में कहा है :-⤵️✨
गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया। जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी मांहे कबीर हुआ।।

#GodMorningThursday संत गरीब दास जी ने अमृत वाणी में कहा है :-⤵️✨ गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया। जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी मांहे कबीर हुआ।।
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, सत्यनाम सुमरले, प्राण जाहिंगे छूट।
घर के प्यारे आदमी, चलते लेंगे लूट ।।
👇👇
निशुल्क पुस्तक जीने की राह अभी आर्डर करे
whats up करे

+91 7496801825

#GodMorningThursday #कबीर, सत्यनाम सुमरले, प्राण जाहिंगे छूट। घर के प्यारे आदमी, चलते लेंगे लूट ।। 👇👇 निशुल्क पुस्तक जीने की राह अभी आर्डर करे whats up करे +91 7496801825
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गीताजी अध्याय 2 श्लोक 17 में कहा गया है कि अविनाशी तो उस परमात्मा को जानो जिस का नाश करने में कोई समर्थ नहीं है।
कौन है वो परमात्मा ? 🤔
जानने के लिए अवश्य पढ़ें 📙
'हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण'
पुस्तक को।
Tattvadarshi Sant Rampal Ji

#ये_है_गीता_का_ज्ञान गीताजी अध्याय 2 श्लोक 17 में कहा गया है कि अविनाशी तो उस परमात्मा को जानो जिस का नाश करने में कोई समर्थ नहीं है। कौन है वो परमात्मा ? 🤔 जानने के लिए अवश्य पढ़ें 📙 'हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण' पुस्तक को। Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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गीताजी अध्याय 2 श्लोक 17 में कहा गया है कि अविनाशी तो उस परमात्मा को जानो जिस का नाश करने में कोई समर्थ नहीं है।
कौन है वो परमात्मा ? 🤔
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'हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण'
पुस्तक को।
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गीता अध्याय 18, श्लोक 62
“हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”।
Tattvadarshi Sant Rampal Ji

#ये_है_गीता_का_ज्ञान गीता अध्याय 18, श्लोक 62 “हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”। Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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गीता अध्याय 18, श्लोक 62
“हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”।
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#ये_है_गीता_का_ज्ञान गीता अध्याय 18, श्लोक 62 “हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”। Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता बोलने वाले प्रभु ने अपने से अन्य किस परमेश्वर की शरण में जाने को कहा है?
जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।



Tattvadarshi Sant Rampal Ji

गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता बोलने वाले प्रभु ने अपने से अन्य किस परमेश्वर की शरण में जाने को कहा है? जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें। #ये_है_गीता_का_ज्ञान Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता बोलने वाले प्रभु ने अपने से अन्य किस परमेश्वर की शरण में जाने को कहा है?
जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।



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गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता बोलने वाले प्रभु ने अपने से अन्य किस परमेश्वर की शरण में जाने को कहा है? जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें। #ये_है_गीता_का_ज्ञान Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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अध्याय 17 श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने संकेत किया है कि इस सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति का ऊँ- तत्-सत् यह तीन मंत्र का जाप है, इसी का जाप करने का निर्देश है।

Tattvadarshi Sant Rampal Ji

#ये_है_गीता_का_ज्ञान अध्याय 17 श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने संकेत किया है कि इस सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति का ऊँ- तत्-सत् यह तीन मंत्र का जाप है, इसी का जाप करने का निर्देश है। Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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#ये_है_गीता_का_ज्ञान अध्याय 17 श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने संकेत किया है कि इस सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति का ऊँ- तत्-सत् यह तीन मंत्र का जाप है, इसी का जाप करने का निर्देश है। Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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